‘जनता को इनकम सोर्स जानने का अधिकार नहीं’, इलेक्टोरल बॉन्ड पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को दिया जवाब
Supreme Court
Citizens Dont Have Right To know source of electoral funds Centre Says In Suprme Court: इलेक्टोरल बॉन्ड के तहत राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे को सार्वजनिक किए जाने की मांग वाली याचिका पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में अपना मत स्पष्ट कर दिया है। अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने संविधान के अनुच्छेद 19 (1) का हवाला देते हुए कहा कि नागरिकों को इसका अधिकार नहीं है कि वे चुनावी बॉन्ड फंड के बारे में जानें। इलेक्टोरल बॉन्ड किसी कानून या अधिकार का उल्लंघन नहीं करती है। अटॉर्नी जनरल ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष 31 अक्टूबर की सुनवाई से पहले रविवार को सुप्रीम कोर्ट में अपने विचार रखे।
अटॉर्नी जनरल ने ने 2003 में पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का भी हवाला दिया। जिसमें उम्मीदवारों को अपने आपराधिक इतिहास की घोषणा करने का निर्देश दिया गया था, ताकि मतदाताओं को पता चल सके कि उम्मीदवारों की क्रिमिनल हिस्ट्री क्या है। लेकिन पार्टियों की इनकम और पैसे के पोर्स को जानने का अधिकार नहीं है।
कांग्रेस और भाजपा के बीच वॉकयुद्ध शुरू
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने भाजपा पर इस मुद्दे को लेकर निशाना साधा। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि भाजपा चोरी-छिपे, गलत तरीके से और साजिश के तहत बड़े-बड़े कॉर्पोरेट से कमाए हुए पैसों की फंडिंग करेगी। देखते हैं कौन जीतता है? बड़े कार्पोरेट या छोटे नागरिक जो पार्टियों को चंदा देने में गर्व महसूस करते हैं।
वहीं, भाजपा के आईटी सेल हेड अमित मालवीय ने कहा कि कांग्रेस ज्यादा पारदर्शी और लोकतांत्रिक पॉलिटिकल फंडिंग सिस्टम को लागू करने की कोशिशों का विरोध करती है। सच्चा लोकतंत्र तब है, जब छोटे व्यापारी और बड़े कार्पोरेट किसी भी पार्टी को डोनेशन दे सकें और अगर कोई अलग पार्टी सत्ता में आती है तो उन्हें अपने से बदला लिए जाने का डर न हो।
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