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Heeraba Modi death: पीएम मोदी के साथ सार्वजनिक कार्यक्रमों में क्यों नहीं दिखती थीं मां हीराबेन? सिर्फ ये दो पल रहे खास

Heeraba Modi death: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबा का शुक्रवार को अहमदाबाद में 100 साल की उम्र में निधन हो गया। उनके 100वें जन्मदिन पर प्रधानमंत्री ने खुलासा किया था कि उनकी मां कभी भी उनके साथ सरकारी या सार्वजनिक कार्यक्रमों में क्यों नहीं जातीं। पीएम मोदी ने देश के प्रधानमंत्री के रूप में […]

Heeraba Modi death: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबा का शुक्रवार को अहमदाबाद में 100 साल की उम्र में निधन हो गया। उनके 100वें जन्मदिन पर प्रधानमंत्री ने खुलासा किया था कि उनकी मां कभी भी उनके साथ सरकारी या सार्वजनिक कार्यक्रमों में क्यों नहीं जातीं। पीएम मोदी ने देश के प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभालने के बाद हीराबा को याद करते हुए कहा था, 'मुझे आप पर गर्व है। मेरा कुछ भी नहीं है। मैं भगवान की लीला में एक साधन मात्र हूं।' प्रधानमंत्री ने 'Mother' नामक एक ब्लॉग पोस्ट में बताया है, 'उन्हें(हीराबेन) दो मौकों के अलावा कभी भी मेरे साथ नहीं देखा गया है। और पढ़िए –Heeraben Modi Passes Away: PM मोदी की मां के निधन पर खड़गे ने जताया दुख, बोले- प्रधानमंत्री के साथ हमारी संवेदनाएं

पहला मौका था ये

पीएम मोदी ने कहा, 'आपने देखा होगा कि मां कभी भी किसी भी सरकारी या सार्वजनिक कार्यक्रम में मेरे साथ नहीं जाती हैं। वह अतीत में केवल दो अवसरों पर मेरे साथ आई हैं। एक बार, अहमदाबाद में एक सार्वजनिक समारोह में जब उन्होंने मेरे माथे पर तिलक लगाया था, तब मैं श्रीनगर से लौटा, जहां मैंने एकता यात्रा पूरी करते हुए लाल चौक पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया था।' यह पहली बार था। मोदी कहते हैं, 'मां के लिए वह बेहद भावुक क्षण था क्योंकि एकता यात्रा के समय फगवाड़ा में हुए आतंकी हमले में कुछ लोग मारे गए थे। वह उस समय अत्यंत चिंतित हो उठी। फिर दो लोगों ने मुझे बुलाया। एक थे अक्षरधाम मंदिर के श्राद्धेय प्रमुख स्वामी और दूसरी थीं माता। उनकी राहत महसूस की जा सकती थी। और पढ़िए –Heeraben Modi Passes Away: पहले ट्वीट फिर गुजरात पहुंचकर PM मोदी ने ऐसे दी मां को अंतिम विदाई, देखें फोटोज

दूसरा मौका था ये

पीएम कहते हैं, 'दूसरा उदाहरण है जब मैंने पहली बार 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। दो दशक पहले आयोजित शपथ ग्रहण समारोह आखिरी सार्वजनिक कार्यक्रम था जिसमें मां मेरे साथ शामिल हुई थीं। तब से, वह मेरे साथ एक भी सार्वजनिक कार्यक्रम में नहीं गई।'

जब मां ने आने से मना कर दिया

वे कहते हैं, 'मुझे एक और घटना याद आती है। जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री बना तो मैं अपने सभी शिक्षकों को सार्वजनिक रूप से सम्मानित करना चाहता था। मैंने सोचा कि मां मेरे जीवन की सबसे बड़ी गुरु हैं और मुझे उनका भी सम्मान करना चाहिए। यहां तक कि हमारे शास्त्रों में भी मां से बड़ा कोई गुरु नहीं बताया गया है- 'नास्ति मातृ समो गुरुः'। मैंने अपनी मां से कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। उन्होंने कहा, 'देखिए, मैं एक साधारण औरत हूं। हो सकता है मैंने तुम्हें जन्म दिया हो, लेकिन तुम्हें सर्वशक्तिमान ने सिखाया और पाला है।' उस दिन सभी शिक्षकों को सम्मानित किया गया था, लेकिन मां के लिए।' और पढ़िए – देश से जुड़ी खबरें यहाँ पढ़ें


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