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जज साहब! देह व्यापार चलाना है…परमिशन दे दीजिए, मद्रास हाई कोर्ट में पहुंची अजीबोगरीब डिमांड

Madras High Court: तमिलनाडु की मद्रास हाई कोर्ट में एक वकील ने अनोखी याचिका दाखिल कर दी। उसकी अनैतिक डिमांड पर कोर्ट गुस्सा हो गई। जज ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए न केवल उसकी याचिका को खारिज कर दिया, बल्कि जुर्माना भी लगाया। यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है।

Edited By : Parmod chaudhary | Updated: Jul 26, 2024 12:12
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Tamil Nadu News: तमिलनाडु की मद्रास हाई कोर्ट में एक वकील ने अजीब डिमांड वाली याचिका दाखिल कर दी। वकील ने न्यायालय से सुरक्षा की मांग भी की। इस शख्स ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जस्टिस बी पुगलेंधी की पीठ ने उसकी याचिका पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। कोर्ट ने बार काउंसिल को आदेश दिए कि वह सुनिश्चित करे कि केवल प्रतिष्ठित लॉ कॉलेज के ग्रेजुएट्स ही मेंबरशिप ले पाएं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को 10 हजार रुपये जुर्माना देने के आदेश दिए हैं।

कोर्ट ने बार काउंसिल को भी दी हिदायत

मद्रास हाई कोर्ट में प्रैक्टिशनर वकील ने हैरान कर देने वाली याचिका दाखिल की थी। शख्स ने कोर्ट से वेश्यालय (Brothel) चलाने की मांग करते हुए सुरक्षा देने की मांग की थी। याचिका देख जज इतना गुस्सा हो गए कि उन्होंने याचिकाकर्ता की वकालत की डिग्री मांग ली। कन्याकुमारी के नागरकोइल में याचिकाकर्ता एक देह व्यापार रैकेट चला रहा है। जिसके खिलाफ पुलिस एफआईआर दर्ज कर चुकी है। इस एफआईआर को रद्द करवाने के लिए ही उसने हाई कोर्ट का रुख किया था। जस्टिस बी पुगलेंधी की पीठ ने आरोपी के खिलाफ 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए बार काउंसिल को भी हिदायत दे डाली।

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न्यायालय ने कहा कि बार काउंसिल को यह अहसास होना चाहिए कि ऐसे मामलों से समाज में वकीलों की प्रतिष्ठा को झटका लगेगा। बार काउंसिल केवल उन्हीं को मेंबरशिप दे, जो प्रतिष्ठित संस्थाओं के ग्रेजुएट्स हैं। वकील राजा मुरुगन नाम के शख्स ने मद्रास हाई कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की थीं। पहली याचिका में उसने खुद के खिलाफ एफआईआर रद्द करने की मांग की। दूसरी याचिका में देह व्यापार चलाने में पुलिस को दखल देने से रोकने की गुहार लगाई थी। मुरुगन ने हवाला दिया था कि वह एक ट्रस्ट को चलाता है। जिसमें वयस्क सहमति से संबंध बनाते हैं। इससे पहले उनकी काउंसलिंग होती है। 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए उनकी ट्रस्ट थेरेपेटिक बाथ जैसी सेवाएं देती हैं।

याची ने सुप्रीम कोर्ट के मामले को सही नहीं समझा

जिसके बाद हाई कोर्ट ने कहा कि याची ने बुद्धदेव मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ठीक से नहीं समझा है। यह मामला मानव तस्करी को रोकने और यौन कर्मियों के पुनर्वास को सुनिश्चित करना था। हाई कोर्ट ने मुरुगन से अपनी लॉ डिग्रियां जमा करवाने का आदेश दिया। ताकि उनकी जांच हो सके। बार एसोसिएशन मेंबरशिप की जांच को लेकर एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ने कोर्ट में बयान दिया। कोर्ट को बताया गया कि याची बी टेक ग्रेजुएट है और बार काउंसिल का मेंबर है।

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First published on: Jul 26, 2024 12:12 PM

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