आतंकवाद के खिलाफ भारत के कड़े और निर्णायक रुख को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने की दिशा में केंद्र सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है। आगामी 25 मई को दिल्ली स्थित अशोक होटल में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की मुख्यमंत्री परिषद की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की जा रही है, जिसमें 21 एनडीए शासित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता हिस्सा लेंगे। बैठक की शुरुआत में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत करेंगे, जिसके बाद प्रधानमंत्री सभी उपस्थित नेताओं को संबोधित करेंगे। यह बैठक न केवल सरकार के सुरक्षा दृष्टिकोण को स्पष्ट करेगी बल्कि सुशासन, सामाजिक न्याय और राजनीतिक दिशा तय करने में भी अहम भूमिका निभाएगी।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ से लेकर चीन पर रणनीति तक
इस बैठक का केंद्रबिंदु भारतीय सशस्त्र बलों का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ रहेगा , जो 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद 7 मई को पाकिस्तान और पीओके में आतंकियों के ठिकानों पर किए गए लक्षित हमलों के रूप में सामने आया। इस जवाबी कार्रवाई में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए थे, जबकि पाकिस्तान की ओर से हुई जवाबी सैन्य कोशिशों को भारतीय वायुसेना और थलसेना ने पूरी तरह विफल कर दिया। सूत्रों के अनुसार, बैठक में एनडीए के मुख्यमंत्रियों को ऑपरेशन सिंदूर की रणनीतिक गहराई, सैन्य सफलता और उससे जुड़े कूटनीतिक संदेशों की विस्तार से जानकारी दी जाएगी। साथ ही स्पष्ट किया जाएगा कि भारत की कार्रवाई केवल आतंकवादियों के विरुद्ध थी, न कि किसी देश विशेष की सेना के खिलाफ।
प्रगति और सुरक्षा: एक संतुलित राष्ट्रनीति
बैठक का एजेंडा केवल सुरक्षा तक सीमित नहीं रहेगा। यह विकास, सामाजिक न्याय, सुशासन और राजनीतिक मजबूती को भी समाहित करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ‘प्रो-पीपुल्स, प्रो-गवर्नेंस’ के सिद्धांत पर कार्य कर रही है और इस बैठक में उसे और अधिक प्रभावी तरीके से राज्यों में लागू करने की रणनीति तय की जाएगी। गरीबों और वंचितों के लिए चल रही योजनाएं, जैसे पीएम आवास योजना, मुफ्त राशन, स्वास्थ्य सेवाएं और स्वरोजगार के प्रयासों की समीक्षा होगी। सुशासन के सफल मॉडल को एकरूपता से सभी राज्यों में लागू करने पर विशेष बल दिया जाएगा।
भारत को चीन का विकल्प बनाने की दिशा में चर्चा
विश्व व्यापार व्यवस्था में भारत को चीन का विकल्प बनाने की दिशा में भी इस बैठक में अहम चर्चा होने की संभावना है। बैठक में यह स्पष्ट किया जाएगा कि भारत किसी दीर्घकालिक युद्ध में उलझे बिना, सीमित लेकिन निर्णायक सैन्य कार्रवाई और आर्थिक-राजनयिक रणनीति से अपनी स्थिति वैश्विक मंचों पर मजबूत कर सकता है। अमेरिकी टैरिफ विवाद के बीच एनडीए शासित राज्यों को उत्पादन, निर्यात और निवेश आकर्षण से जुड़े विषयों पर सलाह दी जा सकती है ताकि भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अपनी भागीदारी बढ़ा सके।
जाति जनगणना और सामाजिक न्याय पर राजनीतिक रणनीति
सूत्रों के अनुसार, बैठक में जातिवार जनगणना पर केंद्र सरकार के निर्णय को लेकर जनजागरूकता अभियान चलाने की रणनीति पर भी चर्चा होगी। इसका उद्देश्य सामाजिक न्याय के संदेश को प्रभावी ढंग से जनता तक पहुंचाना और विपक्ष की भ्रामक राजनीति का जवाब देना होगा। इस विषय पर एक प्रस्ताव भी बैठक में पारित हो सकता है, ताकि एनडीए शासित राज्य इस दिशा में समन्वित और सकारात्मक संदेश के साथ आगे बढ़ें।
चुनावी रणनीति: बिहार और अन्य राज्यों पर फोकस
बैठक में बिहार विधानसभा चुनावों पर भी विस्तार से विचार-विमर्श होगा। 2024 के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव पर विशेष चर्चा की जाएगी। प्रवासी बिहारियों को प्रोत्साहित कर चुनाव में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने की रणनीति पर चर्चा की संभावना है।
राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा पर एकजुटता का प्रदर्शन
एनडीए की यह बैठक न केवल एक सामूहिक राजनीतिक और प्रशासनिक अभ्यास है, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता, दृढ़ता और विकासशील भारत के दृष्टिकोण का प्रतीक भी होगी। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिए जाने वाला संबोधन, एनडीए की साझा रणनीति को धार देगा और देश-दुनिया को स्पष्ट संदेश देगा कि भारत अब आतंकवाद, तुष्टिकरण और विकास विरोधी राजनीति को बर्दाश्त नहीं करेगा।