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‘इस देश में पर‍िवारवाद या फ‍िर यारवाद…’, व‍िकास द‍िव्‍यकीर्त‍ि ने खोला पीएम मोदी-अम‍ित शाह की जोड़ी का राज

Vikas Divyakirti Statement On Indian Politics : देश में सिर्फ दो ही वाद है- परिवारवाद या फिर यारवाद। विकास दिव्यकीर्ति ने दोनों वाद में अंतर बताया। साथ ही उन्होंने पीएम मोदी और अमित शाह की जोड़ी को लेकर बड़ा खुलासा किया है।

Edited By : Deepak Pandey | Updated: Jul 24, 2024 18:16
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Vikas Divyakirti
व‍िकास द‍िव्‍यकीर्त‍ि ने पीएम मोदी-अम‍ित शाह की जोड़ी का खोला राज।

Vikas Divyakirti Statement On Indian Politics : देश की राजनीति में परिवारवाद हावी है या फिर यारवाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अमित शाह पर इतना भरोसा क्यों है? व‍िकास द‍िव्‍यकीर्त‍ि ने पीएम मोदी-अम‍ित शाह की जोड़ी का राज खोलते हुए परिवारवाद और यारवाद में अंतर बताया। उन्होंने कहा कि देश की राजनीति में किसी पार्टी को देख लीजिए, उसमें टॉप टू पर एक परिवार के लोग होंगे या फिर वे गहरे दोस्त होंगे। इसमें तीसरा विकल्प नहीं है।

क्या है परिवारवाद?

परिवारवाद को लेकर विकास दिव्यकीर्ति ने कहा कि जब कोई पावर में रहता है तब सोचता है कि अगर पार्टी के अध्यक्ष से संबंध ठीक नहीं है तो वह हमेशा खतरा रहेगा। इसलिए राजनीति में एक ही परिवार के दो लोग रहते हैं- जैसे पति मुख्यमंत्री तो पत्नी पार्टी प्रमुख या फिर पिता सीएम और बेटा पार्टी अध्यक्ष। दोनों को एक-दूसरे पर भरोसा रहता है। वे जानते हैं कि दोनों एक-दूसरे को कभी धोखा नहीं देंगे।

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क्या है यारवाद?

यारवाद को लेकर विकास दिव्यकीर्ति ने कहा कि कहीं-कहीं परिवार का सिस्टम नहीं चल पाता है। जैसे पीएम मोदी हैं, उन्हें भी असुरक्षा है। अगर पार्टी का अध्यक्ष ऐसा व्यक्ति बन गया, जो उनके खिलाफ है तो उनकी सारी एनर्जी वहीं खर्च हो जाएगी। पीएम मोदी को पार्टी का अध्यक्ष ऐसा व्यक्ति चाहिए, जिन पर वह आंख बंद करके भरोसा कर सकें। उसके लिए अमित शाह और जेपी नड्डा हो सकते हैं, जिनपर उनका भरोसा है।

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कॉरपोरेट सेक्टरों का भी खोला राज 

उन्होंने आगे कहा कि अरविंद केजरीवाल भी परिवारवाद पार्टी नहीं हैं। ऐसे में उन्हें मनीष सिसोदिया चाहिए, जिसपर वे आंख बंद करके भरोसा कर सकते हैं। ऐसे में राजनीति में जो टॉप पर हैं, उन्हें नंबर टू का व्यक्ति भरोसेमंद चाहिए। इसलिए मैं कहता हूं कि इस देश में दो ही वाद है- एक परिवारवाद, दूसरा यारवाद। उसके बिना काम नहीं चल सकता है। विकास दिव्यकीर्ति ने कहा कि अगर कॉरपोरेट सेक्टरों की बात करें तो टॉप पोजिशन वाले लोगों की लॉयल्टी रहती है। जब टॉप का कोई व्यक्ति कंपनी छोड़ता है तो उसके साथ 10 और कर्मचारी भी चले जाते हैं, क्योंकि वे एक-दूसरे के प्रति वफादार होते हैं।

First published on: Jul 24, 2024 05:45 PM

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