बेंगलुरु और दिल्ली-एनसीआर में घरों की बिक्री में गिरावट आई है। शनिवार और रविवार को बिल्डर साइटों पर भी खरीदार नहीं दिख रहे हैं। बताया जा रहा है कि घर की बढ़ती कीमतों की वजह से लोगों को बजट बिगड़ गया है। साथ ही लोग नौकरी को लेकर भी चिंता में हैं। बढ़ती बेरोजगारी भी इसके पीछे का एक बड़ा कारण है। गुरुवार को नाइट फ्रैंक इंडिया की जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी और मार्च 2025 के बीच बेंगलुरु में घरों की बिक्री 5% गिरकर 12,504 यूनिट रह गई। दिल्ली-एनसीआर में भी 8% की वार्षिक गिरावट देखी गई, इसी अवधि के दौरान बिक्री घटकर 14,248 यूनिट रह गई।
50 लाख से 1.5 करोड़ रुपये के सेगमेंट में कम भागीदारी
नाइट फ्रैंक इंडिया के शोध प्रमुख विवेक राठी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि बेंगलुरु ने 2025 की पहली तिमाही में सबसे अधिक मूल्य वृद्धि दर्ज की, जिसमें दरें 16% बढ़कर 7,116 रुपये प्रति वर्ग फीट हो गईं। 50 लाख से 1.5 करोड़ रुपये के सेगमेंट में कम भागीदारी देखी गई है, लेकिन आने वाले समय में यह स्थिति बदल सकती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि लोगों को नौकरी की ज्यादा चिंता है। कंपनियां एकाएक हजारों लोगों को नौकरी से निकाल रहे हैं। जिसके चलते लोग फिलहाल घर खरीदने से बच रहे हैं। आईटी क्षेत्र में काम करने वाले लोग भी घर खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। जबकि एक समय आईटी क्षेत्र में काम करने वाले लोग प्रॉपर्टी में बहुत इंवेस्ट करते थे।
5-10 करोड़ के आवासीय सेगमेंट में लग रहा पैसा
विवेक राठी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि जनवरी-मार्च में बेंगलुरु के 5-10 करोड़ के आवासीय सेगमेंट में सबसे ज्यादा बिक्री वृद्धि देखी गई, जो साल 2024 के शुरुआती तीन महीने से ज्यादा बताई जा रही है। बेंगलुरु और दिल्ली-एनसीआर में बड़े कारोबारी और उद्योगपति 5-10 करोड़ के आवासीय सेगमेंट में पैसा लगा रहे हैं। जिसे बाद में ब्रोकर द्वारा मोटे किराये पर दिया जा रहा है। इसके अलावा, खरीदारों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पहली बार घर खरीदने वाले नहीं हैं, बल्कि अपने मौजूदा घरों को बेचकर या अपनी संपत्ति को फिर से निवेश करके बेहतर संपत्तियों में अपग्रेड कर रहे हैं।
पुणे और चेन्नई घर खरीदने में अव्वल
रिपोर्ट में बताया गया है कि 1-2 करोड़ रुपये सेगमेंट में 4,507 यूनिट की बिक्री दर्ज की गई, जो मामूली 3% की वृद्धि को दर्शाता है। इसके विपरीत, सुपर-लक्जरी 10-20 करोड़ रुपये सेगमेंट में तेज गिरावट देखी गई, जिसमें बिक्री लगभग 65% घटकर सिर्फ पांच यूनिट रह गई। कुल मिलाकर, शीर्ष आठ शहरों में, जनवरी से मार्च की अवधि में 88,274 आवासीय इकाइयां बेची गईं, जिससे लोगों की मांग में 2% की वृद्धि हुई। रिपोर्ट में बताया गया है कि जनवरी से मार्च तक में देश के पुणे में 20% और चेन्नई में 10% लोगों ने घर खरीदा है।