छोटी उम्र में देखा देश का बंटवारा
13 वर्ष की उम्र में देश के बंटवारे को अपनी आंखों के सामने देखने वाले संपूर्ण सिंह कालरा ने कभी सोचा भी न होगा एक दिन वह फिल्म निर्माता, निर्देशक और उम्दा गीतकार बनेंगे। बेशक बंटवारे के दौरान उनके दिल पर छेनी की तरह हालात ने वार किया और वह गुलजार बन गए, जिसका मतलब होता है- गुलाब उद्यान और बसे हुए शहर या फिर एक और अर्थ होता है उत्कर्ष।खुद को बताते हैं कल्चरली मुसलमान
गुलजार का उर्दू भाषा के प्रति बचपन से ही गहरा रुझान रहा है। यह उनके गीतों में भी झलकता है। उन्होंने उर्दू के शब्दों का गजब का इस्तेमाल किया है- अपने गीतों में। यही वजह है कि उनके लिखे ताजा गीतों में भी उनकी कलम बिना उर्दू जुबां के आगे नहीं बढ़ती है। यह जानकरी किसी को भी हैरानी हो सकती है कि उन्होंने एक साक्षात्कार में खुद को कल्चरली मुसलमान बताया था। इसमें उनका आशय उर्दू अदब और भाषाई कल्चर था, जिस उन्होंने बेतल्कुफ अपना और उसे सींचा भी और बड़ा भी किया।प्रेम-बिछड़ने के गीत हैं उनकी जान
ऐसे में आप समझ सकते हैं कि वह धर्म और समुदाय को लेकर क्या सोचते होंगे। उन्होंने आम लोगों का मन पढ़ा और प्रेमियों की जुबान सीखी और यह वजह है कि फिल्मी सफर के दौरान बेहद खूबसूरत गीत लिखे और आज भी लिख रहे हैं, लेकिन उन्होंने धार्मिक विषय पर अधिक गीत नहीं लिखे। उनके गीतों में हमेशा आपको रूहानी एहसास मिलेगा। प्रेम और बिछड़न का वह दरिया मिलेगा, जिसमें आप डूबकर भी उबर आएंगे।उनके गीत हैं लाजवाब
संजीव कुमार और सुचित्रा सेन अभिनीत फिल्म 'आंधी' का कोई भी गीत सुन लीजिए, दिल की गहराइयों तक उतर जाएगा। ऐसे न जाने कितने ही गीत हैं, जो गुलजार की कलम से निकले हैं। 'जंगल बुक' सीरियल का गीत 'जंगल जंगल बात चली है पता चला है, चड्ढी पहनकर फूल खिला है' जी हां यह गीत गुलजार साहब ने ही लिखा है। यकीन नहीं आएगा, लेकिन यही तो गुलजार साहब की खूबी है।बाल मन को पढ़ने का हुनर है गुलजार के पास
गुलजार तो हर उम्र वर्ग के लोगों का मन और उनकी तासीर पढ़ने का माद्दा रखते हैं, लेकिन उन्होंने बाल मन को भी खूब पढ़ा है। यह वजह है कि उन्होंने 'किताब' नाम की उम्दा फिल्म बनाई, जो एक बच्चे की मनः स्थिति पर है। 'किताब' फिल्म आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी कल थी। फिल्म देखने के दौरान आप सहज ही एक अनजाना सा रिश्ता निर्देशक गुलजार के साथ बना लेंगे।भूतिया घर में रहा करती थीं Hema Malini, रोज रात ड्रीम गर्ल के साथ कोई करता था ऐसी हरकत
शैलेंद्र और गुलजार में अजब संयोग
शैलेंद्र ने दिलाया था पहला काम
यहां पर यह दिला दें कि गुलजार को फिल्मी गीतकार बनाने में शैलेंद्र का अहम योगदान था। सच बात तो यह है कि गीतकार गुलजार को गीत लेखन में लाने वाले शैलेन्द्र ही थे। गुलजार फिल्मों में काम नहीं करना चाहते थे, लेकिन शैलेंद्र उनके हुनर से वाकिफ थे, इसलिए उन्होंने गीतकार बनाने की ठान ली और मौका भी दिला दिया। गुलजार का मन उस समय किताब लिखने का था।---विज्ञापन---