क्या होते हैं भगदड़ मचने के कारण?
हाथरस की घटना पहली नहीं है। भारत देश ने पहले भी मंदिरों और धार्मिक कार्यक्रमों के दौरान भगदड़ की स्थिति देखी है। साल 2013 में आई 'इंटरनेशनल जर्नल ऑफ डिजास्टर रिस्क रीडक्शन' की एक स्टडी में पाया गया था कि भारत में होने वाली भगदड़ की घटनाओं में 79 फीसदी धार्मिक आयोजनों और तीर्थयात्राओं की वजह से होती हैं। बहुत ज्यादा भीड़ भगदड़ का एक सामान्य फैक्टर है लेकिन इसके साथ ही सामूहिक घबराहट, तंग जगह और अव्यवस्थित मैनेजमेंट की वजह से भी ऐसी स्थिति बनने में बड़ा रोल निभाते हैं। यह फैक्टर भी गौर करने वाला है कि पश्चिमी देशों को देखा जाए तो वहां भी ऐसी घटनाएं होती हैं लेकिन म्यूजिक कन्सर्ट्स और नाइट क्लब्स आदि में। लेकिन भारत जैसे विकासशील देशों में ऐसी स्थिति अधिकतर धार्मिक आयोजनों में होती है।
एक्सपर्ट्स के अनुसार भगदड़ आम तौर पर तब मचती है जब भीड़ में पैनिक की स्थिति बन जाती है। इसे एक मानसिक स्थिति के रूप में देखा जाता है जो एंग्जाइटी और डर की वजह से बनती है। इसके परिणाम स्वरूप लोगों में भागने या लड़ने की प्रवृत्ति एक्टिव हो जाती है। इसकी वजह से लोग पैनिक में इधर-उधर भागने लगते हैं और कई बार अपने रास्ते में आने वाले लोगों की परवाह भी नहीं करते और कुचलते हुए निकलते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसी जगहों पर जहां प्रॉपर रास्ते नहीं होते वहां भीड़ जमा होने पर भगदड़ की स्थिति बनने की आशंका ज्यादा रहती है। इसके अलावा क्राउड मैनेजमेंट का अभाव भी ऐसी ट्रैजेडी को ट्रिगर करता है। अगर बड़े आयोजनों के से नियमों और प्रक्रिया का सही तरीके से पालन किया जाए तो इससे बचा जा सकता है।
भगदड़ में फंस जाएं तो कैसे रहें सेफ?
सबसे पहले तो यह जानने की जरूरत है कि क्या इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि भगदड़ मचने वाली है? एक्सपर्ट्स के अनुसार आम तौर पर लोग समझ ही नहीं पाते कि वह भगदड़ में हैं। अगर आपरो अनियंत्रित तरीके से लोग इधर-उधर भागते दिखें तो यह इस बात का संकेत है कि भगदड़ मच सकती है। अगर आपको ऐसा लगता है कि ऐसी स्थिति बनने वाली है तो आपको मदद के लिए आवाज लगानी चाहिए। तैयारी सबसे अहम होती है। अगर आप किसी बहुत बड़े प्रोग्राम में शामिल हो रहे हैं तो सभी एग्जिट्स का ध्यान रखें। अगर आपात स्थिति बनती है तुरंत बाहर निकलें और उस जगह से दूर चले जाएं। हालांकि, भगदड़ से बचने का सबसे बेहतर तरीका यही है कि पहले से प्रॉपर तैयारी कर ली जाए। यानी पर्याप्त जगह के साथ सुरक्षा के इंतजाम हों।
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