कैलाश मानसरोवर यात्रा में 7 दिन कम लगेंगे, यहां तक वाहनों में जा सकेंगे श्रद्वालु
कैलाश मानसरोवर यात्रा
Kailash Mansarovar Yatra: कैलाश मानसरोवर यात्रा पर बुधवार को बड़ा अपडेट आया है। पता चला है कि वर्ष 2024 तक तीर्थयात्री भारत के अंतिम छोर पर वाहनों में जा सकेंगे। दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा जल्द पूरा करने के दबाव के बीच सीमा सड़क संगठन द्वारा 2024 तक कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए चीन सीमा के पास लिपुलेख तक सामरिक सड़क पर काम पूरा करने की उम्मीद जताई है।
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भारतीय सेना के इंजीनियर इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने कहा, "बड़ी संख्या में खंड पूरे किए जा चुके हैं। हम 2024 तक सड़क पर काम पूरा करने की उम्मीद कर रहे हैं, जो तीर्थयात्रियों को भारत में अंतिम बिंदु तक वाहनों का उपयोग करने की अनुमति देगा।" उन्होंने आगे कहा कि सड़क परियोजना के पूरा होने के बाद तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा का समय लगभग एक सप्ताह कम हो जाएगा। धारचूला से कैलाश मानसरोवर की दूरी मात्र 115 किलोमीटर है।
सुरंग बनाने की योजना
आगे अपने बयान में लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल ने कहा कि सरकार ने परियोजना को हर संभव सहायता प्रदान की है और भारी-भरकम चिनूक हेलीकॉप्टरों का उपयोग उपकरणों को ऊंचाई तक पहुंचाने के लिए किया गया है। उन्होंने कहा कि इसमें लगने वाले समय को कम करने और अस्थिर हिस्सों से बचने के लिए मार्ग के कुछ हिस्सों में सुरंग बनाने की भी योजना है।
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1500 किमी की सड़क यात्रा है
बता दें नए मार्ग में पिथौरागथ और फिर लिपुलेख दर्रे तक की यात्रा शामिल है जो चीन के साथ सीमा पर है। सिक्किम में नाथू ला के माध्यम से कैलाश मानसरोवर यात्रा करने के लिए एक और मार्ग है जिसमें चीनी-नियंत्रित क्षेत्र में लगभग 1500 किमी की सड़क यात्रा शामिल है।
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