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कुरुक्षेत्र में जब श्रीकृष्ण के अंगों को भेद रहे थे कर्ण के बाण, तब हनुमान जी ने किया ये काम, जानें पूरी कहानी

Mahabharata Story: महाभारत के युद्ध में कर्ण और अर्जुन के युद्ध के दौरान एक समय ऐसा आया कि अर्जुन के सारथी भगवान श्रीकृष्ण को भी आघात पहुंचने लगा, उनका कवच कटकर गिर पड़ा, कर्ण के बाण उनको भेद रहे थे, तब अर्जुन के रथ पर बैठे हनुमानजी से यह सहन नहीं हुआ। फिर क्या हुआ, पढ़ें पूरा प्रसंग।

Edited By : Shyam Nandan | Updated: Jul 22, 2024 11:28
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Mahabharata Story: महाभारत काल में हनुमान जी जीवित थे, लेकिन महाभारत युद्ध में उन्होंने प्रत्यक्ष रूप से भाग नहीं लिया। लेकिन वे अर्जुन के रथ पर उसकी पताका में मौजूद थे और कुरुक्षेत्र के मैदान पर महाभारत युद्ध की हर घटना को देख रहे थे। वहीं, भगवान श्रीकृष्ण महाभारत युद्ध के मुख्य सूत्रधार थे, लेकिन उन्होंने स्वयं युद्ध नहीं लड़ा। वे अर्जुन के सारथी बने लेकिन स्वयं किसी भी शस्त्र का प्रयोग नहीं किया था। आइए जानते हैं, कर्ण के बाणों से जब श्रीकृष्ण घायल हो गए, तो हनुमानजी ने क्या किया?

महाभारत युद्ध के मूक निरीक्षक थे हनुमानजी

महाभारत का युद्ध देखने वाले संजय बताते हैं कि महाभारत के युद्ध में अर्जुन के रथ पर बैठे-बैठे हनुमानजी पांडवों और कौरवों की सेना का निरीक्षण करते थे। वे सबको देखते थे, लेकिन हनुमानजी की दृष्टि का सामना करने का साहस किसी में नहीं था। यहां तक कि उनकी दृष्टि एक बार कौरवों की ओर से लड़ रहे कर्ण पर भी पड़ गई।

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कर्ण के बाणों की वर्षा से कृष्ण हुए घायल

महाभारत युद्ध के प्रसंग में बताया गया है कि कर्ण और अर्जुन के बीच युद्ध चल रहा था और कर्ण अर्जुन पर भयंकर वाणों की वर्षा कर रहे थे। कर्ण ने तीरों का ऐसा प्रहार किया था कि अर्जुन विचलित हो गए थे। कर्ण के बाण भगवान श्रीकृष्ण को आघात पहुंचा रहे थे। उसके बाणों की वर्षा से श्रीकृष्ण को भी बाण लग रहे थे और एक समय ऐसा आया कि श्रीकृष्ण का कवच कटकर गिर पड़ा।

हनुमानजी से सहन नहीं हुआ श्रीकृष्ण की पीड़ा

कर्ण-अर्जुन युद्ध हर गतिविधि को रथ की छत पर बैठे पवनपुत्र हनुमानजी देख रहे थे। वे अपने आराध्य की ओर भी देख रहे थे कि कैसे श्रीकृष्ण कवचहीन हो गए थे और कर्ण के बाण उनके अंगों को भी भेद रहे थे। एक भक्त के रूप में हनुमानजी से यह सहन नहीं हुआ। वे अर्जुन के रथ से अकस्मात उतरे और गर्जना करके दोनों हाथ उठाकर कर्ण को मार देने के लिए उठ खड़े हुए। हनुमानजी की भयंकर गर्जना से ऐसा लगा मानो ब्रह्माण्ड फट गया हो।

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कृष्णजी ने किया हनुमानजी को शांत

महाबली हनुमानजी के क्रोधित रूप को देखकर कौरव सेना पहले ही भाग चुकी थी, अब पांडव पक्ष की सेना भी उनकी गर्जना के भय से भागने लगी। उधर हनुमानजी का क्रोध देखकर कर्ण के हाथ से धनुष छूट कर गिर गया और उनके सारथी कांपने लगे। तभी भगवान श्रीकृष्ण ने तत्काल उठकर अपना दांया हाथ उठाया और हनुमानजी को स्पर्श करके सावधान किया तो हनुमानजी रुक गए और शांत होकर बैठ गए। हनुमानजी को भी अपनी शर्त याद आई कि वे महाभारत युद्ध में योद्धा नहीं है।

हनुमानजी के हाथों मरते-मरते बचे कर्ण

ये महाभारत में युद्ध का ऐसा प्रसंग जब हनुमान जी को भी तेज गुस्सा आया था और हनुमान जी के हाथों कर्ण मरते-मरते बचे थे। हालांकि, बाद में युद्धभूमि में भगवान श्रीकृष्ण ने कर्ण के युद्ध कौशल और बाण संचालन की बहुत तारीफ की थी, जो अर्जुन को पसंद नहीं आई थी।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक  शास्त्र पर आधारित हैं और केवल जानकारी के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

HISTORY

Written By

Shyam Nandan

First published on: Jul 22, 2024 07:15 AM

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