पश्चिम बंगाल: पश्चिम बंगाल में बांग्ला दिवस मनाने को लेकर एक बार फिर भाजपा के सभी विधायक और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आमने-सामने आ गए हैं। भाजपा के विधायक जहां एक ओर 20 जून को ही बांग्ला दिवस मनाने की बात कह रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 20 जून की जगह पहले वैशाख में बांग्ला दिवस मनाने पर अड़ी हैं। उन्होंने तो यहां तक कह दिया है कि यदि राज्यपाल हस्ताक्षर नहीं करते तो पहले वैशाख को बांग्ला दिवस मनाया जाएगा।
गौरतलब है कि बीते वर्ष पश्चिम बंगाल की विधानसभा में 20 जून को राज्यपाल ने बांग्ला दिवस मनाया था और तभी से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल के बीच में विरोधी स्वर शुरू हो गए थे। भाजपा विधायकों का कहना था कि अब हर वर्ष 20 जून को ही बांग्ला दिवस मनाया जाएगा। इस मांग को लेकर विधायकों ने विधानसभा से लेकर राज भवन तक पैदल मार्च निकाला था। राजभवन में राज्यपाल से ज्ञापन सौंपकर भाजपा विधायकों ने 20 जून को बांग्ला दिवस मनाने की मांग की थी।
ममता ने विधायकों का मासिक वेतन भी बढ़ाया
विधानसभा मे बांग्ला दिवस और बांग्ला संगीत को लेकर पारित प्रस्ताव में शुरू हुई बहस घंटों तक चली। बहस में आखिरकार तृणमूल को पूर्ण रूप से बहुमत मिली। बहुमत में विपक्ष को 62 तो पक्ष को 167 वोट प्राप्त हुए, जिससे राज्य विधानसभा में पारित प्रस्ताव पास हो गया। प्रस्ताव के तहत अब पश्चिम बंगाल में 20 जून को पहला बैशाख के दिन बांग्ला दिवस मनाया जाएगा, जबकि कवि गुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर के द्वारा लिखा गया संगीत बांग्ला माटी बांग्ला जल को पश्चिम बंगाल के राज्य संगीत के रूप में जाना जाएगा।
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हम बताते चलें की ममता द्वारा राज्य विधानसभा में पारित प्रस्ताव पर विपक्ष दल के नेता सुवेंदु अधिकारी ने मोर्चा खोल दिया था जिस मोर्चे के दौरान विधानसभा सत्र पूरी तरह हंगामे दार रहा। उस हंगामे के बीच मुख्यमंत्री अपने द्वारा दिए गए प्रस्ताव पर अड़ी रही और फिर उस प्रस्ताव पर सभी विधायकों ने अपना-अपना मत रखा। जिसके बाद प्रस्ताव पास हो गया, वहीं प्रस्ताव पास होने के बाद मुख्यमंत्री ने राज्य विधानसभा में तमाम विधायकों के लिए एक बड़ी घोषणा कर दी जिस घोषणा में ममता ने विधायकों को मिलने वाली दस हजार मासिक वेतन मे बढ़ोतरी कर 50 हजार कर दिया।
वहीं मंत्रियों को मिलने वाली दस हजार नौ सौ मासिक वेतन को बढ़ाकर 51 हजार कर दिया इस बीच ममता ने कहा की उनके प्रस्ताव पर राज्य्पाल अपना हस्ताक्षर करें ना करें उनको कोई फर्क नहीं पड़ता वह देखेंगी बंगाल के जनगन में ताकत है या फिर राज्यपाल में। उन्होंने यह भी कहा कि वह इस शब्द को नहीं बोलती पर वह इस शब्द को बोलने पर इसलिए मजबूर हुई की विपक्ष दल के नेता ने राज्यपाल का नाम उठाया उन्होंने कहा कि वह उनके प्रस्ताव पर राज्यपाल का हस्ताक्षर नहीं होने देंगे।