जम्मू कश्मीर में पर्यटकों पर आतंकी हमला होने का अलर्ट भारतीय खुफिया एजेंसियों के पास पहले से था। एक उच्च अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर यह जानकारी मीडिया को दी। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, उच्च अधिकारी ने बताया था कि 4 आतंकवादियों में से 2 दक्षिण कश्मीर से हैं। उन्होंने ही दोनों पाकिस्तानी आतंकियों को पर्यटकों के पास घटनास्थल तक पहुंचाया था, जिन्होंने 26 लोगों की जान ली
पहलगाम हमले से कुछ दिन पहले सुरक्षा एजेंसियों और सरकार को श्रीनगर और उसके आसपास के होटलों में ठहरे पर्यटकों को निशाना बनाकर आतंकी हमला किए जाने की खुफिया जानकारी मिल गई थी। हमला पहलगाम में हुआ है, श्रीनगर में भी हो सकता है, इसलिए आतंकी हमले की आशंका से श्रीनगर में डल झील और मुगल गार्डन के नजदीक स्थित जबरवान पर्वतमाला की तलहटी में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।
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जम्मू पुलिस हमले से पहले घाटी में डेरा डाले थी
अधिकारी ने बताया कि जम्मू पुलिस महानिदेशक समेत पुलिस विभाग के आला अधिकारी पहलगाम में आतंकी हमले से पहले कुछ दिन तक घाटी में डेरा डाले हुए थे। जम्मू-कश्मीर पुलिस समेत सुरक्षा एजेंसियों के पास हमले की खुफिया जानकारी थी। उन्हें आतंकी हमला होने की आशंका थी, लेकिन उन्हें शक था कि श्रीनगर के बाहरी इलाके में एक होटल आतंकियों का टारगेट होगा, इसलिए होटलों की सुरक्षा बढ़ाई गई थी। पहलगाम हमले से 10-15 दिन पहले दाचीगाम, निशात और आस-पास के इलाकों में तलाशी अभियान भी चलाया गया था।
वहीं जम्मू पुलिस के एक सूत्र ने कहा कि खुफिया जानकारी थी, लेकिन पुख्ता नहीं थी। हमला होने के बाद इसकी पुष्टि हुई। अटारी बॉर्डर के रास्ते पाकिस्तान जाने वाले कश्मीरियों में से 2 संदिग्धों के नाम सूची में नहीं मिले थे। आतंकी हमला होने के बाद पता चला कि दक्षिण कश्मीर के 2 लोग पाकिस्तान गए थे, लेकिन उनके पाकिस्तान से वापस आने का रिकॉर्ड नहीं था। संभव है कि वे जम्मू के कठुआ की तरफ से भारत लौटे हों।
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हमले से 4-5 दिन पहले घाटी में ही थे आतंकी
अधिकारी ने बताया कि अब यह भी पता चला है कि हमले में शामिल 2 स्थानीय आतंकवादी हमले से पहले पर्यटकों से मिले भी थे। वे पर्यटकों को फूड कोर्ट में भी ले गए थे, जहां अन्य 2 आतंकवादी भी थे, जिन्होंने उन पर करीब से गोलियां चलाईं थी। आतंकवादी 4-5 दिन से बैसरन घाटी में और उसके आसपास के एरिया में थे, क्योंकि बैसरन घाटी में कुछ भी यहां के स्थानीय लोगों के समर्थन के बिना संभव नहीं था।
खुफिया एजेंसियों को वायरलेस चैटिंग के संकेत भी मिले थे, जिससे पता चला कि आतंकवादी घाटी में या इसके आसपास मौजूद थे। खुफिया एजेंसियां आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे डिवाइस के कारण उनकी बातचीत रिकॉर्ड नहीं कर सकी। सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ स्थल से स्नाइपर राइफलें, एम-सीरीज राइफलें, कवच-भेदी गोलियां बरामद की हैं।
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