PMC Bank Scam: पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (PMC) बैंक घोटाले में अब चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा दायर की गई चार्जशीट और फॉरेंसिक ऑडिटर, ग्रांट थॉर्नटन की रिपोर्ट ने इस बहुचर्चित घोटाले की परतें खोल दी हैं। दस्तावेजों के मुताबिक, बैंक अधिकारियों ने जानबूझकर नियमों की धज्जियां उड़ाईं और वर्षों तक बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ी को छिपाया।
चार्जशीट में उजागर हुई हकीकत
EOW की चार्जशीट से पता चला है कि PMC बैंक ने कई खातों में ब्याज भुगतान दो से ज्यादा तिमाहियों तक लंबित रहने के बावजूद उन्हें एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) घोषित नहीं किया। बैंक प्रबंधन ने इन खातों की असल स्थिति छुपाकर वित्तीय रिकॉर्ड्स में भारी हेरफेर की।
Abchal Ship Wrecks Limited का खाता 1998 से एनपीए था, लेकिन 2019 तक इसे छुपाया गया।
Friends Engineering Corp. का खाता 2002 से अनियमित था, फिर भी कोई रिपोर्टिंग नहीं हुई।
Kanwal Corporation के खाते में भी 2003 से गड़बड़ी चल रही थी, जिसे सालों तक छिपाकर रखा गया।
ऐसे कई खाते सामने आए हैं जिनमें वर्षों तक बकाया राशि थी, लेकिन बैंक ने जानबूझकर उन्हें नियमित खातों की तरह पेश किया। आरबीआई के हस्तक्षेप के बाद ही इस बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हो सका।
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ग्रांट थॉर्नटन रिपोर्ट के अहम निष्कर्ष
फॉरेंसिक ऑडिटर ग्रांट थॉर्नटन की रिपोर्ट भी इस घोटाले में बड़ी साजिश का इशारा करती है। रिपोर्ट के मुताबिक:
HDIL और उसकी सहयोगी कंपनियों को दिए गए 41 ऋण खातों में 3271.84 करोड़ का ब्याज 90 दिनों से ज्यादा समय तक बकाया रहा, फिर भी उन्हें एनपीए घोषित नहीं किया गया। इन खातों का ब्याज मार्च 2019 तक बही खातों में दिखाया जाता रहा, जिससे बैंक की आय को कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया।
वित्तीय वर्षों के दौरान ब्याज को इस तरह ओवरबुक किया गया
2012-13 में 61.83 करोड़
2014-15 में 374.75 करोड़
2017-18 में 780.51 करोड़
इन आंकड़ों ने न सिर्फ बैंक की असली वित्तीय स्थिति को छुपाया, बल्कि निवेशकों और ग्राहकों को भी गुमराह किया।
घोटाले का असर और आगे की कार्रवाई
घोटाले का खुलासा सितंबर 2019 में तब हुआ जब भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने PMC बैंक पर प्रतिबंध लगाए। जांच में बैंक में 6,500 करोड़ के छुपे हुए नुकसान का पता चला, जिसमें से 70% नुकसान HDIL से जुड़ा हुआ था। बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक जॉय थॉमस और HDIL के प्रमोटर राकेश और सारंग वाधवानी को धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया। इस घोटाले के कारण हजारों जमाकर्ताओं को भारी वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा, क्योंकि निकासी की सीमा शुरू में केवल 1,000 तक सीमित कर दी गई थी।
PMC बैंक घोटाले ने देश के सहकारी बैंकिंग सेक्टर में विश्वास को गहरी चोट पहुँचाई है। लाखों ग्राहकों की मेहनत की कमाई दांव पर लग गई। अब जब ईडी और ग्रांट थॉर्नटन की रिपोर्टों ने ठोस सबूत पेश कर दिए हैं, तो उम्मीद जताई जा रही है कि दोषियों को सख्त सजा मिलेगी और घोटाले से पीड़ित ग्राहकों को भी न्याय मिलेगा।
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