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National Mango Day 2025: यूं ही आम ‘फलों का राजा’ नहीं बना… सेहत और इकॉनमी को भी बढ़ाता है यह फ्रूट

National Mango Day 2025: आम गर्मियों में मिलने वाला ऐसा फल है जिसे खाने के लिए लोग पूरे साल बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं। इसे किंग ऑफ द फ्रूट कहा जाता है, लेकिन क्यों? चलिए आज नेशनल मैंगो डे के अवसर पर जानते हैं इसका कारण।

National Mango Day 2025: गर्मियों में तेज धूप और पसीना लोगों को परेशान करता है लेकिन इस सीजन में एक चीज होती है, जो लगभग सभी को पसंद होती है। वह क्या है? फलों का राजा आम। इस फल को खाने के लिए लोग पूरे साल बेसब्री से इंतजार करते हैं। आम भले ही महंगा हो जाए, इसे लोग फिर भी खाते हैं। आम एक ऐसा फल है जिसने बच्चों से लेकर बड़ों तक का मन मोह रखा है। ये साल के सिर्फ कुछ महीने ही मिलता है लेकिन बाजारों में इसकी भीड़ कम नहीं होती। आम कई किस्मों का आता है। हर किसी की अलग खासियत होती है। आज नेशनल मैंगो डे है। इस अवसर पर जानते हैं आम के बारे में कुछ ऐसी बातें जो शायद आप नहीं जानते होंगे। इन वजहों से ही आम को फलों का राजा कहा जाता है।

स्वाद का राजा

आम को फलों का राजा उसके बेहतरीन स्वाद के लिए कहा जाता है। भारतीय संस्कृति में आम शुद्ध फलों की श्रेणी में आता है। इसे भोग के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। आम कच्चा हो तो खट्टा और पका हो तो इसका स्वाद मीठा होता है। यह रसीला फल है। हमारे देश में आम की करीब 1500 किस्में पाई जाती हैं। इनमें से कुछ सबसे ज्यादा खाई जाने वाली हैं, जैसे अल्फांसो, लंगड़ा, तोतापरी, दशहरी, सफेदा, केसरी और बंबइया। अचार बनाने के लिए कलकत्ता के कच्चे आमों की डिमांड रहती है। ये भी पढ़ें- ये हैं भारत में बिकने वाले सबसे महंगे आम, शाही स्वाद और मिठास…

आम का हर रूप स्वादिष्ट

कच्चे आम से लोग आम पापड़, अचार और चटनी बनाते हैं। इनका स्वाद लाजवाब होता है। पका आम फल की तरह भी खाया जाता है। इसके अलावा, बच्चों से लेकर बड़ों तक की पसंदीदा चीज मैंगो शेक, मैंगो लस्सी, मैंगो कस्टर्ड या फिर मैंगो श्रीखंड भी खूब चाव से खाया जाता है। आम के व्यंजन जैसे की आमरस पुरी, आम का पन्ना, कच्ची कैरी की लौंजी और दक्षिण भारत में गर्मियों के समय कच्चे आम वाले चावल भी खाए जाते हैं।

इतिहास में आम की पहचान

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार गौतम ऋषि ने आम के पेड़ के नीचे बैठकर ही ध्यान लगाया था। संस्कृत में आम को आम्र कहा जाता है। कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो मुगलकाल में अकबर ने भी बिहार के दरभंगा जिले में 100,000 लाख आम के पेड़ लगवाए थे। औरंगजेब और जहांगीर को आम बेहद पसंद थे। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को भी आम बहुत पसंद थे। उन्होंने कई बार अपने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में मिठास बनाएं रखने के लिए विदेशी प्रतिनिधियों को आम भेजे है। एक बार उन्होंने जापान के प्रधानमंत्री को आम के पेड़ भी तोहफे में दिए थे। इंदिरा गांधी को भी आम बहुत प्रिय थे। आम डिप्लोमेटिक फल माना जाता है, कई बार भारत-पाक रिश्तों को सही करने के लिए भी आम भेजे जाते थे।

सेहत का भी राजा

आम विटामिन-ए का सबसे अच्छा सोर्स माना जाता है अन्य फलों की तुलना में। इसमें विटामिन-सी और ई भी होता है। आम पोटेशियम का सोर्स भी होते हैं। इसमें डाइटरी फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं। आम खाने स्किन और आंखों के लिए लाभकारी होता है। गर्मियों में आम खाने से पूरे दिन एनर्जी मिलती रहती है।

आर्थिक दृष्टि में भी आम सुप्रीम

भारत दुनिया का एकमात्र देश है जो आम का सबसे बड़ा उत्पादक है। आम यूपी, बिहार, कलकत्ता, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना समेत गुजरात और ओडिशा में प्रमुख रूप से उगाए जाते हैं। देश में 2.2 मिलियन हेक्टेयर एरिया में आम की खेती होती है। यहां हर साल 21 से 23 मिलियन टन आमों की खेती होती है। आम जितना हमारे देश के अंदर बिकता है उतना ही अन्य देशों को निर्यात भी होता है। आम की किस्में अल्फांसो और केसर भारी मात्रा में एक्सपोर्ट की जाती है। इनमें यूरोप, सेंट्रल एशिया और यूएसए शामिल हैं। दशहरी और केसर आम को GI टैग भी मिला है।

आम से जुड़े धार्मिक महत्व

भारत में आम सिर्फ खाने का व्यंजन नहीं है। इसके पेड़ की पत्तियों और लकड़ियों का इस्तेमाल पूजा-पाठ, शादी से लेकर सभी धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। देश में हर साल जून-जुलाई के महीनों में अलग-अलग राज्यों में मैंगो फेस्टिवल भी मनाया जाता है। ये भी पढ़ें- National Mango Day: सिर्फ 15 मिनट में बनाएं यह आम रबड़ी, मेहमान उंगलियां चाटते रह जाएंगे


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