Export duty on Onions: टमाटर के भाव आसमान से जमीन पर उतरने लगे हैं। अब लोगों को चिंता सताने लगी है कि उन्हें अब कहीं प्याज न रूलाने लगे। इस बात की चिंता केंद्र सरकार को भी है। शनिवार को सरकार ने प्याज के निर्यात पर 40 फीसदी शुल्क लगा दिया है। वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि 31 दिसंबर 2023 तक प्याज के निर्यात पर 40 फीसदी शुल्क लगेगा। सरकार के इस कदम से यह कन्फर्म हो गया है कि प्याज की कीमतें बढ़ने वाली थी। सरकार ने दाम बढ़ोत्तरी पर अंकुश लगाने और घरेलू बाजार में आपूर्ति में सुधार लाने के लिए यह कदम उठाया है।
11 अगस्त से शुरू हुआ बफर स्टॉक का इस्तेमाल
केंद्र सरकार ने अपने बफर स्टॉक से 11 अगस्त से मुख्य सब्जी जारी करना शुरू किया है। केंद्र ने पहले फैसला लिया था कि वह 2023-24 सीजन में बफर स्टॉक के रूप में तीन लाख टन प्याज भंडार करेगी। इससे पहले 2022-233 में केंद्र ने 2.51 लाख टन प्याज का बफर स्टॉक बनाया था।
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कब सरकार खाली करती है बफर स्टॉक?
दरअसल, जब आपूर्ति के सापेक्ष डिमांड बढ़ जाती है तो महंगाई भी बढ़ती है। ऐसे हालात में किसी खाद्य सामग्री के दाम बढ़ जाते हैं और उसकी आपूर्ति कम हो जाती है तो सरकार इमरजेंसी में अपने बफर स्टॉक का इस्तेमाल करती है। ऐसा महंगाई पर नियंत्रण के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
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विपणन एजेंसियों के साथ हुई अहम मीटिंग
केंद्र सरकार के अधीन खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने प्याज की कीमतों पर नियंत्रण के लिए अहम बैठक की। विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह ने गुरुवार को कृषि विपणन एजेंसियों – नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (NAFED) और नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NCCF) के प्रबंध निदेशकों के साथ एक बैठक की। इस दौरान प्याज की कीमतों पर अंकुश लगाने के उपाय खोजे गए।
बैठक में उन राज्यों या क्षेत्रों के प्रमुख बाजारों को लक्षित करके प्याज के स्टॉक को जारी करने का निर्णय लिया गया, जहां खुदरा कीमतें राष्ट्रीय औसत से ऊपर चल रही हैं और जहां पिछले महीने और वर्ष में कीमतों में वृद्धि की दर सीमा स्तर से ऊपर है। खाद्य मंत्रालय ने बताया कि ई-नीलामी के माध्यम से निपटान और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर खुदरा बिक्री का भी पता लगाया जा रहा है।
सबसे ज्यादा रवी सीजन में होती है पैदावार
रबी प्याज की कटाई अप्रैल-जून के दौरान की जाती है, जो कुल प्याज उत्पादन का 65 प्रतिशत है। यह पैदावार अक्टूबर-नवंबर में खरीफ फसल की कटाई तक लोगों की डिमांड पूरी करती है।
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(playideas.com)