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World No Tobacco Day 2025: तंबाकू से कैंसर समेत होती हैं ये 4 बीमारियां, एक्सपर्ट से जानें कैसे छुड़ाएं लत

World No Tobacco Day 2025: हर साल 31 मई को वर्ल्ड नो टोबैको डे मनाया जाता है। इस दिवस के मौके पर जानिए कैसे तंबाकू शरीर को नुकसान पहुंचाता है, और क्यों इसकी लत युवाओं, महिलाओं व समाज के लिए खतरनाक है।

World No Tobacco Day 2025: तंबाकू का असर सिर्फ हमारे फेफड़ों को प्रभावित नहीं करता है बल्कि यह हमारे पूरे शरीर और जीवन दोनों को धीरे-धीरे निगल सकता है। एक सिगरेट में मौजूद जहर लंग्स को कमजोर करने के साथ-साथ मुंह, दिल, दिमाग, त्वचा और प्रजनन क्षमता पर भी गहरा असर डालता है। धूम्रपान हो या चबाने वाला तंबाकू, इसका हर रूप जानलेवा है। युवाओं से लेकर महिलाओं तक, तंबाकू हर वर्ग को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। मगर चिंता की बात तो यह है कि लोग सिगरेट और तंबाकू के अवगुणों को जानने के बाद भी इनका सेवन कर रहे हैं। मॉडर्न लाइफस्टाइल युवाओं को भी तंबाकू के नशे में डुबो रहा है। आज वर्ल्ड नो टोबैको डे के अवसर पर आपको बताते हैं कि सिगरेट हो या तंबाकू कैसे 1 नहीं अनेक बीमारियों का कारण है।

इस साल की थीम

हर साल 31 मई को वर्ल्ट नो टोबैको डे मनाया जाता है। इस साल की थीम Dark intentions. Unmasking the Appeal है। इसका मतलब होता है काले इरादों का पर्दाफाश करना। टोबैको से इसका संबंध यह है कि किस प्रकार तंबाकू हमारे जीवन को अंधेरे में डाल रहा है। इसका पर्दाफाश करना जरूरी है। चलिए इस पर एक्सपर्ट की राय लेते हैं।

मुंह का कैंसर सबसे बड़ा खतरा

आकाश हेल्थकेयर की गायनकोलॉजी विभाग की डायरेक्टर एवं हेड, डॉक्टर मधुलिका सिन्हा बताती हैं कि तंबाकू सेवन करने वालों में 80 फीसदी से अधिक केस ओरल कैंसर के होते हैं।" ओरल कैंसर जीभ, होंठ, गाल और तालु को प्रभावित करता है। शुरुआती लक्षणों में मुंह में छाले जो नहीं भरते, सफेद या लाल धब्बे, चबाने या बोलने में दिक्कत और कभी-कभी कान में दर्द शामिल हैं।

युवाओं को कैसे जकड़ रहा है तंबाकू?

डॉ. के अनुसार, युवाओं में तंबाकू की लत चिंता, तनाव और सोशल प्रेशर से उपजती है। इससे धीरे-धीरे मानसिक स्वास्थ्य, पढ़ाई और निर्णय लेने की क्षमता पर असर पड़ता है। शुरुआत शौक के तौर पर होती है लेकिन निकोटीन का नशा ब्रेन के डोपामिन सिस्टम को प्रभावित करता है, जिससे व्यक्ति बार-बार तंबाकू की तलाश करता है।

महिलाओं में फर्टिलिटी और हार्मोनल असर

एक्सपर्ट बताती हैं कि धूम्रपान करने वाली महिलाओं में माहवारी अनियमित हो जाती है और उनमें PCOS जैसी हार्मोनल बीमारियों की आशंका दोगुनी हो जाती है। गर्भावस्था में तंबाकू सेवन भ्रूण पर सीधा असर डालता है। धूम्रपान से एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन के स्तर में असंतुलन आता है, जिससे फर्टिलिटी घटती है और गर्भपात का खतरा बढ़ता है। ये भी पढ़ें- क्या COPD भी हो सकती है गंभीर बीमारी? डॉक्टर ने बताए बचाव

तंबाकू और त्वचा, बुढ़ापा समय से पहले

डॉ. कहती हैं-तंबाकू त्वचा की कोशिकाओं में ऑक्सीजन सप्लाई को कम करता है, जिससे चेहरे पर झुर्रियां, डार्क सर्कल और स्किन डलनेस बढ़ जाती है। तंबाकू में मौजूद टार और निकोटीन कोलेजन के निर्माण को बाधित करते हैं, जिससे समय से पहले स्किन एजिंग होती है।

क्या हर्बल सिगरेट और ई-सिगरेट हैं सेफ?

डॉ. मधुलिका का कहना है कि ई-सिगरेट और हर्बल सिगरेट भी निकोटीन और अन्य हानिकारक रसायनों से युक्त होती हैं। यह सिर्फ एक भ्रम है कि वे सुरक्षित हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, ई-सिगरेट से भी निकोटीन की लत और हृदय व फेफड़ों की बीमारियां हो सकती हैं।

बचाव ही सबसे बेहतर उपाय

  • शुरुआती लक्षणों को पहचानें और जांच कराएं।
  • परामर्श लें- निकोटीन रिप्लेसमेंट थैरेपी, काउंसलिंग और सपोर्ट ग्रुप कारगर हो सकते हैं।
  • युवाओं को जागरूक करना और स्कूल-कॉलेज स्तर में अभियान चलाना बेहद जरूरी है।

जरूरी सलाह

एक्सपर्ट्स की मानें तो तंबाकू छोड़ना मुश्किल है, लेकिन नामुमकिन नहीं। एक सही शुरुआत, एक सही सलाह और अपनों का साथ, आपके जीवन को बचा सकता है। ये भी पढ़ें-  धूम्रपान छोड़ने के नाम पर पी रहे हैं ‘हर्बल सिगरेट’? जानें क्या यह विकल्प सही


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