Garbage Fire: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने कोच्चि नगर निगम के खिलाफ पर्यावरण मुआवजे में रूप में 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। कहा जा रहा है कि मामला कोच्चि में कचरा डंप साइट पर आग लगाने से जुड़ा है।
ट्रिब्यूनल ने कहा कि एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 2 मार्च 2023 को कचरे के डंप साइट पर आग लगने के कारण कोच्चि शहर बंद हो गया था, जिससे संकट की स्थिति पैदा हो गई थी।
अस्पतालों को अलर्ट मोड पर रखा गया था
कोच्चि के निवासियों को घर के अंदर रहने के लिए एक चेतावनी जारी की गई थी और अस्पतालों को गंभीर वायु प्रदूषण और इसके चिंताजनक सार्वजनिक स्वास्थ्य नतीजों से निपटने के लिए श्वसन संकट वाले रोगियों के आपातकालीन प्रवेश की तैयारी करने के लिए कहा गया था।
National Green Tribunal (NGT) has imposed a fine of Rs 100 crores on Kochi Municipal Corporation for allegedly continuing neglect of its duties resulting in a fire at a waste dump site in Kochi. pic.twitter.com/RiEsEX3Ca8
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) March 18, 2023
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि पीड़ितों के सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दों से निपटने सहित आवश्यक उपचारात्मक उपायों के लिए एक महीने के भीतर मुख्य सचिव, केरल के पास 100 करोड़ रुपये जमा किए जाए।
ट्रिब्यूनल में केरल सरकार ने क्या दिया जवाब?
ट्रिब्यूनल ने कहा कि केरल राज्य के जवाब में कहा गया है कि डंप साइट 100 एकड़ भूमि में फैली हुई है। यहां कचरे को संसाधित करने का ठेका एक ठेकेदार को दिया गया है, लेकिन केवल 33 प्रतिशत काम पूरा हो हुआ है। साइट पर पहले कई बड़ी और छोटी आग लग चुकी हैं।
राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि वर्तमान घटना 2 मार्च, 2023 को शाम 5:30 बजे हुई। अग्नि और बचाव विभाग ने आग पर काबू पाने के उपाय किए। नौसेना आग के ढेर पर पानी गिराने के लिए हेलीकॉप्टरों को तैनात किया गया था। 5 मार्च, 2023 तक आग पर काबू पा लिया गया था।
राज्य सरकार ने कहा- जारी की गई थी हेल्थ एडवाइजरी
राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि 4 मार्च 2023 को आम जनता को मास्क का उपयोग करने और घर के अंदर रहने के लिए हेल्थ एडवाइजरी जारी की गई थी। अधिक संवेदनशील नागरिकों, वरिष्ठ नागरिकों, 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, बीमार व्यक्तियों और गर्भवती महिलाओं को अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी गई थी।
राज्य सरकार ने बताया कि चिकित्सा शिविर आयोजित किए गए। 120 ऑक्सीजन बेड लगाए गए थे। 200 लोगों ने चिकित्सा सहायता मांगी थी। आग पर काबू पाने के लिए फायर ब्रिगेड की 30 गाड़ियों को मौके पर लगाया गया था। 14 उच्च क्षमता वाले पानी के पंप, 350 फायरमैन और 150 सहायक कर्मचारियों के साथ चार हेलीकॉप्टर साइट पर आग पर काबू पाने में जुटे थे।
राज्य सरकार के जवाब के बाद ट्रिब्यूनल ने क्या कहा?
राज्य सरकार की ओर से दिए गए जवाब के बाद ट्रिब्यूनल ने कहा कि यह स्पष्ट है कि अपशिष्ट प्रबंधन के मामले में सुशासन की लंबे समय से उपेक्षा की जा रही है, जिससे पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि शासन की ऐसी घोर विफलता के लिए किसी ने नैतिक जिम्मेदारी नहीं ली है और सार्वजनिक स्वास्थ्य को नुकसान भी पहुंचा है।
ट्रिब्यूनल ने कहा कि राज्य के अधिकारियों का ऐसा रवैया कानून के शासन के लिए खतरा है। एनजीटी ने कहा कि हमें उम्मीद है कि संविधान और पर्यावरण कानून के शासनादेश को बनाए रखने के लिए डीजीपी और मुख्य सचिव जैसे राज्य में उच्च स्तर पर स्थिति का समाधान किया जाएगा।