BJP Central Election Committee Meeting, नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी ने साल के अंत में होने जा रहे मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसी मसले पर बुधवार को पार्टी नेतृत्व ने दिल्ली दरबार में एक महामंथन किया। लगभग 5 घंटे चली इस मैराथन मीटिंग में उम्मीदवारी के साथ-साथ पूरी चुनावी रणनीति पर विचार-विमर्श हुआ। आखिर में तय हुआ कि चुनावों में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की भागीदारी ज्यादा रहेगी। हालांकि एक सवाल खड़ा हो रहा है कि चुनाव में अभी लगभग ढाई महीने का वक्त है, फिर भी भाजपाई इतनी जल्दबाजी में क्यों हैं? इस सवाल का जवाब जानने के लिए पढ़ें News 24 हिंदी का यह आर्टिकल…
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पांच राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव में है अभी करीब ढाई महीने का वक्त
दरअसल, भारतीय जनता पार्टी (BJP) में उम्मीदवारों के नाम तय करने के साथ-साथ पूरी चुनावी रणनीति पर फैसला लेने का अधिकार सिर्फ पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) के पास ही होता है। अब जबकि देश के पांच राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं तो इससे पहले भाजपा ने फील्डिंग जमानी शुरू कर दी है। इसी सिलसिले में बुधवार को पार्टी हाईकमान की तरफ से केंद्रीय केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) की बैठक बुला डाली। इसमें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा (JP Nadda), गृहमंत्री अमित शाह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और अन्य ने साथ बैठकर अगली रणनीति पर चर्चा की। इस बैठक में तय हुआ है कि चुनावों की प्रक्रिया में केंद्रीय नेतृत्व की भूमिका ज्यादा रहेगी।
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इन राज्यों में चुनाव आयोग के शेड्यूल के बाद हुआ किया था BJP ने मंथन
दूसरी ओर चुनाव में अभी काफी वक्त होने के बावजूद भाजपा नेतृत्व की तरफ से जल्दबाजी दिखाए जाने को लेकर उठ रहे सवाल विचार किया जाए तो साफ होगा कि दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक में इस साल चुनाव 10 मई को हुए थे। 30 मार्च को चुनाव आयोग ने चुनाव की घोषणा की थी। इसके ठीक 10 दिन बाद यानि चुनावी शेड्यूल से एक महीना पहले 9 अप्रैल को ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक बुलाई थी। हिमाचल प्रदेश में भी चुनाव आयोग के ऐलान के बाद ही मंथन किया गया, वहीं 2022 में गुजरात में 4 नवंबर को विधानसभा चुनाव का ऐलान हुआ 1 और 5 दिसंबर को वोटिंग हुई, जबकि भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति (BJP CEC) की बैठक 9 नवंबर को हुई थी। साफ है कि चुनावी शेड्यूल की घोषणा के बाद ही पार्टी नेतृत्व ने रणनीति विचारी। …तो फिर अब इसके उलट इतनी जल्दबाजी क्यों?
ये है हालिया जल्दबाजी के सवाल का जवाब
इस सवाल का जवाब है, विरोधी पार्टी कॉन्ग्रेस की रणनीति। ध्यान होगा, जब कर्नाटक में कॉन्ग्रेस ने विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही 133 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए थे। अब मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी कॉन्ग्रेस उम्मीदवारी को लेकर रूपरेखा बना रही है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल सितंबर तक उम्मीदवारों के ऐलान करने की बात शीर्ष नेतृत्व के सामने रख चुके हैं। यही वजह है कि कर्नाटक में आखिरी वक्त में अपना उम्मीदवार मैदान में उतारने वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। यही वजह है कि पार्टी ने केंद्रीय चुनाव समिति की बैठकों का सिलसिला शुरू कर दिया है।