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डॉक्टर की पर्ची के बिना किराना की दुकानों पर मिलेंगी आम दवाएं! जानें सरकार की नई पॉलिसी

Over The Counter Policy: केंद्र सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में आम दवाओं की पहुंच को सुगम बनाने के लिए काम कर रही है। खांसी, सर्दी और बुखार की दवा लोगों को आसानी से उपलब्ध हो सके, इस दिशा में अब एक खास योजना पर काम चल रहा है। जिसके तहत लोगों को ये दवाएं आसानी से उपलब्ध हो सकें, इसलिए इनको जनरल स्टोर्स पर बेचे जाने की अनुमति दी जा सकती है।

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Apr 18, 2024 10:34
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किराना की दुकानों पर दवा बेचने की अनुमति देने पर सरकार विचार कर रही है।

Common Medicines At General Stores: भारत में अब सर्दी, खांसी, बुखार और एटांसिड जैसी आम दवाओं को जनरल स्टोर्स पर बेच जाने की अनुमति दी जा सकती है। केंद्र सरकार की ओर से एक समिति बनाई गई है, जो भारत में ओवर द काउंटर (ओटीसी) दवा नीति बनाने की दिशा में काम कर रही है। खास बात यह है कि लोगों को दवा खरीदने के लिए किसी डॉक्टर की पर्ची दिखाने की जरूरत भी किराना की दुकानों पर नहीं पड़ेगी। ग्रामीण और दुर्गम इलाकों में आम दवाओं को पहुंच को आसान बनाने के लिए यह सब किया जा रहा है।

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विशेषज्ञों की ओर से सुझाव दिए गए थे कि अभी कई इलाकों में आम दवाओं को पहुंच आसान नहीं है। अमेरिका समेत कई देशों में आम दवाओं को किराना की दुकानों से बेच जाने की छूट है। इसलिए उनकी तर्ज पर भारत में भी ओटीसी लागू करने पर विचार होना चाहिए। जिसके बाद नीति बनाने को लेकर केंद्र की गठित समिति ने सोमवार को कई सुझावों पर चर्चा की है।

सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि ओवर द काउंटर में सिर्फ वही दवाइयां शामिल की जाएंगी, जिनको डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बिना बेचने की परमिशन है। यूएसए, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में भी ऐसी ही नीति दवाइयों की खरीद, उपयोग को लेकर लागू है।

फरवरी में ओटीसी के लिए बनी थी समिति

इसी साल फरवरी में ओटीसी दवा नीति तैयार करने के लिए स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक अतुल गोयल ने समिति बनाई थी। समिति की ओर से हाल ही में दवाओं की पहली लिस्ट सौंपी गई थी, जिनको बेचा जा सकता है। इसमें जोड़-घटा के लिए ही सोमवार को मीटिंग बुलाई गई।

काउंटर पर बेची जाने वाली दवाओं के लिए नियम नहीं

भारत में काउंटर पर बेची जाने वाली दवाओं के लिए नियम नहीं हैं। जबकि प्रिस्क्रिप्शन दवा के लिए नियम हैं। उसी दवा को ओटीसी माना जाता है, जिसको विशेष रूप से प्रिस्किप्शन मेडिसिन नहीं बताया जाता। सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि इस संबंध में अभी चर्चा चल रही है।

 

First published on: Apr 18, 2024 10:34 AM

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