अक्षय कुमार की फिल्म ‘Mission Raniganj’ के हीरो जसवंत सिंह गिल ने ऐसे बचाई थी 65 मजदूरों की जान
Mission Raniganj real hero saved lives of 65 laborers: आसनसोल, (अमर देव पासवान)। अक्षय कुमार की अपकमिंग फिल्म 'मिशन रानीगंज-ग्रेट भारत रेस्क्यू' छह अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है। इसमें वर्ल्ड फेमस कैप्सूल मैन जसवंत सिंह गिल की उस बहादुरी की कहानी को बयां किया जाएगा, जिसमें उन्होंने अपनी जान पर खेलकर खदान में फंसे 65 मजदूरों की जान सही सलामत बचाई थी। इसी के साथ हम आपको उस सच्ची घटना के बारे में बताने जा रहे हैं कि कैसे 'Mission Raniganj' के हीरो जसवंत सिंह गिल ने खदान में फंसे मौत और जिंदगी की लड़ाई लड़ रहे 65 मजूदरों को बचाया। ये घटना 13 नवंबर 1989 की है। जब पश्चिम बंगाल के आसनसोल में रानीगंज के महाबीर कोलियरी में देर रात करीब ढाई बजे एक बड़ा हादसा हो गया। यहां पर कोयले की भूमिगत खदान में 232 लोग दब गए थे। हालांकि, किसी तरह उसमें से 161 मजदूर बाहर निकल गए, लेकिन 71 मजदूर खदान के अंदर ही फंसे रहे गए, साथ ही खदान के अंदर अचानक पानी भरने लगा था। इसके बाद उनमें से छह मजदूरों ने भी अपने गलत फैसले के कारण जान गंवा दी। जबकि बाकी के 65 मजदूर खदान के अंदर ही जिंदगी और मौत की जंग तब तक लड़ते रहे, जब तक उन्होंने मौत को मात नहीं दे दी, इसका श्रेय किसी और को नहीं बल्कि इसीएल के इंजिनियर डॉक्टर जसवंत सिंह गिल को जाता है।
लोहे व मोटी टीन से देशी जुगाड़ लगाकर तैयार किया एक कैप्सूल
जसवंत सिंह गिल की हिम्मत और दिलेरी ने खदान मे फंसे 65 मजदूरों को जीवन दान देने का काम किया। उन्होंने अपना दिमाग लगाया और लोहे व मोटी टीन से देशी जुगाड़ लगाकर एक ऐसा कैप्सूल तैयार किया। इसके बाद कैप्सूल को उस होल में डाला, इसके जरिए आसानी से खदान के अंदर मजदूरों को खाने-पीने की चीजें भेजी गईं।
जसवंत सिंह गिल ने बचाई 65 मजदूरों की जान
जसवंत सिंह गिल के पुत्र डॉक्टर सरप्रीत सिंह गिल ने खदान घटना के बारे में बताया कि ये घटना जब हुई थी उस समय वो 19 वर्ष के थे और वह अपनी मां और तीन भाई बहनों के साथ अमृतसर आए हुए थे। 16 नवंबर के दिन शाम चार बजे उनकी दादी के फोन पर दिल्ली से एक ट्रांक कॉल आया और यह बताया गया की शाम को पांच बजे टीवी पर जसवंत आएगा। ये खबर सुनकर परिवार के सभी सदस्य चौंक गए कि आखिरकार वह शाम को टीवी पर क्यों आएंगे? इसके बाद शाम को पांच बजे जब टीवी खोला तो देखा एक ब्रेकिंग चल रही थी, जिसमे लिखा था 'जसवंत सिंह गिल ने बचाई 65 मजदूरों की जान'। टीवी पर इस खबर को देखकर दादी घबरा गईं, जोर-जोर से कहने लगीं रोको उसे, रोको तभी चाचा ने कहा दादी घबराओ मत जसवंत को जो करना था, उसने कर दिया। टीवी पर जसवंत सिंह गिल की वीरता को देख परिवार के हर एक सदस्य का सर ऊंचा हो गया।
जसवंत सिंह गिल की याद में बनाया जाएगा गरीबों के लिए अस्पताल
सरप्रीत कहते हैं कि वह चार भाई-बहन हैं। उनके तीन भाई-बहन विदेश मे रहते हैं और वह अपनी मां और पत्नी के साथ अमृतसर मे रहते हैं। साल 2019 में पिता के अचानक गुजरने के बाद हर जगह किसी भी मामले को उन्हें ही फेस करना पड़ता है। इसी के साथ उन्होंने आगे बताया कि रानीगंज चेम्बर ऑफ कॉमर्स ने एक मीटिंग बुलाई थी, जिस मीटिंग मे उन्होंने 'मिशन रानीगंज-ग्रेट भारत रेस्क्यू' फिल्म के निर्देशक टीनू सुरेश देसाई के साथ-साथ महाबीर खदान दुर्घटना मे जिंदगी और मौत को मात देकर लौटे चार मजदूरों को सम्मानित भी किया। साथ में खदान दुर्घटना के सबसे बड़े हीरो रहे कैप्सूल गिल यानी की जसवंत सिंह गिल के नाम से एक अस्पताल खोलने की इच्छा जाहिर की, इस अस्पताल में गरीबों को दस से पंद्रह रुपए की बेहद कम राशि में इलाज किया जाएगा।
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