संजय राउत ने कांग्रेस को क्यों दी ‘जीरो’ से शुरुआत करने की सलाह? महाराष्ट्र में आसान नहीं होगा सीटों का बंटवारा
संजय राउत ने दावा किया कि बीजेपी महाराष्ट्र और झारखंड में हार रही है।
Maharashtra Lok Sabha Seat Sharing : विपक्षी गठबंधन INDIA में इस समय आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे पर आधिकारिक चर्चा अभी शुरू नहीं हुई है। जानकारी के अनुसार कांग्रेस इस पर जनवरी के पहले सप्ताह से बातचीत शुरू करेगी। लेकिन इसे लेकर राह आसान नहीं दिख रही है।
शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने संकेत दिया है कि महाराष्ट्र की लोकसभा सीटों का बंटवारा आसान नहीं होगा। राउत ने शुक्रवार को कहा कि कांग्रेस को सीट बंटवारे पर बातें जीरो से शुरू करनी चाहिए क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में उसे राज्य की किसी भी सीट पर जीत नहीं मिली थी।
जीती सीटों पर समझौता नहीं करेगी शिवसेना
संजय राउत ने कहा कि हमारी पार्टी कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को बता चुकी है कि जिन सीटों पर शिवसेना जीती थी उन पर चर्चा बाकी सीटों पर फैसला होने के बाद की जाएगी। राउत का यह रुख साफ बताता है कि वह उन सीटों पर समझौता करने के लिए कतई तैयार नहीं है जिन पर शिवसेना को जीत मिली थी।
राउत ने कहा कि यह महाराष्ट्र है और शिवसेना यहां की सबसे बड़ी पार्टी है। कांग्रेस एक राष्ट्रीय दल है। हमने हमेशा यही कहा है कि शिवसेना लोकसभा चुनावों में हमेशा यहां की सभी 23 सीटों पर लड़ती आ रही है। इसे लेकर उद्धव ठाकरे और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बीच सकारात्मक बातचीत हुई है।
कांग्रेस नेताओं ने कसा संजय राउत पर तंज
इसे लेकर कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। देवड़ा ने कहा कि 40 विधायक खोने के बाद भी संजय राउत कह रहे हैं कि शिवसेना सबसे बड़ी पार्टी है। वह सीट बंटवारे पर कांग्रेस को जीरो से बात शुरू करने के लिए कह रहे हैं। वह उस पार्टी के बारे में बात कर रहे हैं जो महाराष्ट्र विधानसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है और विपक्ष का नेतृत्व कर रही है।
देवड़ा ने कहा कि कोई भी गठबंधन स्थानीय नेतृत्व के साथ चर्चा किए बिना नहीं चल सकता। इस बात का समर्थन ऑल इंडिया कांग्रेस समिति भी करती है। वहीं, कांग्रेस नेता संजय निरूपम ने कहा कि संजय राउत यह गारंटी भी नहीं दे सकते कि बाकी बचे सांसद भी उनके साथ रहेंगे या नहीं।
पिछला चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ा
2019 का लोकसभा चुनाव शिवसेना ने भाजपा के साथ मिलकर लड़ा था और 18 सीटों पर जीत हासिल की थी। हलांकि, कुछ महीनों बाद दोनों अलग हो गए थे। लेकिन पिछले साल एकनाथ शिंदे ने पार्टी को दो हिस्सों में बांट दिया था और अधिकांश सांसदों-विधायकों के साथ भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया था।
इसकी वजह से उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ गया था। ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) अभी भी कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन में है। अब महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद पर एकनाथ शिंदे हैं और भाजपा के वरिष्ठ नेता व राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उप मुख्यमंत्री पद संभाल रहे हैं।
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