Manipur CM Biren Singh resigns: दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम आने के ठीक एक दिन बाद मणिपुर में बड़ा सियासी उलटफेर हुआ है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने रविवार को पद से इस्तीफा दे दिया। इससे पहले शनिवार को विशेष विमान से वह दिल्ली आए थे। दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद रविवार देर शाम इंफाल के राजभवन पहुंचे और राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इस दौरान भाजपा सांसद संबित पात्रा, राज्य के मंत्री और विधायक मौजूद थे। सीएम बीरेन सिंह के इस्तीफे के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी सुरक्षा एजेंसियों को हाईअलर्ट पर रहने के लिए कहा है।
मणिपुर सीएम ने क्या कहा?
भाजपा नेता बीरेन सिंह ने अपने इस्तीफे में लिखा, अब तक मणिपुर के लोगों की सेवा करना मेरे लिए सम्मान की बात रही है। मैं केंद्र सरकार का बहुत आभारी हूं। उन्होंने समय पर कार्रवाई की, मदद की और विकास के काम किए। हर मणिपुरी के हितों की रक्षा के लिए कई परियोजनाएं भी शुरू कीं। बीरेन सिंह ने अपने इस्तीफे में राज्य में शांति बहाली के लिए केंद्र सरकार से आवश्यक कदम उठाने की अपील की। इसके साथ ही उन्होंने राज्य में सुरक्षा और शांति से जुड़ी 5 प्रमुख मांगों को भी केंद्र के सामने रखा। उन्होंने कहा कि राज्य की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक अखंडता को बनाए रखना जरूरी है।
Manipur CM N Biren Singh hands over the letter of resignation from the post of Chief Minister to Governor Ajay Kumar Bhalla at the Raj Bhavan in Imphal. pic.twitter.com/zcfGNVdPPo
— ANI (@ANI) February 9, 2025
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इस्तीफे के बाद विधानसभा का सत्र फिलहाल रद्द
बता दें कि मणिपुर के गवर्नर अजय भल्ला फरवरी के पहले सप्ताह में दिल्ली आए थे और उन्होंने गृहमंत्री शाह से मुलाकात की थी। भल्ला ने राज्य के ताजा हालात को लेकर विस्तृत रिपोर्ट दिया था। वहीं, सोमवार से मणिपुर विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने वाला था और कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दे रखा था। बीरेन सिंह ने अविश्वास प्रस्ताव से पहले सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। अब मणिपुर सीएम के इस्तीफे के बाद सोमवार से मणिपुर विधानसभा का बुलाए गए सत्र के आदेश को फिलहाल रद्द कर दिया गया है।
बीरेन सिंह के इस्तीफा देने का एक बड़ा कारण कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव भी माना जा रहा है। जानकारी के मुताबिक, NDA में सहयोगी पार्टी NPP पीछे हट गई थी और पार्टी के कुछ नेता भी बीरेन सिंह के खिलाफ थे। पार्टी के अंदर और बाहर से दबाव के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इस्तीफे के लिए दोनो पक्षों से उन पर दबाव था। आरोप था कि बीरेन अपने मंत्रियों और विधायकों की सुरक्षा नहीं कर पाए।
भाजपा विधायकों में थी नाराजगी
बता दें कि लंबे समय से बीरेन सिंह को लेकर भाजपा विधायकों में भी नाराजगी चल रही थी। मणिपुर में भाजपा के 19 विधायकों ने पिछले साल अक्टूबर महीने में एन बीरेन सिंह को सीएम पद से हटाने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी भेजी थी। इस चिट्ठी पर साइन करने वालों में विधानसभा अध्यक्ष थोकचोम सत्यव्रत सिंह, मंत्री थोंगम विश्वजीत सिंह और युमनाम खेमचंद सिंह का नाम भी शामिल था। चिट्ठी में कहा गया था कि मणिपुर के लोग भाजपा सरकार से सवाल कर रहे हैं कि राज्य में अभी तक शांति क्यों नहीं बहाल हुई?
मणिपुर की राजनीति में हलचल
बीरेन सिंह के इस्तीफे से मणिपुर की राजनीति में हलचल मच गई है। अब देखना होगा कि केंद्र सरकार इस राज्य को लेकर क्या कदम उठाती है। क्योंकि, मणिपुर में पिछले दो साल पहले शुरू हुई जातीय हिंसा के बाद यहां का माहौल अब भी अशांत है। ऐसे में देखना होगा कि इस अशांत राज्य में शांति बहाली के लिए केंद्र सरकार क्या ठोस कदम उठाती है।
जातीय हिंसा की वजह से 250 से ज्यादा लोगों की मौत
बता दें कि मई 2023 से मणिपुर में जातीय संघर्ष जारी है। राज्य दो हिस्सों में बंट गया है। घाटी में मैतेई समुदाय का नियंत्रण है जबकि पहाड़ी इलाके में कुकी समुदाय का दबदबा है। आरक्षण और अनुदान को लेकर हुई हिंसा में 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। करीब 60,000 से ज्यादा लोग बेघर हो गए हैं।