K-6 Hypersonic Missile Explainer: भारतीय नौसेना के लिए ब्रह्मोस से ज्यादा तेज, घातक और ज्यादा मारक क्षमता वाला हथियार बनाया जा रहा है। इस हथियार का नाम के-6 हाइपरसोनिक मिसाइल है, जिसे बनाते ही भारत ऐसी मिसाइल रखने वाले अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन जैसी वैश्विक शक्तियों की सूची में शामिल हो जाएगा। साथ ही हिंद महासागर में भारत की ताकत और ज्यादा बढ़ जाएगी। हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए भारतीय नौसेना अपनी ताकत को मजबूत कर रहा है। नौसेना के लिए विमानवाहक पोत, स्टील्थ फ्रिगेट, पनडुब्बियों को बनाने में निवेश किया जा रहा है।
K-6 Hypersonic Missile: India’s Underwater Brahmastra Unveiled 🇮🇳
1. India is set to revolutionize its defence with the K-6 hypersonic missile, more powerful than BrahMos.
---विज्ञापन---2. With a blazing speed of 9,000+ km/h and a massive 8,000 km range, it can strike anywhere in Pakistan.… pic.twitter.com/UDl0Dh8fCS
— The Engine Mechanic (@rajesh_patial78) June 26, 2025
कैसे लॉन्च की जा सकेंगी मिसाइल?
भारतीय रक्षा अनुसंधान विंग ने K-6 हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल के बारे में अहम जानकारी मीडिया ब्रीफिंग में दी हैं। उन्होंने बताया कि K-6 सबमरीन लॉन्चड बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) हैं, यानी इस मिसाइल को पनडुब्बियों से भी लॉन्च किया जा सकेगा। हैदराबाद स्थित DRDO की एडवांस्ड नेवल सिस्टम्स लैबोरेटरी में बनाया जा रहा है। इस लैब में ही परमाणु ऊर्जा से चलने वाली S-5 पनडुब्बियों को डिजाइन किया जा रहा है, जिनसे यह मिसाइल लॉन्च हो सकेंगी। यह पनडुब्बियां करीब 12 मीटर लंबी, 2 मीटा चौड़ी होंगी। 2 से 3 टन वारहेड ले जाने में सक्षम होंगी। ब्रह्मोस से ज्यादा एडवांस K-6 मिसाइल परमाणु हथियारों को भी ले जाने में सक्षम होगी।
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मारक क्षमता करेगी पाकिस्तान को कवर
K-6 SLBM इसकी स्पीड 7.5 मैक (9261 किलोमीटर प्रति घंटा) होगी और एक मिसाइल पाकिस्तान के कराची शहर को तबाह करने में सक्षम होगी। अगर यह शहर तबाह हो गया तो पाकिस्तान आर्थिक रूप से पंगु बन जाएगा। मिसाइल की मारक क्षमता 8000 किलोमीटर हो सकती है और यह दूरी पूरे पाकिस्तान को कवर करती है। भारत इससे पहले K-3 (1000 से 2000 किलोमीटर की रेंज), K-4 (3500 किलोमीटर की रेंज), K-5 (5000 से 6000 किलोमीटर की रेंज) वाली मिसाइलों का परीक्षण कर चुका है। K-4 और K-5 मिसाइल नौसेना का हिस्सा बन चुकी हैं। K-6 को भी परीक्षण के बाद नौसेना को सौंप दिया जाएगा।