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सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद विध्वंस और गुजरात दंगों से जुड़ी सभी कार्यवाही को बंद किया

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस से जुड़ी सभी कार्यवाही को बंद कर दिया। इससे पहले कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े सभी मामलों को बंद किया था, सिर्फ नरोदा पाटिया मामले का ही ट्रायल जारी है। जानकारी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिकाओं का एक […]

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस से जुड़ी सभी कार्यवाही को बंद कर दिया। इससे पहले कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े सभी मामलों को बंद किया था, सिर्फ नरोदा पाटिया मामले का ही ट्रायल जारी है। जानकारी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिकाओं का एक बैच लंबित था। SC का कहना है कि समय बीतने के साथ मामले अब निष्फल हो गए हैं, 9 में से 8 मामलों में ट्रायल खत्म हो गया है और अब नरोदा पाटिया मामले में ही ट्रायल जारी है। अभी पढ़ें बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना आएंगी राजस्थान, अजमेर दरगाह पर करेंगी जियारत गोधरा दंगों के मद्देनजर शुरू की गई कार्यवाही पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत के आदेशों के तहत विशेष जांच दल द्वारा मुकदमा चलाने वाले नौ प्रमुख मामलों में से आठ में समय बीतने और मुकदमे खत्म होने के साथ मामले निष्फल हो गए हैं। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर सुनवाई करेगा, जिन्हें 2002 के गुजरात दंगों के मामलों में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए कथित तौर पर सबूत गढ़ने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। मामले में गुजरात की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गुरुवार को न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ से कहा कि सीतलवाड़ की याचिका का जवाब तैयार है लेकिन इसमें कुछ सुधार की जरूरत है। शीर्ष अदालत ने 22 अगस्त को गुजरात सरकार से सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर जवाब मांगा था, जिसे इस मामले में जून में गिरफ्तार किया गया था। अभी पढ़ें शराब नीति: अन्ना हजारे ने दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल को लिखा खत, कहा- 'लोग पैसे के लिए सत्ता के घेरे में फंस गए हैं'

बाबरी मस्जिद विध्वंस से जुड़ी सभी कार्यवाही को भी किया बंद

इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस से जुड़ी सभी कार्यवाही को भी बंद कर दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि अवमानना याचिका को पहले सूचीबद्ध किया जाना चाहिए था, लेकिन हिंदुओं और मुसलमानों के बीच अयोध्या भूमि विवाद का फैसला करने वाले 9 नवंबर, 2019 के फैसले के साथ यह मुद्दा नहीं टिकता। बता दें कि मोहम्मद असलम भूरे ने 1991 में याचिका दायर की थी और 1992 में अवमानना याचिका दायर की थी, 2010 में उनकी मृत्यु हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को एमिकस क्यूरी के साथ प्रतिस्थापित करने के लिए वकील एम एम कश्यप की याचिका को भी खारिज कर दिया। अभी पढ़ें   देश से जुड़ी खबरें यहाँ पढ़ें Click Here - News 24 APP अभी download करें


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