ट्रेनों की साफ-सफाई करने के लिए हजारों कर्मचारी काम करते हैं। इसके लिए कई ऑटोमेटिक मशीनों का भी प्रयोग किया जाता है, लेकिन अब भारतीय रेल टेक्नोलॉजी का भरपूर उपयोग कर रही है। अब वह दिन दूर नहीं जब ट्रेनों की सफाई के लिए इंसान और मशीन की जगह ड्रोन ले सकते हैं। इसका ट्रायल भी किया जा चुका है।
पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) ने असम के कामाख्या रेलवे स्टेशन पर ट्रायल आधार पर अपना पहला ड्रोन-आधारित सफाई अभियान चलाया है। बताया जा रहा है कि यह अभियान सफल रहा है। इस दौरान स्टेशन परिसर के अंदर ऊंची और कठिन जगहों की सफाई पर फोकस किया गया था, जिसमें रेल डिब्बों की छतें और उसके बाहरी हिस्से शामिल थे।
क्या बोले मुख्य जनसंपर्क अधिकारी?
एनएफआर के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कपिलंजल किशोर शर्मा ने बताया कि सफाई अभियान में कामाख्या कोचिंग डिपो की सिक लाइन, अंडर-फ्लोर व्हील लेथ शेड, स्टेशन का बाहरी गुंबद और कई ट्रेन कोच जैसे क्षेत्र शामिल थे। इस अभियान के दौरान ड्रोन की क्षमता का प्रदर्शन किया गया।
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मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि ड्रोन सफाई से न केवल ऊंचाई तक पहुंच आसान होगी, बल्कि खतरनाक या ऊंचे क्षेत्रों में मैनुअल श्रम पर निर्भरता भी कम होगी।
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इसके साथ ही यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने और बिना रुकावट के ट्रेन परिचालन सुनिश्चित करने की दिशा में पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। दरअसल, पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) ने उच्च-रिज़ॉल्यूशन सीसीटीवी कैमरे लगाकर लेवल क्रॉसिंग (एलसी) गेटों पर निगरानी को मजबूत करने की पहल की है।