आज शरद पूर्णिमा पर चांद की रोशनी में खीर रखने का शुभ मुहूर्त रात 10 बजकर 46 मिनट से शुरू होना था, जिसका आरंभ हो गया है. पंचांग के अनुसार, अगले दिन यानी 7 सितंबर 2025 की सुबह 4:30 मिनट तक खीर को आकाश के नीचे रखे रहने दें. कल सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कार्य करने के बाद भगवान शिव, माता पार्वती और देवी लक्ष्मी की पूजा करें. फिर खीर को खाएं और घर के सभी सदस्यों को प्रसाद के रूप में दें.
Sharad Purnima 2025: हिंदू पंचांग के मुताबिक, आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. आज आश्विन माह की पूर्णिमा है ऐसे में शरद पूर्णिमा मनाई जा रही है. शरद पूर्णिमा के दिन रास पूर्णिमा, कोजागरा पूर्णिमा और कौमुदी व्रत भी होता है. आज शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा का महत्व होता है. इसके साथ ही खीर बनाने और चंद्रमा की रोशनी में रखना शुभ माना जाता है.
आज शरद पूर्णिमा पर पूजा विधि, पूजा मुहूर्त और उपाय के बारे में जानने के लिए यहां हमारे साथ जुड़े रहें. आप शरद पूर्णिमा के दिन कुछ उपायों को करके घर में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन कर सकते हैं. शरद पूर्णिमा पर आपको खीर का प्रसाद बनाने के बाद चांदनी रात में रखना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि, चंद्रमा की किरणों से शरद पूर्णिमा की रात को अमृत बरसता है.
शरद पूर्णिमा के दिन आज दोपहर 12:23 से लेकर भद्रा लग रही है. जिसका समापन रात को 10:53 पर होगा. ऐसे में चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने का सही समय भद्रा के समापन के बाद होगा. आपको 10 बजकर 53 मिनट पर भद्रा समाप्त होने के बाद ही खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखना है.
आज शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है. इस दिन खीर का खास महत्व होता है. पूर्णिमा पर लोग खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखते हैं और फिर इसका सेवन करते हैं. आप खीर बनाने के लिए यहां बताई रेसिपी को फॉलो कर सकते हैं. रेसिपी पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंंक पर क्लिक करें.
Sharad Purnima 2025: आज शाम इस तरह बनाएं खीर, इतनी स्वादिष्ट बनेगी कि लोग मांगेंगे एक और कटोरी
शरद पूर्णिमा पर आंखों की रोशनी तेज करने के लिए त्राटक क्रिया करनी चाहिए. इसे करने के लिए आपको कुछ मिनटों के लिए चंद्रमा की ओर बिना पलक झपकाए देखना होगा. इसके अलावा शरद पूर्णिमा की रात को चांद की रोशनी में सुई में धागा डालने की कोशिश करनी चाहिए. ऐसी मान्यता है कि, इस क्रिया को करने से आपकी आंखों की रोशनी तेज होती है.
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे.
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे.
जो ध्यावैफल पावै, दुख बिनसेमन का.
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का.
ॐ जय जगदीश हरे...
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी.
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी.
ॐ जय जगदीश हरे...
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी.
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी.
ॐ जय जगदीश हरे...
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता.
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता.
ॐ जय जगदीश हरे...
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति.
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैंकुमति.
ॐ जय जगदीश हरे...
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे.
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे.
ॐ जय जगदीश हरे...
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा.
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा.
ॐ जय जगदीश हरे...
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ हैतेरा.
तेरा तुझको अर्पण क्या लागेमेरा.
ॐ जय जगदीश हरे...
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे.
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे.
ॐ जय जगदीश हरे...
आज शरद पूर्णिमा पर शुक्र देव नक्षत्र परिवर्तन करेंगे. सुखों के कारक शुक्र आज शाम 6 बजकर 12 मिनट पर नक्षत्र परिवर्तन करेंगे. इस नक्षत्र परिवर्तन से सिंह और कन्या राशि वालों को विशेष लाभ होगा.
ऊं जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा।
दुःख हरता सुख करता, जय आनन्दकारी।
रजत सिंहासन राजत, ज्योति तेरी न्यारी।
दीन दयाल दयानिधि, भव बन्धन हारी।
जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे।
सकल मनोरथ दायक, निर्गुण सुखराशि।
योगीजन हृदय में, तेरा ध्यान धरें।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, सन्त करें सेवा।
वेद पुराण बखानत, भय पातक हारी।
प्रेमभाव से पूजें, सब जग के नारी।
शरणागत प्रतिपालक, भक्तन हितकारी।
धन सम्पत्ति और वैभव, सहजे सो पावे।
विश्व चराचर पालक, ईश्वर अविनाशी।
सब जग के नर नारी, पूजा पाठ करें।
ऊं जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा।
आज शरद पूर्णिमा के शुभ दिन देवी तुलसी की पूजा करें. साथ ही उनके पास घी का एक दीपक जलाएं. साथ ही अपने घर की सुख-शांति के लिए प्रार्थना करें. मान्यता है कि तुलसी के पास घी का दीपक जलाने से घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सुख-शांति का आगमन होता है.
यदि आप तुलसी से जुड़े अन्य उपायों के बारे में जानना चाहते हैं तो उसके लिए नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करें
पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में एक गांव में एक व्यापारी रहता था, जिसकी दो बेटियां थीं. दोनों की ही धर्म-कर्म में रुचि थी. वह नियमित रूप से विष्णु जी की पूजा करती और हर पूर्णिमा को व्रत रखती थीं. लेकिन छोटी बहन शाम के समय भोजन कर लेती थी, जिसके कारण उसे व्रत का पुण्य फल नहीं मिलता था.
कुछ ही साल में व्यापारी ने अपनी दोनों बेटियों की शादी संपन्न परिवार में कर दी. शादी के कुछ साल बाद दोनों बहनों को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, लेकिन छोटी बहन का पुत्र दीर्घायु न होने के कारण मर जाता है. तभी बड़ी बहन आती है और उसके छूने से पुत्र फिर से जीवित हो जाता है. छोटी बहन ने जब इसका कारण अपनी बड़ी बहन से पूछा तो उसने बताया कि तो तुमने शरद पूर्णिमा का व्रत पूरी विधि से नहीं रखा था. साथ ही उसे शरद पूर्णिमा की महिमा के बारे में बताया है. कहा जाता है कि इसी के बाद से देशभर में शरद पूर्णिमा के दिन पूजा-पाठ और व्रत रखने की परंपरा का आरंभ हो गया.
आज शरद पूर्णिमा पर दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से लेकर देर रात 10 बजकर 53 मिनट तक भद्रा काल रहेगा. शास्त्रों में बताया गया है कि भद्रा काल अशुभ होता है, जिस दौरान शुभ कार्य नहीं करने चाहिए.
यदि आप इन तीनों राशियों के राशिफल के बारे में जानना चाहते हैं तो उसके लिए नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करें.
Sharad Purnima 2025: 6 अक्टूबर से 3 राशियों पर होगी अमृत वर्षा, शरद पूर्णिमा पर चंद्र गोचर
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग माता।
सूर्य चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख-संपति दाता।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुम ही पाताल निवासिनी, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भव निधि की त्राता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
जिस घर तुम रहती हो, तांहि में हैं सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता।
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
आज 6 अक्टूबर 2025 को देर रात 10 बजकर 46 मिनट से पहले खीर बना लें क्योंकि चांद की रोशनी में खीर रखने का शुभ मुहूर्त रात 10:46 से लेकर अगले दिन की सुबह 4:30 मिनट तक है.
ज्योतिष शास्त्र में चंद्र ग्रह को मन, मानसिक स्थिति, सुख, माता और वाणी का दाता माना जाता है, जिन्होंने आज यानी 6 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा के दिन सुबह 12 बजकर 44 मिनट पर मीन राशि में गोचर किया है. इससे पहले वो कुंभ राशि में संचार कर रहे थे.
शरद पूर्णिमा की रात को खीर का प्रसाद बनाया जाता है. स्कंद पुराण में शरद पूर्णिमा पर खीर बनाकर देवी-देवताओं को अर्पित करने का अल्लेख है. खीर को शुद्धता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. इसके साथ ही खीर में दूध, चावल और चीनी का मिश्रण होता है जो पोषण का प्रतीक है. शरद पूर्णिमा के शुभ अवसर पर खीर का प्रसाद अवश्य बनाना चाहिए.
शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा का महत्व होता है. ऐसी भी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन ही समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं. इस दिन खीर बनाने और इसे खुले आसमान के नीचे रखने की परंपरा है. शरद पूर्णिमा की रात का प्रकाश अन्य दिनों की तुलना में अधिक पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है. शरद पूर्णिमा पर आपको चंद्रोदय के बाद मां लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा कर खीर का भोग लगाना चाहिए.
शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा को अर्घ्य देना शुभ होता है. आपको कलश में जल, दूध, मिश्री, चंदन और सफेद फूल डालकर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए. इसके बाद चंद्रमा की ओर मुख करके बैठ जाएं. आपको चांद की रोशनी में बैठकर मानसिक शांति, एकाग्रता बढ़ाने और चंद्र दोष से मुक्ति पाने के लिए प्रार्थना करनी चाहिए.
शरद पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 6 अक्टूबर की दोपहर को 12 बजकर 23 मिनट पर हो रही है. शरद पूर्णिमा पर चंद्रोदय का समय शाम 5 बजकर 27 मिनट पर है. आज शरद पूर्णिमा पर पूजा के लिए शुभ मुहूर्त रात को 11 बजकर 45 मिनट से रात को 12 बजकर 34 मिनट तक, 7 अक्टूबर तक रहेगा.










