Anxiety And Depression Difference: हर कोई अपनी जरूरतें पूरी करने के साथ-साथ सभी सुविधाओं को पाने के चक्कर में दिन-रात मेहनत करता है। इसके लिए कई बार हम नींद से भी समझौता करते हैं। वहीं, किसी न किसी के दिमाग में फैमिली को लेकर चिंताएं रहती हैं और कई बार ये चिंता करना ही हमारे ऊपर इतना हावी हो जाता है कि ये गंभीर बीमारी का भी रूप ले लेती हैं, जो एंग्जाइटी और डिप्रेशन के रूप में सामने आती हैं।
लेकिन, आपको दोनों के बीच का अंतर पता है। अगर नहीं, तो इस लेख के माध्यम से जान लेते हैं। एंग्जाइटी और डिप्रेशन एक प्रकार का मूड डिसऑर्डर है, इन दोनों से ही जीवन की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता है। कई बार ऐसा होता है कि एक ही टाइम पर दोनों चीजें हो सकती हैं।
एंजाइटी (Anxiety)
आप अगर गहरी सोच में हैं और मन में डर और बेचैनी बनी सी रहती है। इसकी वजह से आपको घबराहट और पसीना भी आता रहता है। हार्ट बीट बढ़ी हुई होती हैं, अचानक पैनिक होए जा रहे हैं तो इसका मतलब है आप एंजाइटी की चपेट में हैं। यह तनाव होने के कारण होता है। स्ट्रेस और एंग्जाइटी करीब-करीब एक जैसे होते हैं।
हर दिन के काम के प्रेशर का जो रिएक्शन होता है उसे स्ट्रेस कहते हैं जबकि एंजाइटी स्ट्रेस का रिएक्शन होता है। यानी की स्ट्रेस होने पर शरीर जो नेचुरल रिस्पॉन्स करती है, उसको ही एंग्जाइटी बोलते हैं। टाइम रहते अगर बीमारी का उपचार न किया जाए तो मरीज के बिहेवियर पर काफी असर होता है। इसलिए कुछ भी लक्षण दिखे या समझ आए तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
डिप्रेशन (Depression)
इस भागदौड़ भरी जिंदगी में डिप्रेशन एक आम बीमारी बनती जा रही है। दरअसल, अगर कोई किसी चुनौती या समस्या से परेशान हैं तो जाहिर है मूड खराब होता है और उसी हिसाब से दिमाग भी रिएक्ट करता है। इसमें मरीज को लगता है कि उसका सबकुछ खो रहा है या खोने वाला है। ऐसी हालत में खुद को नुकसान करने की कोशिश करता है। कभी-कभी तो सुसाइड करने तक का मन में ख्याल आ जाता है। इसमें किसी चीज को लेकर कोई उत्साह नहीं होता है, मन उदास रहता है, गुस्सा आता है, नींद नहीं आती, एनर्जी का लेवल भी लो रहता है।
डॉक्टर की सलाह
डॉक्टर की सलाह है ज़रूरी होती है, क्योंकि कभी कभी कुछ लोग तेज दर्द की शिकायत करते हैं, बोलते हैं ये लग रहा है, वो लग रहा है कि दम निकल जाएगा, हार्ट रेट बढ़ना। बिल्कुल ऐसे लगता है जैसे हार्ट अटैक आया हो, लेकिन हार्ट अटैक होता नहीं है। कई बार मां-बाप और हमारे प्रियजन को लगता है कोई बीमारी नहीं है। योग करो, एक्सरसाइज करो ठीक हो जाओगे। ऐसी बात नहीं है कि योग करना अच्छी चीज नहीं है, बल्कि ये तो सबसे बेस्ट है। लेकिन जैसे ही डिप्रेशन और एंग्जायटी की बात आती है तो बिना देर किए डॉक्टर से सलाह करना चाहिए, तभी सही इलाज हो पाएगा।
Disclaimer: इस लेख में बताई गई जानकारी और सुझाव को पाठक अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। News24 की ओर से किसी जानकारी और सूचना को लेकर कोई दावा नहीं किया जा रहा है।