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Operation Sindoor: भारत के एक तीर से तीन निशाने, पाकिस्तान से बदला, चीन-तुर्की को दिखाई औकात

पहलगाम हमले के बाद भारत ने न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि उसके दो सहयोगियों तुर्की और चीन को भी सबक सिखाया है। पाकिस्तान ने तनाव के दौरान भारत के खिलाफ चीन और तुर्की से खरीदे गए हथियार काम में लिए जोकि भारत के हथियारों के सामने खिलौना साबित हुए।

Author Edited By : Rakesh Choudhary Updated: May 12, 2025 14:16
China Pakistan Turkey axis, Operation Sindoor
Operation Sindoor

जब भारत पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करता है, तो वह दरअसल एक नहीं, बल्कि कई मोर्चों पर लड़ता है—जिसमें पाकिस्तान के पीछे खड़ा चीन और उसके साथ खड़ा तुर्की भी शामिल हैं। पाकिस्तान जिन हथियारों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ करता है, वे अधिकतर चीन और तुर्की जैसे देशों से सप्लाई होते हैं। चीन की रणनीति साफ है—वह पाकिस्तान को एक मोहरे की तरह इस्तेमाल कर भारत के खिलाफ अपनी चालें चल रहा है।

पाकिस्तान को तुर्की और चीन से मदद मिली

हाल ही में चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान को न सिर्फ उसके ही घर में घुसकर करारा जवाब दिया, बल्कि ऐसे निशाने साधे कि भविष्य में वह कोई भी दुस्साहस करने से पहले कई बार सोचेगा। भारत की एयरस्ट्राइक और उसके बाद की कार्रवाई ने पाकिस्तानी आतंकियों और सैन्य ठिकानों को गंभीर नुकसान पहुंचाया। इस पूरी प्रक्रिया में पाकिस्तान को पर्दे के पीछे से तुर्की और चीन की मदद मिल रही थी, लेकिन भारतीय बलों ने हर कदम पर उनकी चालबाजियों को नाकाम कर दिया।

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पाकिस्तान ने भारतीय शहरों और सीमाई इलाकों में हमले की कोशिश की, लेकिन देश के एयर डिफेंस सिस्टम ने उसकी हर हरकत को नाकाम कर दिया। खास बात यह रही कि इस बार पाकिस्तानी हमलों में तुर्की में बने असिसगार्ड सोंगार ड्रोन का इस्तेमाल किया गया। इन ड्रोन को निगरानी और सटीक हमलों के लिए डिजाइन किया गया है। शुरुआती जांच में पता चला कि ये ड्रोन तुर्की से पाकिस्तान पहुंचे थे, जिससे साफ है कि तुर्की हथियारों के जरिए पाकिस्तान को अप्रत्यक्ष समर्थन दे रहा है।

हम किसी भी चुनौती का सामना करने को तैयार

साथ ही, चीन की भूमिका भी अब किसी से छुपी नहीं रही। भारत के खिलाफ हमलों में पाकिस्तान ने जिन हथियारों का इस्तेमाल किया, उनमें से अधिकांश चीन निर्मित थे—जैसे JF-17 और J-10CE फाइटर जेट, PL-15E मिसाइलें और HQ-9 डिफेंस सिस्टम। यह पहली बार था जब भारत के खिलाफ इन चीनी हथियारों को खुले तौर पर प्रयोग किया गया।

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इन हालातों में यह जरूरी है कि भारत अपने सैन्य ढांचे को इन विदेशी हथियारों की काट के लिए और मजबूत बनाए। चीन और तुर्की जैसे देशों से मिल रही सैन्य मदद पाकिस्तान की क्षमताओं को बढ़ा सकती है, लेकिन भारत की जवाबी रणनीति ने साबित कर दिया कि हमारे बल किसी भी स्तर की चुनौती का सामना कर सकते हैं।

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चर्चा में रही अमेरिका की भूमिका

इस पूरे घटनाक्रम में अमेरिका की भूमिका भी चर्चा में रही। पाकिस्तान ने अमेरिका से तनाव कम कराने की गुहार लगाई, लेकिन भारत ने स्पष्ट रूप से कहा कि किसी तीसरे पक्ष की दखल की कोई गुंजाइश नहीं है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से बातचीत में साफ कहा कि भारत किसी भी हमले का जवाब मजबूती से देगा। ट्रंप की ओर से एक बार फिर मध्यस्थता का सुझाव सामने आया, लेकिन भारत ने दो टूक शब्दों में यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। भारत का रुख स्पष्ट है कश्मीर न तो विवाद है और न ही कोई मध्यस्थता का विषय।

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First published on: May 12, 2025 01:20 PM

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