Chandrayaan 3 Pragyan Rotating Video: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार को चंद्रयान-3 मिशन पर गए प्रज्ञान रोवर का एक वीडियो जारी किया है। रिपोर्ट के अनुसार, वीडियो चंद्रमा की सतह पर प्रज्ञान की मजेदार अठखेलियों का है। लैंडर के कैमरे से कैद किए गए वीडियो में रोवर एक सुरक्षित रास्ते की तलाश में घूमता दिख रहा है।
जानकारी के मुताबिक, 23 अगस्त को चंद्रयान-3 मिशन के चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद से लैंडर और रोवर कड़ी मेहनत कर रहे हैं। अंतरिक्ष एजेंसी ने मंगलवार को चंद्रमा की सतह के तापमान प्रोफाइल का डेटा भी जारी किया था। कहा था कि चंद्रयान-3 ने चंद्रमा पर कई तत्वों की मौजूदगी का पता लगाया है। विशेष रूप से चंद्रमा पर सल्फर की मौजूदगी की पुष्टि के संकेतों का भी पता चला है। जो चंद्रमा पर इसका पहला प्रत्यक्ष प्रमाण है।
Chandrayaan-3 Mission:
The rover was rotated in search of a safe route. The rotation was captured by a Lander Imager Camera.It feels as though a child is playfully frolicking in the yards of Chandamama, while the mother watches affectionately.
Isn't it?🙂 pic.twitter.com/w5FwFZzDMp---विज्ञापन---— ISRO (@isro) August 31, 2023
प्रज्ञान की ये है खूबी
इसरो की ओर से वीडियो को जारी करते हुए लिखा है कि सुरक्षित मार्ग की तलाश में रोवर को घुमाया गया। रोटेशन को लैंडर इमेजर कैमरे से कैप्चर किया गया था। इसरो ने आगे लिखा कि ऐसा महसूस होता है मानो कोई बच्चा चंदामामा के आंगन में अठखेलियां कर रहा हो, और मां स्नेहपूर्वक देख रही हो। है ना?
रोवर पर एलआईबीएस (लेजर-प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप) उपकरण एक उच्च-ऊर्जा पल्सर का उपयोग करता है जो चट्टानों और मिट्टी से प्लाज्मा पैदा कर सकता है। इसरो के अनुसार, इस अवस्था में तत्व विशिष्ट तरंग दैर्ध्य में विकिरण उत्सर्जित करते हैं, जिनका उपयोग उनकी पहचान करने के लिए किया जा सकता है।
इसरो के नवीनतम वीडियो में देखा गया है कि रोवर के लिए यह हमेशा आसान नहीं होता है। सोमवार को एजेंसी ने घोषणा की कि प्रज्ञान को अपने रास्ते में एक बड़े गड्ढे का सामना करना पड़ा, जिसका मतलब था कि उसे अपना रास्ता दोबारा बदलना पड़ा। रोवर और लैंडर दोनों को चंद्र दिवस (पृथ्वी के 14 दिन के बराबर एक दिन) की सतह के हिसाब से ही डिजाइन किया गया है।
चंद्रमा की रातें हद से ज्यादा ठंडी
चंद्रमा पर दिन का समय 23 अगस्त को शुरू हुआ, जिस दिन चंद्रयान ने यहां लैंडिंग की थी। चंद्र दिवस के दौरान सूर्य की रोशनी लगातार उपलब्ध रहेगी। चूंकि मिशन के उपकरण सौर ऊर्जा से संचालित हैं, वे केवल एक चंद्र दिवस तक ही चालू रह सकते हैं। बताया गया है कि चंद्रमा पर रात के समय अत्यधिक ठंड है। तापमान शून्य से 100 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है। लिहाजा प्रज्ञान रात में काम नहीं कर सकता है।