All India Muslim Personal Law Board: मदरसों में बदलाव को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड ने आपत्ति जताई है। बोर्ड ने यूपी और एमपी में मदरसों की पहचान को खत्म करने के लिए उठाए जा रहे कदमों की आलोचना की है। इतना ही नहीं बोर्ड ने नेशनल कमीशन फाॅर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स की ओर से मदरसों के बारे सरकार को निर्देशों की आलोचना की है।
बता दें कि यूपी के मुख्य सचिव ने मदरसों का सर्वे कर जिला स्तर के अधिकारियों को निर्देश दिया कि अस्वीकृत मदरसों के छात्रों को सरकारी स्कूल में ट्रांसफर कर दिया जाए। यूपी में ऐसे कुल 8 हजार से अधिक मदरसों की पहचान की गई और उन छात्रों को सरकारी स्कूलों में ट्रांसफर करने का आदेश दिया गया। मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड ने कहा कि इन जिलों में जिला कलेक्टर दबाव बना रहे हैं कि बच्चों को सरकारी स्कूल में ट्रांसफर किया जाए। बोर्ड ने कहा कि ऐसा करना उनके निजी अधिकारों को कुचलने के समान है।
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कार्रवाई की दी जा रही धमकी
इसके बाद ही बोर्ड ने कहा कि एमपी में मुस्लिम छात्रों पर आरटीई एक्ट के तहत बेसिक शिक्षा हासिल करने का दबाव बनाया जा रहा है। ऐसा नहीं करने पर कार्रवाई की धमकी भी दी जा रही है। बोर्ड ने कहा कि एमपी में सरकार ने बच्चों को हाथ जोड़कर सरस्वती वंदना करने के लिए कहा जा रहा है। मुस्लिम लाॅ बोर्ड ने कहा कि संविधान की धारा 30 (1) के अनुसार अल्पसंख्यकों को अपनी शिक्षा संस्थाएं कायम करने और उनको चलाने का मौलिक अधिकार है।
बोर्ड ने की ये अपील
बोर्ड के अनुसार अरबी मदरसों में करोड़ों बच्चों के लिए खाने-पीने की सहूलियतों के साथ फ्री शिक्षा दी जाती है। ऐसे में मुस्लिम लाॅ बोर्ड ने राज्य सरकारों से इन निर्देशों को वापस लेने की मांग की है और अगर ऐसा नहीं होता है तो अल्पसंख्यक विरोधी पाॅलिसी बदलवाने के लिए सभी कानून और लोकतांत्रिक रास्ते अपनाए जाएंगे।