पहलगाम आतंकी हमले में बचे लोग अब भी मंजर को याद कर सिहर उठते हैं। कर्नाटक के एक परिवार ने आतंकी हमले में जान बचाने के बाद अपनी आपबीती शेयर की है। परिवार ने बचने की उम्मीद ही छोड़ दी थी। शख्स का कहना है कि पत्नी ने उनको हौसला दिया, उन लोगों का बच पाना किसी चमत्कार से कम नहीं है। कर्नाटक के हेगड़े परिवार ने हमले के दौरान क्या-क्या झेला, इस बारे में जानते हैं? NDTV की रिपोर्ट के अनुसार प्रदीप हेगड़े, उनकी वाइफ शुभा हेगड़े और बेटा सिद्धांत हेगड़े 21 अप्रैल को श्रीनगर में पहुंचा था। हमले वाले दिन सुबह वे पहलगाम पहुंचे थे। इसके बाद फैमिली ने 3 घोड़े किराए पर लेकर बैसरन का सफर शुरू किया था। इस दौरान बारिश के कारण रास्ते पर काफी फिसलन थी। करीब सवा घंटे बाद वे लोग बैसरन घाटी पहुंचे थे।
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इसके बाद जब मैदान के अंदर गए तो वहां काफी भीड़ थी। उन लोगों ने वहां कुछ फोटो खींचे और लगभग 1 घंटा बिताया। दोपहर को लगभग पौने 2 बजे अंदर जाने की तैयारी कर रहे थे, तभी बेटे को भूख लगी। हम लोगों ने उसे मनाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माना। इसके बाद तीनों लोग स्टॉल की ओर चले गए, वहां जाकर मैगी का ऑर्डर दिया। इसी दौरान उनकी पत्नी पूजा लगभग 500 मीटर दूर टॉयलेट के लिए चली गई। वह अपने साथ पैसे नहीं लेकर गई थी, इसलिए दोबारा लौटी। पैसे लेकर फिर टॉयलेट के लिए गई। उनके लौटने तक वे लोग खाना खा चुके थे। पत्नी ने बाद में आकर खाना खाया।
Bullet Brushed My Hair During Terror Attack, Says Pahalgam Tourist
---विज्ञापन---Shubha Hegde, an eyewitness to the Pahalgam attack, shared how a bullet barely missed her as she tried to save her family’s IDs and phones. Her quick action came amid chaos as terrorists opened fire. #India… pic.twitter.com/7tuKCdQt4Z
— Katman (@MindoFact) April 29, 2025
2 आतंकियों के पास देखे हथियार
प्रदीप हेगड़े के अनुसार इसके बाद जब चाय का ऑर्डर दिया, तब पहली गोली की आवाज सुनी। दुकानदारों ने कहा कि जंगली जानवरों को भगाने के लिए पटाखे फोड़े जा रहे हैं। वे लोग चाय पीने लगे, तभी 20 सेकंड के बाद 2 लोगों के हाथ में राइफल देखी। एक आतंकी निचले हिस्से की तरफ गया, दूसरा उनकी ओर आ रहा था। हम लोग जमीन पर लेट गए। पत्नी ने बैग लेने के लिए टेबल के ऊपर हाथ किया, तभी महसूस हुआ कि कान के पास बालों को छूकर कुछ निकला है। यह गोली थी। हमें यकीन नहीं था कि बच जाएंगे, तभी पत्नी ने सहारा दिया और कहा कि कुछ नहीं होगा। उनके आत्मविश्वास ने हमें बचा लिया।
घुड़सवारों ने की मदद
शुभा ने कहा कि गोली पास से गुजरी, भगवान ने उनको बचा लिया। उसी समय घुड़सवारों ने आवाज दी कि गेट की ओर भागो। गेट पर भीड़ जमा थी। इसी दौरान बेटा गिर गया, फिर भी वे लोग किसी तरह बाहर निकलने में कामयाब रहे। बाहर निकलने पर पता नहीं था कि किस रास्ते जाएं। वे लोग बिना कुछ सोचे 2-3 किलोमीटर चलते रहे। रास्ते में कई बार गिरे। उन लोगों ने बाद में घोड़े वाले की मदद ली और नीचे उतरने में कामयाब रहे।
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