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Nabanna Protests : क्या है पश्चिमबंग छात्र समाज? कोलकाता में बवाल के पीछे छात्रों के नए संगठन का हाथ!

Nabanna Abhijan Protest : पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में मंगलवार को कॉलेज स्क्वायर के पास भीड़ जुटी। यह नबन्ना प्रोटेस्ट मार्च की शुरुआत थी। इस प्रदर्शन का आह्वान एक नए गैर राजनीतिक छात्र संगठन ने किया था जो आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में महिला डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या के मामले को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इस्तीफा देने की मांग कर रहे हैं।

Edited By : Gaurav Pandey | Updated: Aug 27, 2024 16:08
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What is Chhatra Samaj : कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में महिला ट्रेनी डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या की जघन्य घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। इसे लेकर पूरे देश में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं लेकिन कोलकाता इनके केंद्र में है। इस घटना को लेकर एक नए छात्र संगठन पश्चिमबंग छात्र समाज ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इस्तीफा देने की मांग करते हुए मार्च टू सेक्रेटेरिएट का आह्वान किया था। लेकिन, कॉलेज स्क्वायर से शुरू हुए इस मार्च ने जल्द ही हिंसक स्वरूप ले लिया। छात्रों को रोकने के लिए पुलिस पर पत्थरबाजी हुई तो पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस का इस्तेमाल किया। आइए जानते हैं इस नए छात्र संगठन के बारे में।

क्या है पश्चिमबंग छात्र समाज?

पश्चिमबंग छात्र समाज का मतलब पश्चिम बंगाल में छात्रों का समाज है। यह एक अनरजिस्टर्ड छात्र संगठन है। इसके सदस्य छात्रों ने दावा किया है कि उनका संगठन एपॉलिटिकल यानी गैरराजनीतिक है। इस संगठन ने पश्चिम बंगाल सचिवालय ‘नबन्ना’ के लिए मार्च का आह्वान किया था। यह एक हाई सिक्योरिटी जोन है जिसमें मुख्यमंत्री समेत अन्य शीर्ष मंत्रियों व अधिकारियों के ऑफिस हैं। इस मार्च की अगुवाई प्रबीर दास, सायन लहरी और शुभांकर हलदार कर रहे हैं। तीनों अलग-अलग विश्वविद्यालयों में मास्टर्स की पढ़ाई कर रहे हैं। उनके इस मार्च में बड़ी संख्या में छात्र और आम नागरिक भी शामिल हुए जो हाथों में तिरंगा लिए, नारेबाजी करते हुए सचिवालय नबन्ना की ओर आगे बढ़े थे।

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इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार सायन लहरी ने कहा कि सरकार जिस तरह से महिला डॉक्टर के रेप-मर्डर के मामले को जिस तरह से हैंडल कर रही है उससे साबित होता है कि मुख्यमंत्री अक्षम हैं। लहरी ने आगे कहा कि संगठन की तीन मांगें हैं; अभया (पीड़िता महिला डॉक्टर को अभया नाम दिया गया है) के लिए न्याय, दोषी के लिए मौत की सजा और ममता बनर्जी का इस्तीफा। उधर, बंगाल पुलिस ने इस मार्च को अवैध बताया है और कहा है कि हमने मार्च के दौरान कानून-व्यवस्था के बिगड़ने की आशंका थी इसलिए इस चिंता को देखते हुए जरूरी कदम उठाए गए हैं। मार्च के दौरान हालात हिंसक हो गए। हालात को देखते हुए राज्य सरकार ने हावड़ा ब्रिज भी बंद कर दिया है।

बाकी प्रदर्शनकारी रैली से दूर!

यहां पर एक ध्यान देने वाली बात यह है कि पीड़िता महिला डॉक्टर के लिए इंसाफ की मांग को लेकर जूनियर डॉक्टर्स भी विरोध- प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन उन्होंने इस मार्च से दूरी बनाए रखी। इसकी जगह उन्होंने कल यानी बुधवार को सेंट्रल कोलकाता में एक अलग रैली का आह्वान किया है। एसएफआई और डीवाईएफआई जैसे लेफ्ट छात्र संगठन भी इस रैली से दूर रहे। सीपीआई (एम) की युवा नेता मीनाक्षी मुखर्जी ने कहा कि लेफ्ट छात्र संगठन इस मार्च में इसलिए शामिल नहीं हो रही हैं क्योंकि इसका आयोजन आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के समर्थन वाले संगठन ने किया है। वामपंथी छात्र संगठनों का दावा है कि पश्चिमबंग छात्र समाज भाजपा की शह पर काम कर रहा है।

रिपोर्ट्स के अनुसार पश्चिम बंगाल के एडिशनल डायरेक्टर जनरल मनोज वर्मा ने कहा कि इस रैली के लिए राज्य सरकार से कोई अनुमति नहीं मांगी गई थी और न ही कोई जानकारी दी गई थी। दक्षिण बंगाल के एडीजी सुप्रतिम सरकार ने दावा किया कि मार्च के आयोजन में शामिल एक छात्र नेता ने रविवार को एक बड़ी राजनीतिक शख्सियत से एक फाइव स्टार होटल में मुलाकात की थी। उन्होंने नेता का नाम नहीं बताया। लेकिन, सायन लहरी ने इस तरह की किसी भी मुलाकात होने से इनकार किया है। उन्होंने कोलकाता प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि यह पूरी तरह से एक सामाजिक आंदोलन है, हमारा राजनीतिक कनेक्शन ढूंढने की कोशिश मत करिए।

राजनीतिक दलों से कनेक्शन?

लहरी ने यह भी कहा कि हम सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से अनुरोध करते हैं कि वह हमारे मार्च से दूर रहें। हम नहीं चाहते कि कोई पॉलिटिकल पार्टी इस मार्च का फायदा उठाए। मार्च के लीडर्स में से एक शुभांकर हलदार ने भी कहा कि संगठन का कोई राजनीतिक कनेक्शन नहीं है। हालांकि, उन्होंने कहा कि मैं आरएसएस का सदस्य रहा हूं और मुझे इस पर गर्व है। लहिरी ने भी यह बताया कि वह बीते समय में भाजपा और टीएमसी, दोनों से जुड़े रह चुके हैं। प्रबीर दास ने कहा कि छात्र समाज में शामिल हर व्यक्ति का राजनीतिक कनेक्शन नहीं है। उन्होंने कहा कि हम अपनी बहन की खातिर न्याय के लिए लड़ने वाले, आवाज उठाने वाले छात्र हैं। राजनीति से हमारा वास्ता नहीं है।

रिपोर्ट्स के अनुसार कोलकाता पुलिस सुबह से 6000 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को शहर की सड़कों पर उतार चुकी है। कम से कम 19 बैरीकेड पॉइंट्स बनाए गए हैं। स्थिति की निगरानी के लिए राज्य सरकार ने 26 जिला कलेक्टर्स को काम पर लगाया है। इसके साथ ही वज्र वाहन, वाटर कैनन और रॉयट कंट्रोल फोर्स को भी तैनात किया गया था। लेकिन आक्रोशित प्रदर्शनकारियों ने बैरीकेड पार करते हुए पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू कर दी। जवाब में पुलिस ने आंसू गैस के गोलों और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया। प्रदर्शनकारियों को वहां से खदेड़ने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया। बता दें कि भाजपा नेताओं ने इस रैली से पार्टी का कोई भी संबंध होने से साफ इनकार किया है।

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Written By

Gaurav Pandey

First published on: Aug 27, 2024 04:05 PM

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