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कांग्रेस ने क्यों सुप्रीम कोर्ट का खटखटाया दरवाजा? किस मामले में दी चुनौती

Places Of Worship Act 1991 : कांग्रेस ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ दायर याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए यह कानून जरूरी है।

Edited By : Deepak Pandey | Updated: Jan 17, 2025 09:52
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Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट

Places Of Worship Act 1991 : कांग्रेस ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि यह कानून देश में धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए आवश्यक है, जो संविधान की एक बुनियादी विशेषता है। सांप्रदायिक सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए इस कानून की जरूरत है। इस मामले में पहले से दाखिल याचिकाओं समेत कांग्रेस की इस रिट पर अब 17 फरवरी को सुनवाई होगी।

पिछले दिनों भाजपा नेता और एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय ने जनहित याचिका दायर कर 1991 के कानून की वैधता को चुनौती दी थी। अब कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में उनकी चुनौती के खिलाफ याचिका दाखिल की। पार्टी ने अपनी याचिका में कहा कि वर्तमान चुनौती धर्मनिरपेक्षता के स्थापित सिद्धांतों को कमजोर करने का एक दुर्भावनापूर्ण प्रयास प्रतीत होता है। याचिकाकर्ता इस मामले में हस्तक्षेप करके प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट (POW) के संवैधानिक और सामाजिक महत्व पर जोर देना चाहता है, क्योंकि आशंका है कि इसमें कोई भी बदलाव भारत के सांप्रदायिक सद्भाव और धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को खतरे में डाल सकता है, जिससे राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता को खतरा हो सकता है।

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मौलिक अधिकारी का उल्लंघन नहीं करता है कानून : कांग्रेस

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कांग्रेस द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि इस अधिनियम के खिलाफ याचिकाएं अस्पष्ट और संदिग्ध उद्देश्यों से दायर की गई प्रतीत होती हैं। प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार को आगे बढ़ाने और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कांग्रेस ने कहा कि इस एक्ट के खिलाफ पहले से दायर याचिका त्रुटिपूर्ण है और POW अधिनियम किसी भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है।

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प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट क्या है?

प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के मुताबिक, देश में 15 अगस्त 1947 से पहले मौजूद धार्मिक स्थल जिस रूप में था, वह उसी रूप में रहेगा, उसमें कोई बदलाव नहीं होगा। यानी यह कानून धार्मिक स्थलों में बदलाव को रोकता है। हालांकि, इस कानून से अयोध्या के मामले को बाहर रखा गया था।

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Deepak Pandey

First published on: Jan 17, 2025 09:52 AM

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