भारत की सुरक्षा को लेकर अभी काफी गंभीरता बरती जा रही है क्योंकि हाल ही में तीन राज्यों हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश से 11 पाकिस्तानी जासूसों को गिरफ्तार किया गया है, जो देश की गुप्त जानकारियां पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI को भेज रहे थे। इन जासूसों ने सोशल मीडिया और हनीट्रैप जैसे चालाक तरीकों का इस्तेमाल किया। यह मामला इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि हाल ही में CRPF के एक जवान को भी जासूसी करते पकड़ा गया, जो अपने ही देश के खिलाफ गद्दारी कर रहा था। आइए जानें ऐसे मामलों में दोषियों को क्या सजा मिलती है और ये गद्दार आखिर कैसे पकड़ में आते हैं।
पहलगाम हमले के बाद जासूसी नेटवर्क का खुलासा
भारत में हाल ही में एक बड़ी जासूसी साजिश का पर्दाफाश हुआ है। सुरक्षा एजेंसियों ने हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश से 11 पाकिस्तानी जासूसों को गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद शुरू हुई। जांच में पता चला कि ये लोग सोशल मीडिया, हनीट्रैप और पैसों के लालच में फंसकर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI को भारत की संवेदनशील जानकारियां दे रहे थे। इन जासूसों में ट्रैवल व्लॉगर, सुरक्षा गार्ड, ऐप डेवलपर जैसे लोग शामिल हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने बताया कि इस नेटवर्क का निशाना खासकर 20 से 30 साल के युवा थे जो सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं।
हरियाणा, पंजाब और यूपी से पकड़े गए जासूस
गिरफ्तार किए गए जासूसों में हरियाणा के हिसार से ज्योति मल्होत्रा, पानीपत से नोमान इलाही, कैथल से देवेंद्र ढिल्लन और नूंह से मोहम्मद अरमान व तारीफ शामिल हैं। पंजाब के जालंधर से मोहम्मद मुर्तजा अली, गुरदासपुर से सुखप्रीत और करनबीर सिंह, मलेरकोटला से गजाला खातून व यामीन मोहम्मद को पकड़ा गया। यूपी के मुरादाबाद से शहजाद को भी गिरफ्तार किया गया है। इनमें से कई लोग पैसे और लालच में फंसकर भारत की सैन्य ठिकानों की जानकारी और तस्वीरें ISI को भेज रहे थे। यह नेटवर्क धीरे-धीरे सोशल मीडिया और फर्जी पहचान के जरिए युवाओं को अपने जाल में फंसा रहा था।
CRPF का जवान भी निकला गद्दार
इस बीच एक और बड़ा खुलासा तब हुआ जब केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) का जवान मोती राम जाट भी जासूसी के आरोप में पकड़ा गया। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उसे गिरफ्तार किया। वह पहले कश्मीर में तैनात था और आरोप है कि वह पाकिस्तान के अधिकारियों के संपर्क में था और उन्हें भारत की सुरक्षा से जुड़ी जानकारियां भेज रहा था। इसके बदले में उसे पैसे भी मिले थे। यह मामला और गंभीर इसलिए हो गया क्योंकि यह जवान पहलगाम हमले के समय भी ड्यूटी पर था और उसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी गोपनीय कार्रवाई की जानकारी भी थी।
ऐसे पकड़े जाते हैं सेना के अंदर के गद्दार
सेना और अर्धसैनिक बलों में ऐसे मामलों को पकड़ने के लिए खास साइबर सेल बनाए जाते हैं। इनका काम होता है सोशल मीडिया पर जवानों की गतिविधियों की निगरानी करना, कॉल रिकॉर्ड्स की जांच करना और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना देना। जब भी किसी जवान पर शक होता है, उसके फोन ट्रेस किए जाते हैं और डिजिटल सबूत इकट्ठा किए जाते हैं। इसके बाद सेना की पुलिस सबसे पहले ऐसे जवान को हिरासत में लेती है और फिर उसे NIA जैसी जांच एजेंसी को सौंपा जाता है। जवान को तुरंत निलंबित कर दिया जाता है और उसकी पेंशन और बाकी सभी सुविधाएं खत्म कर दी जाती हैं।
गद्दारी करने की क्या मिलती है सजा
ऐसे मामलों में ‘ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट 1923’ के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है। इसके अलावा भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152, 147 और 148 भी लगाई जाती हैं। इन धाराओं के तहत अगर कोई जवान या अधिकारी देश से गद्दारी करता है और दोषी पाया जाता है, तो उसे कम से कम 3 साल की सजा और अधिकतम आजीवन कारावास तक हो सकता है। इससे यह साफ संदेश दिया जाता है कि देश के साथ गद्दारी करने वालों के लिए कोई माफी नहीं है। जवानों को देश की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा जाता है और अगर वही लोग देश को नुकसान पहुंचाएं, तो कानून सबसे सख्त कार्रवाई करता है।