Rahul Gandhi Leader Of Opposition : लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी होंगे। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर इंडिया गठबंधन की हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। इसे लेकर कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने मंगलवार की रात को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी। साथ ही राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष बनाने के लिए प्रोटेम स्पीकर को चिट्ठी लिखी गई। आइए जानते हैं कि नेता विपक्ष बनने पर रायबरेली के सांसद की कितनी ताकत बढ़ जाएगी?
कैबिनेट रैंक का पद है नेता प्रतिपक्ष
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद का काफी महत्वपूर्ण है। यह एक कैबिनेट रैंक का पद है, जिससे कई लाभ मिलते हैं। कई अहम समितियों जैसे सार्वजनिक लेखा, सार्वजनिक उपक्रम का सदस्य नेता प्रतिपक्ष होता है। साथ ही वे कई चयन समितियों में भी हिस्सा लेते हैं। नेता प्रतिपक्ष ईडी और सीबीआई जैसी प्रमुख एजेंसियों के चीफ को चुनने का भी काम करता है। वे केंद्रीय सूचना आयोग, केंद्रीय सतर्कता आयोग के प्रमुख के चुनाव में भी शामिल होते हैं। साथ ही कई कार्यों में उनकी बात पीएम और स्पीकर से होती है।
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10 साल से खाली है नेता प्रतिपक्ष का पद
साल 2014 में यूपीए को हराकर मोदी की सरकार बनी थी। उस चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 44 सीटें मिली थीं, जबकि निचले सदन में नेता प्रतिपक्ष के लिए 54 सांसदों की जरूर पड़ती है, जोकि विपक्ष के पास नहीं था। 2019 में यही हाल रहा। कांग्रेस 52 सीटों पर सिमट गई। ऐसे में 10 साल तक लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली रहा।
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राजीव-सोनिया के बाद राहुल बने नेता प्रतिपक्ष
राहुल गांधी को लोकसभा में नेता विपक्ष बनाने का औपचारिक ऐलान हो चुका है। वे गांधी परिवार के तीसरे सदस्य होंगे, जो नेता प्रतिपक्ष बनेंगे। इससे पहले सोनिया गांधी 13 अक्टूबर 1999 से 6 फरवरी 2004 तक नेता प्रतिपक्ष रही थीं। उनके पहले राजीव गांधी 18 दिसंबर 1989 से लेकर 24 दिसंबर 1990 तक नेता विपक्ष थे।