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स्कूल में सबसे पहले क्यों पहुंच जाते थे पीएम मोदी? पॉडकास्ट में बताई ये वजह

लेक्स फ्रिडमैन के पॉडकास्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘परीक्षा पर चर्चा’ कार्यक्रम, नई शिक्षा नीति और बचपन के अनुभव साझा किए। जिसमें उन्होंने बताया कि क्यों वह स्कूल में सबसे पहले पहुंचते थे।

Author Edited By : Avinash Tiwari Updated: Mar 16, 2025 17:43

PM Modi Podcast With Lex Fridman : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मशहूर अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के बीच सवा तीन घंटे लंबा पॉडकास्ट रिलीज कर दिया गया है। इस पॉडकास्ट में पीएम मोदी ने कई विषयों पर खुलकर बातचीत की है। पॉडकास्ट के दौरान जब पीएम मोदी से ‘परीक्षा पर चर्चा’ कार्यक्रम को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने अपने बचपन के शिक्षकों को याद किया और बताया कि वह सबसे पहले स्कूल क्यों पहुंच जाते थे।

‘परीक्षा पर चर्चा’ पर क्या बोले पीएम मोदी?

पीएम मोदी ने कहा कि आज समाज में एक विचित्र मानसिकता बन गई है। स्कूलों में भी अपनी सफलता को इस बात से जोड़ा जाने लगा है कि कितने बच्चों ने कौन-सी रैंक हासिल की। परिवारों में भी यही माहौल बन गया है कि अगर बच्चा अच्छी रैंक लाता है, तो परिवार को समाज में सम्मान मिलता है। इस सोच का परिणाम यह हुआ कि बच्चों पर दबाव बढ़ गया। अब बच्चों को लगने लगा है कि जीवन में 10वीं और 12वीं की परीक्षा ही सब कुछ है। हमने इसमें बदलाव लाने के लिए नई शिक्षा नीति में कई सुधार किए हैं, लेकिन जब तक वे पूरी तरह लागू नहीं होते, तब तक मेरा यह प्रयास भी है कि मैं बच्चों से संवाद करूं, उनकी परेशानियों को समझूं और उन्हें मार्गदर्शन दूं।

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‘अच्छे नंबर नहीं आते लेकिन खेल में शतक लगाते’

पीएम मोदी ने कहा कि जब मैं “परीक्षा पर चर्चा” करता हूं तो मुझे भी बच्चों से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। इससे मुझे उनके माता-पिता की मानसिकता समझने में मदद मिलती है। शिक्षा क्षेत्र के लोगों की सोच को भी समझने का अवसर मिलता है। इस कार्यक्रम का लाभ बच्चों को तो होता ही है, मुझे भी होता है। किसी खास क्षेत्र में खुद को आंकने के लिए परीक्षा अच्छी होती है, लेकिन यह पूरी क्षमता का मापदंड नहीं हो सकती। कई लोग पढ़ाई में अच्छे अंक नहीं लाते, लेकिन खेल में शतक लगाते हैं, क्योंकि उनकी ताकत वहां होती है। जब सीखने पर ध्यान केंद्रित होता है, तो नंबर भी खुद-ब-खुद अच्छे आने लगते हैं।

पीएम मोदी ने साझा किए अपने बचपन का अनुभव

पीएम मोदी ने अपने बचपन का एक किस्सा साझा करते हुए कहा कि जब वह स्कूल में पढ़ते थे, तब उनके एक शिक्षक की पढ़ाने की तकनीक बहुत रोचक थी। वह एक छात्र से कहते कि घर से 10 चने के दाने लाओ, दूसरे से कहते 15 चावल के दाने लाने को, किसी तीसरे से 21 मूंग के दाने लाने को कहते। बच्चे घर जाकर तय संख्या में दाने लाते और स्कूल में सभी मिलकर गिनती करते थे। इससे न केवल गणित सीखने में मदद मिलती थी, बल्कि अलग-अलग दालों की पहचान भी हो जाती थी। बिना बोझ के पढ़ाने का यह तरीका बेहद प्रभावी था।

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पीएम मोदी ने एक और दिलचस्प अनुभव साझा करते हुए बताया कि उनके शिक्षक ने एक बार एक डायरी रखी और कहा कि जो भी छात्र सबसे पहले स्कूल आएगा, वह डायरी में एक वाक्य लिखेगा और अपना नाम लिखेगा। उसके बाद जो दूसरा आएगा, उसे पहले लिखे गए वाक्य से जुड़ा एक और वाक्य जोड़ना होगा।

सबसे पहले स्कूल क्यों पहुंचते थे पीएम मोदी?

पीएम मोदी ने बताया, “मैं बहुत जल्दी स्कूल भागकर जाता था, ताकि पहला वाक्य मैं लिखूं। एक बार मैंने लिखा – ‘आज सूर्योदय बहुत शानदार था, सूर्योदय ने मुझे ऊर्जा दी।’ फिर मेरे पीछे आने वाले छात्रों को भी सूर्योदय से जुड़ा कुछ लिखना पड़ता था। कुछ समय बाद मुझे एहसास हुआ कि मेरी रचनात्मकता को इससे ज्यादा लाभ नहीं मिलेगा। इसलिए मैंने तय किया कि अब मैं आखिरी में जाऊंगा, ताकि पहले लिखे गए वाक्यों को पढ़ सकूं और अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकूं। इससे मेरी रचनात्मकता और भी बढ़ने लगी।”

संगठन के कारण मानव संसाधन विकास एक महत्वपूर्ण विषय-PM मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि शिक्षक अक्सर ऐसी छोटी-छोटी चीजें करते हैं जो जीवन में बहुत उपयोगी साबित होती हैं। उन्होंने बताया कि संगठन में काम करने के कारण मानव संसाधन विकास उनके लिए एक महत्वपूर्ण विषय रहा है। इसी कारण वह बच्चों के साथ संवाद करने के लिए साल में एक-दो बार विशेष कार्यक्रम करते हैं। इस दौरान जो चर्चाएं होती हैं, वे अब एक किताब के रूप में भी उपलब्ध हैं, जिससे लाखों बच्चों को मदद मिलती है।

यहां देखें पूरा वीडियो

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Edited By

Avinash Tiwari

First published on: Mar 16, 2025 05:43 PM

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