भारतीय वायुसेना के बाद अब भारतीय नौसेना के लिए फ्रांस राफेल मरीन लड़ाकू विमान बनाने जा रहा है। भारतीय रक्षा मंत्रालय ने 63,000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। रक्षा मंत्रालय ने न्यूज 24 को बताया कि 63,000 करोड़ रुपये से अधिक के इस सरकारी सौदे पर जल्द ही हस्ताक्षर किए जाएंगे।
आपको बता दें कि इस डील से भारतीय नौसेना को 22 सिंगल-सीटर और चार ट्विन-सीटर विमान मिलेंगे। फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन कंपनी के अधिकारियों ने पिछले महीने दिल्ली में आकर रक्षा मंत्री के सामने एक डेमो दिया था। इस डेमो के जरिए इसकी ताकत और क्षमता के बारे में बताया गया था। समुद्र के सिकंदर भारतीय नौसेना के लिए यह विमान बहुत ही ताकतवर साबित होने वाला है क्योंकि समुद्र की लहरों के बीच इसकी मारक क्षमता और अधिक होगी।
आईएनएस विक्रांत पर होगा राफेल जेट का इस्तेमाल
बताया गया कि राफेल जेट का इस्तेमाल आईएनएस विक्रांत पर भी किया जाएगा। यह डील सिर्फ सौदे तक ही सीमित नहीं, बल्कि यह भारतीय सामरिक ताकत को भी एक नई दिशा देगा। न्यूज 24 से बातचीत के दौरान नौसेना के एक कमांडर ने बताया कि नए राफेल एम विमान पुराने MiG-29K और MiG-29KUB विमानों की जगह लेंगे। ये पुराने विमान अभी भारतीय नौसेना के 300 स्क्वाड्रन, व्हाइट टाइगर्स और 303 स्क्वाड्रन ब्लैक पैंथर्स में इस्तेमाल हो रहे हैं।
उन्होंने बताया कि नए राफेल जेट आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य नाम के एयरक्राफ्ट कैरियर से उड़ान भरेंगे। इन 26 विमानों में से दो विमान ट्रेनी विमान होंगे, जो फाइटर पायलट की ट्रेनिंग में काम आएंगे। आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य के लिए इन विमानों को खास तरह से डिजाइन करके बनाया जाएगा। साल 2029 से सभी 26 राफेल विमानों की डिलीवरी शुरू हो जाएगी। अगर फ्रांस डिलीवरी में देरी करेगा तो मंत्रालय कीमत से 5 प्रतिशत जुर्माना भी लगा सकता है।
नौसेना के मामले में भारत की रैंकिंग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने इस सौदे को मंजूरी दी है। राफेल मरीन अपनी एडवांस एवियोनिक्स, वेपन सिस्टम और एयर वारफेयर में अपनी कुशलता के लिए जाना जाता है। अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत के पास दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर सेना है। मगर नौसेना के मामले में भारत की रैंकिंग 7वीं है।