शादी के कुछ सालों बाद कपल के बीच विवाद होना आम बात है, लेकिन जब घर की लड़ाई कोर्ट तक पहुंच जाती है तो अदालत तय करती है कि उनके बच्चे किसके साथ रहेंगे? ऐसे ही एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के उस ऑर्डर को कैंसिल कर दिया है, जिसमें 8 साल की बच्ची को 15 दिन अपने पिता के साथ रहने का अंतरिम आदेश दिया गया था, लेकिन मां ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने मां की याचिका में दी गई दलीलें सुनने के बाद बेंच ने माना कि बच्ची जितने दिन अपने पिता के साथ रहती है, वह उसे घर का बना हुआ खाना नहीं खिला पाते हैं। पिता अपने ऑफिस या दूसरी व्यस्तता के कारण रोजाना बाहर से बना खाना जैसे पिज्जा-बर्गर या अन्य चीज मंगवा लेते हैं। बच्ची को घर का बना खाना नहीं मिल रहा है, जबकि छोटी उम्र में उसे घर के बने पौष्टिक खाने की बेहद अधिक जरूरत है।
View this post on Instagram---विज्ञापन---
सुप्रीम कोर्ट ने बच्ची की इमोशनल और उसकी फिजिकल हालत देखकर लिया है फैसला
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की 3 सदस्यीय बेंच ने मामले में फैसला सुनाया है। अदालत ने अपने ऑर्डर में क्लीयर किया कि उसने बच्ची से बात करने के बाद, बच्ची की इमोशनल और उसकी फिजिकल हालत देखने के बाद यह फैसला लिया है।
पिता के साथ रहते हुए बच्ची को अपने 3 साल के छोटे भाई से अलग रहना पड़ता है
कोर्ट ने अपने ऑर्डर में यह भी कहा कि बच्ची जब अपने पिता के साथ रहती है तो उस दौरान उसे अपने 3 साल के छोटे भाई से भी अलग रहना पड़ता है, जो इस उम्र में उसके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह बात भी सामने आई कि बच्ची की मां वर्क फ्रॉम होम करती है। बच्ची की मां के साथ उसके नाना-नानी भी रहते हैं। ऐसे में मां के साथ रहते हुए बच्ची को उसके पिता की कस्टडी के मुकाबले ज्यादा इमोशनल, पारिवारिक माहौल और प्यार मिलता है।
बच्ची के शारीरिक और बौद्विक विकास के लिए प्यार ही काफी नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऑर्डर में यह कहा कि पिता अपनी बेटी से बहुत प्यार करता है, लेकिन प्यार बच्ची के शारीरिक और बौद्विक विकास के लिए काफी नहीं है। कोर्ट ने कहा कि पिता के घर का माहौल और परिस्थितियां बच्ची के लिए सही नहीं हैं।
क्या था पूरा मामला
बता दें कि शख्स सिंगापुर में नौकरी करता था। वह तिरुवनंतपुरम एरिया में एक किराए के घर में रहता था। उसका अपनी पत्नी से विवाद था, जिसके चलते केरल हाई कोर्ट ने शख्स को हर महीने 15 दिन के लिए उसकी 8 साल की बेटी की अस्थायी कस्टडी दी थी, जो सुप्रीम कोर्ट ने अब कैंसिल कर दी है।
काउंसलर की निगरानी में पिता करेगा बच्ची से मुलाकात
सुप्रीम कोर्ट ने पिता को हर महीने के वैकल्पिक शनिवार और रविवार को बेटी की अंतरिम कस्टडी लेने की अनुमति दी है और सप्ताह में 2 दिन वीडियो कॉल के जरिए अपनी बेटी और बेटे से बात करने की राहत दी है। अदालत ने अपने फैसले में यह भी साफ कहा है कि इन 2 दिन में से किसी भी एक दिन पिता अपने बेटी को 4 घंटे के लिए मिल सकता है या उसकी अंतरिम कस्टडी भी ले सकता है, लेकिन यह सब किसी काउंसलर की निगरानी में होगा।
ये भी पढ़ें: जातीय जनगणना पर भी मुंह देखता रह गया विपक्ष, कैसे इन 5 मुद्दों पर बीजेपी ने चलाई कैंची?