Mizoram New CM Lalduhoma Story: आज लालदुहोमा मिजोरम के नए सीएम की शपथ लेंगे। मिजोरम में पांच साल पहले एक संगठन बना था जिसका नाम था जोरम पीपुल्स मूवमेंट। इसमें 6 छोटी-छोटी पार्टियां शामिल थीं। 2018 के विधानसभा चुनाव में इस पार्टी ने 40 में 8 सीटों पर जीत हासिल की थी। 2019 आते-आते सारे क्षेत्रीय पार्टियां इस गठबंधन से अलग हो गई और एक नई पार्टी बना ली।
लालदुहोमा की नई पार्टी ने जेडपीएम ने 2023 के चुनाव में 40 में से 27 सीटों पर जीत हासिल की। आज 11 बजे आइजोल स्थित राजभवन में वे सीएम पद की शपथ लेंगे। लालदुहोमा का जन्म 22 फरवरी 1949 को तुआलपुई गांव के एक किसान परिवार में हुआ। बचपन से पढ़ाई-लिखाई में होशियार थे। शुरुआती पढ़ाई के बाद उन्होंने गुवाहाटी विवि में दाखिला लिया। वहां उन पर तत्कालीन सीएम सी. चुंगा की नजर पड़ी तो उन्होंने अपने ऑफिस में उन्हें असिस्टेंट की नौकरी दे दी। 1972 से 1977 तक वे सीएम ऑफिस में प्रिंसिपल अस्स्टिेंट थे। इस दौरान उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा भी पास कर ली।
गोवा में ड्रग माफिया का किया सफाया
बतौर आईपीएस उन्होंने पहली गोवा में मिली। गोवा पहुंचने के बाद उन्होंने पणजी के ASP के तौर पर पहली पोस्टिंग मिली। बाद में उन्हें नाॅर्थ गोवा के SP के तौर पर प्रमोट किया गया। उस समय पणजी को ड्रग माफिया की राजधानी कहा जाता था। ड्रग माफिया को पकड़ने के लिए लालदुहोमा वेश बदलकर उनके इलाकों में जाते थे। एक बार लालदुहोमा हिप्पी के वेश में ड्रग माफिया के क्षेत्र में गए और पूरे इलाके की टोह ली। अगले दिन उन्होंने पूरी फोर्स के साथ धावा बोल दिया।
#WATCH | Aizawl, Mizoram: Zoram People's Movement (ZPM) leader Dr Vanlalthlana takes Oath as a Cabinet Minister pic.twitter.com/5gNGb2hS9r
— ANI (@ANI) December 8, 2023
#WATCH | Aizawl, Mizoram: Zoram People's Movement (ZPM) leader PC. Vanlalruata takes oath as a Cabinet Minister pic.twitter.com/rQEIxpGhqO
— ANI (@ANI) December 8, 2023
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ऐसे बने इंदिरा के सबसे खास
ड्रग माफिया पर कार्रवाई की खबर इंदिरा गांधी के पास पहुंची तो उन्होंने लालदुहोमा को डेपुटेशन पर दिल्ली बुला लिया। इसके बाद इंदिरा ने उन्हें नागालैंड में पूर्ण राज्य के दर्जा देने की मांग को लेकर भड़की हिंसा को शांत कराने का जिम्मा सौंपा। नागालैंड में MNF के नेतृत्व में एक बड़ा आंदोलन चल रहा था। इसके बाद लालदुहोमा ने अपनी सुझबूझ से हिंसा को थाम दिया।
इसके बाद उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और निर्विरोध मिजोरम से सांसद चुने गए। इसके साथ ही पार्टी ने उन्हें अपनी मिजोरम इकाई का प्रमुख नियुक्त किया। हालांकि 1988 में दल-बदल विरोधी कानून के चलते उसकी संसद सदस्यता रद्द कर दी गई।