अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सजायाफ्ता ब्रिटिश नागरिक को दिया गया था क्षमादान, क्या कतर से मिलेगी राहत?
Peter Bleach
Atal Bihari Vajpayee government given amnesty convicted British citizen in 2004 Will Qatar get relief: कतर में आठ भारतीय पूर्व नौसैनिकों को फांसी की सजा दी गई है। इन्हें कतर की खुफिया एजेंसी ने गिरफ्तार किया था। ये भारतीय अल जाहिरा अल आलमी कन्सलटेंसी एंड सर्विसेज नाम की कंपनी के लिए काम कर रहे थे। आरोप है कि ये सभी इजरायल के लिए जासूसी कर रहे थे। इस केस के बाद 1995 में पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में हुई एक घटना का जिक्र जरूरी हो गया है। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने ब्रिटिश नागरिक समेत 6 आपराधियों को क्षमा दान देकर उन्हें रिहा कर दिया गया था। ये सभी देश में युद्ध भड़काने के आरोप में पकड़े गए थे।
इस घटना को लेखक अशोक कुमार पांडेय ने सोशल मीडिया पर शेयर किया है। उन्होंने पोस्ट के अंत में लिखा कि कतर में हमारे लोगों को सजा हुई है तो यह याद आना स्वाभाविक है।
पुरुलिया में क्या हुआ था?
दरअसल, 17 दिसंबर 1995 की रात पश्चिम बंगाल के पुरुलिया के बांसगढ़ गांव में एक एंटोनोव-26 (एएन-26) से हथियार और गोला-बारूद से भरे कई बक्से गिराए गए। जिसमें सैकड़ों एके-47 और हजारों कारतूस थे। भारतीय वायु सेना ने विमान को मुंबई में उतरने के लिए मजबूर किया गया। इस दौरान ब्रिटिश नागरिक पीटर ब्लीच लातवियाई क्रू मेंबर्स को गिरफ्तार किया गया। लेकिन 22 जुलाई 2000 को ब्लीच के साथ आजीवन कारावास की सजा पाए पांच लातवियाई पायलटों को राष्ट्रपति के.आर. नारायणन ने माफ कर दिया। 4 फरवरी 2004 को पीटर ब्लीच को छोड़ दिया गया।
कोलकाता में ब्रिटिश उप उच्चायोग के परिसर के अंदर मीडियाकर्मियों के एक बड़े समूह को संबोधित करते हुए ब्लीच ने कहा था कि सबसे पहले मैं मेरी सजा माफ करने के अपने अधिकार का प्रयोग करने के लिए भारत के महामहिम राष्ट्रपति को धन्यवाद देना चाहता हूं। उन्होंने अपने मामले को आगे बढ़ाने के लिए ब्रिटिश सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि वह उत्सुकता से अपने परिवार में लौटने का इंतजार कर रहे हूं।
कतर केस में क्या कर रहा भारत?
भारत कतर की अदालत के फैसले के खिलाफ अपील करने समेत अन्य विकल्पों पर मंथन कर रहा था। रिपोर्ट के अनुसार, अभी तक भारत को अदालत के फैसले की कॉपी भी नहीं मिली है। अदालत के फैसले पर कतर की तरफ से अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की गई है।
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