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डाॅ. अंबेडकर ने क्यों कहा था, ‘मैं संविधान जला दूंगा’, जानें उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें

Dr. Bheemrao Ambedkar: आज डा. भीमराव अंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस है। वे भारतीय संविधान के जनक कहे जाते हैं। ऐसे में आइये जानते हैं उन्होंने अपने ही बनाए संविधान को जलाने की बात क्यों कही?

Edited By : Rakesh Choudhary | Updated: Dec 6, 2024 08:29
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Mahaparinirvan Diwas 2024
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Mahaparinirvan Diwas 2024: डाॅ. भीमराव अंबेडकर का आज यानि 6 दिसंबर को महापरिनिर्वाण दिवस है। आज ही के दिन उनकी मृत्यु हुई थी। आजादी के बाद भारत के संविधान निर्माण में उनकी अहम भूमिका थी। वे संविधान की प्रारूप कमेटी के अध्यक्ष थे। हमारे संविधान का निर्माण तो 1946 में ही शुरू कर दिया गया था। 26 नवंबर 1949 को संविधान बनकर तैयार हुआ और 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया गया। संविधान लागू होने के बाद भारत गणतंत्र कहलाया। एक बार उन्होंने संसद में कहा, वे संविधान को जला देंगे। आइये जानते हैं उन्होंने ऐसा क्यों कहा?

बात दो सितंबर 1953 की है। राज्यसभा में बहस चल रही थी। बाबा साहेब संविधान संशोधन और राज्यपाल की शक्तियां बढ़ाने को लेकर अड़े थे। वे अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए अडिग थे। बाबा साहेब ने कहा कि छोटे तबके के लोगों को हमेशा डर रहता है कि बहुसंख्यक उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं। उन्होंने आगे कहा, मेरे मित्र मुझे अक्सर कहते हैं संविधान मैंने ही बनाया है, इसको जलाने वाला भी मैं ही होऊंगा। यह किसी के लिए ठीक नहीं है।

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अल्पसंख्यकों पर कही ये बात

देश के बहुसंख्यक यह नहीं कह सकते हैं कि अल्पसंख्यकों को महत्व नहीं दें। ऐसा करने पर लोकतंत्र को ही नुकसान होगा। इसके बाद की कहानी 1955 की है। 19 मार्च को संसद की कार्यवाही के दौरान राज्यसभा में संविधान के चौथे संशोधन से जुड़े विधेयक पर चर्चा हो रही थी। तभी कार्यवाही में हिस्सा लेने पहुंचे बाबा साहेब से पंजाब के सांसद अनूप सिंह ने पूछा कि आपने 1953 में ऐसा क्यों कहा कि वे संविधान को जला देंगे।

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1953 की बहस का 1955 में दिया पूरा जवाब

इसके बाद बाबा साहेब ने कहा पिछली बार वे इसका जवाब पूरा नहीं दे पाए थे। उन्होंने कहा कि मैंने सोच समझकर संविधान को जलाने की बात कही थी। हम लोग मंदिर इसलिए बनाते हैं क्योंकि उसमें भगवान आकर रह सके। अगर भगवान से पहले ही दानव आकर रहने लगें तो मंदिर को नष्ट करने के सिवा और कोई रास्ता नहीं बचेगा। कोई यह सोचकर मंदिर नहीं बनाता कि उसमें असुर रहने लगें। सब चाहते हैं मंदिर में देवों का निवास हो। इसलिए उन्होंने संविधान जलाने की बात कही थी।

बता दें कि बाबा साहेब संविधान में संशोधन के प्रावधानों से नाराज थे। उनका मानना था कि कोई भी संविधान कितना ही अच्छा क्यों ना हो अगर उसे ढंग से लागू नहीं किया जाएगा तो वह उपयोगी साबित नहीं हो सकता।

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Edited By

Rakesh Choudhary

First published on: Dec 06, 2024 07:56 AM

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