---विज्ञापन---

एंटरटेनमेंट

Kesari Chapter 2 Review: दिलों को झकझोर देने वाली कहानी, आखिरी 15 मिनट के क्लाइमैक्स ने खड़े किए रोंगटे

बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार की फिल्म 'केसरी चैप्टर 2' सिनेमाघरों में आज रिलीज हो चुकी है। फिल्म जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद की सच्चाई को उजागर करती है। इस फिल्म की कहानी कैसी है, चलिए आपको बताते हैं।

Author Edited By : Himanshu Soni Updated: Apr 18, 2025 15:26
Kesari Chapter 2 Review
Kesari Chapter 2 Review

Kesari Chapter 2 Review: (अश्विनी कुमार) जलियांवाला बाग में 106 साल पहले जनरल डायर के आदेश पर चली हजारों गोलियां और उसमें ब्रिटिश सरकार के रोलेट एक्ट के खिलाफ प्रदर्शन करने आए हजारों लोगों की मौत की दास्तान जब हम-आप अब भी सुनते हैं, तो दिलो-दिमाग में गुस्सा और बेबसी भर जाती है। 13 अप्रैल 1919, यानी बैसाखी के दिन हुए इस हत्याकांड पर फिल्में बनी हैं, सीरियल्स बने हैं, वेब सीरीज भी बनी हैं। लेकिन ये पहली बार है कि ब्रिटिश क्राउन को ब्रिटिश कोर्ट में कटघरे में खड़ा करने वाले सी. शंकरन नायर की कहानी पर्दे पर आई है।

कैसी है फिल्म की कहानी?

‘केसरी चैप्टर 2’ के रिलीज के एक दिन पहले प्रीमियर के दौरान अक्षय कुमार ने रिक्वेस्ट की कि अगर आप ‘केसरी चैप्टर 2’ देखने जा रहे हैं, तो शुरुआत के 10 मिनट मिस मत कीजिएगा। ये जरूरी भी है, क्योंकि जब फिल्म शुरू होने के 10 मिनट के भीतर जलियांवाला बाग के उस हत्याकांड को जनरल डायर के आदेश पर होते हुए देखते हैं, ब्रिटिश आर्मी की गोलियों से छलनी होते हुए जिस्मों को महसूस करते हैं तो आप पूरे 134 मिनट, यानी 2 घंटे 14 मिनट तक इस हत्याकांड पर इंसाफ होते हुए देखना चाहते हैं। और यहीं से राइटर-डायरेक्टर करण सिंह त्यागी ने को-राइटर अमृतपाल के साथ मिलकर फिल्म को बांधे रखा है।

---विज्ञापन---

काफी इमोशनल है फर्स्ट हाफ

फिल्म के पहले हाफ में आप देखते हैं कि मद्रास के बैरिस्टर सी. शंकरन नायर किस तरह ब्रिटिश सरकार के चहेते बन जाते हैं, कैसे वो ब्रिटिश कोर्ट में अंग्रेज सरकार के लिए मुसीबत बने क्रांतिकारियों को सजा दिलाने के लिए चालें चलते हैं, और उनकी परफॉर्मेंस से खुश होकर ब्रिटिश सरकार उन्हें ‘नाइटेड’ करती है, ‘सर’ की उपाधि देती है और फिर वायसरॉय काउंसिल का मेंबर बनाती है।

---विज्ञापन---

मगर जलियांवाला बाग हत्याकांड की जांच के दौरान शंकरन नायर को एहसास होता है कि वो गलत का साथ दे रहे हैं और फिर वो दिलप्रीत गील के साथ मिलकर जनरल डायर पर मुकदमा करते हैं। पहले हाफ में इमोशन है, लेकिन फिल्म थोड़ी धीमी हो जाती है, क्योंकि यहां शंकरन नायर की आत्मा की आवाज पर ज्यादा जोर दिया गया है।

मामला जब कोर्ट में पहुंचता है और हाफ-इंडियन, हाफ-ब्रिटिश बैरिस्टर नेविल मैकिन्ले (माधवन) की एंट्री होती है, तो फिल्म रफ्तार पकड़ती है। कोर्टरूम में दांव-पेंच और सच-झूठ के संघर्ष के जरिए फिल्म को दिलचस्प बनाने की कोशिश होती है, हालांकि इस बीच थोड़ी-थोड़ी रुचि भी टूटती है। केस हारने के बाद जब शंकरन नायर दिलप्रीत के साथ मिलकर बाउंसबैक करते हैं, तो फिल्म का क्लाइमैक्स आखिरी 15 मिनट शानदार बनता है। हालांकि ये 15 मिनट थोड़े ड्रामैटिक और फिल्मी जरूर हैं, लेकिन शंकरन नायर बने अक्षय कुमार का मोनोलॉग कमाल का है।

स्टोरी और स्क्रीनप्ले शानदार

जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद के दो सालों तक चलने वाली इस कहानी का सेटअप अच्छा है। सेट डिजाइन, पुराने घर, पुराने कॉस्ट्यूम्स और कोर्ट रूम की डिटेलिंग पर अच्छी मेहनत की गई है। स्टोरी और स्क्रीनप्ले के मामले में करण सिंह त्यागी और अमृतपाल कुछ बहुत नया नहीं पेश करते, शंकरन नायर के बारे में जो बातें पब्लिक डोमेन में पहले से हाईलाइटेड हैं, उन्हीं को दिखाते हैं लेकिन सीन अच्छे से लिखे गए हैं और डायलॉग्स शानदार हैं।

इस फिल्म की पहचान बना ट्रैक ‘ओ शेरा’ बीच-बीच में आता है और सीन्स को एलिवेट करता है। ‘कित्थे गया सैंया’, जो ड्रेस डिजाइनर मसाबा के साथ फिल्माया गया है, वो सिचुएशन के लिहाज से ठीक है, लेकिन बहुत ज्यादा असर नहीं छोड़ता। सिनेमैटोग्राफी और फिल्म का कलर टोन बेहतरीन है।

परफॉर्मेंस की बात करें तो ये अक्षय कुमार की वाकई बेहतरीन परफॉर्मेंस में से एक है। उनका एग्रेसन, बॉडी लैंग्वेज और कोर्ट में डायलॉग डिलीवरी गहरा असर छोड़ती है। नेविल मैकिन्ले बने माधवन का काम भी शानदार है उनके आने से जैसे फिल्म में स्पार्क आ जाता है। जनरल डायर बने सिमोन पैसले, फिल्म की बैकबोन हैं। इस किरदार से आप स्क्रीन पर नफरत करने लगते हैं। अनन्या पांडे ने दिलप्रीत के तौर पर अच्छा प्रयास किया है, हालांकि शंकरन नायर की पत्नी के किरदार में रेजिना कैसेंड्रा कुछ खास प्रभाव नहीं छोड़तीं। अमित सियाल का काम बहुत अच्छा है।

‘केसरी चैप्टर 2’, जलियांवाला बाग हत्याकांड पर बनी एक अच्छी फिल्म है। ये दिखाती है कि ब्रिटिश राज की गुलामी में भारतीयों ने कैसे-कैसे ज़ुल्म झेले। सबसे खास बात ये है कि फिल्म ये भी दिखाती है कि प्रेस को कंट्रोल करने की कोशिशें तब भी होती थीं और असली लड़ाइयां बंदूक और तलवार से नहीं कोर्ट और प्रेस के साथ लड़ी जाती थीं। सेंसर बोर्ड ने जलियांवाला बाग हत्याकांड के दृश्यों के चलते इसे ‘A सर्टिफिकेट’ दिया है, जो बिल्कुल भी जस्टिफाइड नहीं है। ‘केसरी’ देखी जाने लायक फिल्म है- हां, इसमें एंटरटेनमेंट की उम्मीद न रखें।

इस फिल्म को 5 में से 3.5 स्टार

यह भी पढ़ें: Ameesha Patel बनने वाली हैं मां! क्या सच में प्रेग्नेंट हैं ‘सकीना’? यूजर्स ने लगाए कयास

HISTORY

Edited By

Himanshu Soni

First published on: Apr 18, 2025 02:46 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें