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मजदूर के बेटे के हाथों में अब कांग्रेस की कमान, जानें मल्लिकार्जुन खड़गे ने कैसे तय किया ये सफर

Mallikarjun Kharge: कर्नाटक के एक मिल मजदूर के बेटे ने आज कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान संभाल ली। छात्र राजनीति से पॉलिटिकल करियर की शुरुआत करने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे को 19 अक्टूबर को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था। आज उन्होंने गांधी परिवार की मौजूदगी में कांग्रेस के मुख्यालय में अपना कार्यभार संभाला। […]

Edited By : Om Pratap | Updated: Oct 27, 2022 12:18
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Mallikarjun Kharge: कर्नाटक के एक मिल मजदूर के बेटे ने आज कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान संभाल ली। छात्र राजनीति से पॉलिटिकल करियर की शुरुआत करने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे को 19 अक्टूबर को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था। आज उन्होंने गांधी परिवार की मौजूदगी में कांग्रेस के मुख्यालय में अपना कार्यभार संभाला।

मल्लिकार्जुन खड़गे के कमान संभालने से पहले कांग्रेस के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर एक ट्वीट किया गया। कांग्रेस पार्टी की ओर से लिखा गया कि एक मिल मजदूर का बेटा शहर कांग्रेस अध्यक्ष से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक का सफर तय करता है- यही खूबी कांग्रेस को देश की, कार्यकर्ताओं की और आम जनता की पार्टी बनाती है।

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खड़गे को गांधी परिवार के काफी करीबियों में शामिल किया जाता है, वो गांधी परिवार के भरोसेमंद भी हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम पर कांग्रेस के अधिकतर सीनियर नेता सहमत थे। खड़गे महादलित समुदाय से आते हैं। कांग्रेस के नेताओं का मानना था कि अगर किसी दलित नेता को अध्यक्ष बनाया जाता है तो फिर पार्टी देशभर में दलित और महादलित वोट बैंक को साध सकती है। खड़गे को अध्यक्ष बनाने का फायदा कर्नाटक समेत अन्य राज्यों में हाल में होने वाले विधानसभा चुनावों में मिल सकता है।

छात्र राजनीति के बाद मजदूर नेता बने… अब पार्टी अध्यक्ष

यूनिवर्सिटी इलेक्शन से अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे गांधी परिवार के करीबी और मिस्टर भरोसेमंद हैं। छात्र राजनीति के बाद वे मजदूरों के नेता बने और कई बार उनकी आवाज को बुलंद भी किया।

कर्नाटक के बीदर जिले के वारावत्ती में 12 जुलाई 1942 को खड़गे का जन्म हुआ था। किसान परिवार में जन्मे खड़गे ने गुलबर्गा से स्कूली शिक्षा, ग्रैजुएशन तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद एलएलबी की और यहां वकालत करने लगे।

साल 1969 में खड़गे ने कांग्रेस पार्टी का हाथ थामा और तीन साल बाद 1972 में पहली बार कर्नाटक के गुरमीत विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। बता दें कि इस सीट पर वे नौ बार विधायक चुने जा चुके हैं। कई बार कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार के दौरान उन्हें मंत्री भी बनाया गया।

2009 में खड़गे पहली बार गुलबर्गा से ही सांसद चुने गए। इसके बाद इस सीट से वे दोबारा सांसद बने। मनमोहन सिंह की सरकार वे में रेल मंत्री भी रह चुके हैं। फिलहाल, वे राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद पर भी रहे हैं।

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दंगों में हुई थी मां की मौत

खड़गे जब मात्र सात साल के थे, तब बीदर जिले के वरवत्ती गांव में सांप्रदायिक दंगों में उनकी मां परिवार के कुछ अन्य सदस्यों की मौत हो गई थी। परिवार में कुछ सदस्य बचे थे जिनके साथ खड़गे कलबुर्गी जिले में आकर बस गए।  मल्लिकार्जुन खड़गे की पत्नी का नाम राधाबाई खड़गे है। खड़गे दंपति के तीन बेटे और दो बेटियां हैं। बेटे प्रियांक खड़गे कर्नाटक के कलबुर्गी जिले की चित्तापुर विधानसभा सीट से दूसरी बार कांग्रेस के विधायक हैं।

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Edited By

Om Pratap

Edited By

Manish Shukla

First published on: Oct 26, 2022 11:26 AM
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