Arvind Kejriwal Bail News Update: (प्रभाकर मिश्रा, वरिष्ठ पत्रकार) दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कोर्ट ने बीते दिन रिहा कर दिया। सीएम केजरीवाल की जमानत पर मुहर लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस गिरफ्तारी के पीछे बदनीयती थी। सवाल यह है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने माना कि CBI मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी बदनीयती से की गई तो गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज क्यों हुई?
2 जज, 1 राय और बेमेल फैसला
CBI मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी को एक जज ने सही ठहराया, दूसरे ने गिरफ्तारी को अनुचित कहा और दोनों ने गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट के सामने दो याचिकाएं थीं। एक में जमानत की मांग थी और दूसरी में सीबीआई मामले में गिरफ्तारी को चुनौती दी गई थी। दोनों जजों ने दो अलग अलग फैसले लिखे थे। केजरीवाल की जमानत के मामले में दोनों की राय एक थी कि उन्हें जमानत मिलनी चाहिए लेकीन गिरफ्तारी वाले मामले में दोनों की राय अलग थी। जस्टिस सूर्यकांत ने गिरफ्तारी को सही ठहराया है जबकि जस्टिस उज्जल भुइयां ने इसकी टाइमिंग और जरुरत पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
यह भी पढ़ें- 3:30 बजे तड़के एनकाउंट..5 बजे प्रेस नोट..अखिलेश ने यूपी पुलिस पर दागे ताबड़तोड़ सवाल, BJP के लिए कही ये बात
सुप्रीम कोर्ट की CBI को चेतावनी
जस्टिस उज्जल भुइयां के फैसले को पढ़ेंगे तो उसमें साफ साफ लिखा है कि CBI मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी मनमाने ढंग से की गई थी। जस्टिस भुइयां ने लिखा है कि जब केजरीवाल ईडी केस में जमानत पाकर जेल से निकलने वाले थे, तो CBI ने बदनीयती से केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया। जस्टिस भुइयां ने CBI पर सवाल खड़ा करते हुए लिखा है कि CBI को ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए, जिससे CBI की दुबारा से पिंजरे का तोता वाली छवि बने। आपको याद होगा कि कोयला घोटाला में इसी सुप्रीम कोर्ट ने CBI को पिंजरे का तोता कहा था।
India’s top court releases New Delhi’s Chief Minister Arvind Kejriwal on bail after 6 months in jail; Kejriwal is one of India’s most influential politicians of the past decade and a fierce critic of Prime Minister Narendra Modi pic.twitter.com/y5QnwIs7VL
— Gulf Today (@gulftoday) September 13, 2024
जमानत पर उठे सवाल
CBI द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तार के बारे में इतना कुछ लिखने के बाद आखिर में जस्टिस भुइयां ने भी जस्टिस सूर्यकांत के साथ मिलकर CBI मामले में गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। अब सवाल यह है कि जब जस्टिस भुइयां ने गिरफ्तारी को गलत ठहराया है तो याचिका खारिज क्यों कर दी? उन्होंने जब अपना फैसला अलग लिखा तो खारिज करने वाले फैसले पर साथ साथ दस्तखत करने की क्या जरूरत थी? अगर उन्होंने गिरफ्तार को गलत ठहराया था तो केजरीवाल की याचिका को खारिज नहीं करना था। ऐसे में दोनों जजों में असहमति होती और मामला बड़ी बेंच को जाता। सुप्रीम कोर्ट की कई बातें समझ में नहीं आतीं। जस्टिस भुइयां की ये बात भी कुछ समझ में नहीं आई, क्योंकि सीबीआई गलत थी, गिरफ्तार गलत थी तो याचिका खारिज क्यों हुई? ये सवाल अब भी कायम है।
यह भी पढ़ें- ‘एक तरफ 3 खानदान, दूसरी तरफ मेरे युवा…’ डोडा से पीएम मोदी ने परिवारवाद, अलगाववाद पर बोला हमला