Health Tips: स्वस्थ रहने के लिए शरीर में पर्याप्त पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। शरीर का हर अंग न्यूट्रिशन की मदद से काम कर पाता है। हार्मोन्स भी हेल्दी रहने में काफी मदद करते हैं। आपको बता दें कि हमारे शरीर में कई प्रकार के हार्मोन्स होते हैं, जिनका काम अलग-अलग होता है। अगर इनका स्तर ऊपर-नीचे होगा तो आप बीमार हो सकते हैं। हार्मोनल इंबैलेंस का एक कारण हमारी खराब डाइट भी हो सकता है। जी हां, हम रोज जो खाना खाते हैं, उनमें कुछ फूड्स ऐसे भी हैं जिन्हें खाने से स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। इस रिपोर्ट में हम उन फूड्स के बारे में जानेंगे जो हार्मोन्स का स्तर असंतुलित करते हैं।
हार्मोनल इंबैलेंस से होने वाली समस्याएं
हार्मोन्स में गड़बड़ी हो, तो उससे मूड स्विंग्स, अनिद्रा और याद्दाश्त से जुड़ी प्रॉब्लम्स हो सकती हैं। महिलाओं में हार्मोनल इंबैलेंस की वजह से पीरियड्स और प्रेग्नेंसी प्रॉब्लम भी हो सकती है। थकावट और इनडाइजेशन जैसे हेल्थ इश्यूज भी हार्मोन्स के खराब संतुलन से होने वाली समस्याएं हैं।
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
दीपाली मिश्रा, डायटीशियन, नोबल मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल, भोपाल, बताती हैं कि हार्मोनल इंबैलेंस से बाल झड़ने, चेहरे पर दाने निकलने और मूड स्विंग्स की समस्याएं होती हैं। हार्मोन्स एक केमिकल मैसेंजर होते हैं, जो खून के साथ हमारी पूरी बॉडी में फ्लो करते हैं। इनका काम सेहत को अच्छा रखना और बिगाड़ना दोनों है। हार्मोन्स की मदद से ही बॉडी हंसना, खाना और खुश रहने के बारे में सोचती है।
खाने की किन चीजों से हार्मोनल इंबैलेंस होता है?
1. सोयाबिन
सोयाबिन, सोयाबिन तेल और अलग-अलग सोया प्रोडक्ट्स का सेवन बहुत अधिक मात्रा में करने से हार्मोनल इंबैलेंस की समस्या होती है। सोयाबीन में फाइट्रोएस्ट्रोजन नामक तत्व पाया जाता है, जो एस्ट्रोजन के संतुलन को बिगाड़ता है।
2. हाई फ्रुक्टोज फूड्स
इन फूड्स में पैक्ड फूड जैसे कि चिप्स, बिस्कुट आदि शामिल होते हैं। सॉफ्ट ड्रिंक्स और आर्टिफिशियल स्वीटनर भी फ्रुक्टोज फूड होते हैं। ऐसे फूड्स लंबे समय तक स्टोर करने के लिए बनाए जाते हैं। इनमें नमक तथा चीनी अधिक मात्रा में पाया जाता है। इनमें आर्टिफिशियल स्वीटनर्स भी होते हैं, जो हार्मोन्स के स्तर को असंतुलित करते हैं।
3. मीट
हालांकि, मीट की सभी किस्में ऐसी नहीं होती हैं। रेड मीट या हैवी प्रोसेस्ड मीट के रोजाना सेवन से हार्मोनल इंबैलेंस की समस्या होती है। इससे थायराइड हार्मोन्स का स्तर इंबैलेंस होता है। इसके अलावा, ऐसे मांस लिवर और किडनी की कार्यक्षमता को भी प्रभावित कर सकते हैं।
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