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Aarti Shri Ram Ji Ki: श्रीराम की आरती से करें दिन की शुरुआत, मिलेगा उनका आशीर्वाद

Aarti Shri Ram Ji Ki : श्रीराम की पूजा करने से पापों का नाश होता है और व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। वहीं अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के उद्घाटन का समारोह भी जारी है और आप इस अवसर पर भगवान श्रीराम की आरती करके पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।

आरती श्रीराम
Aarti Shri Ram Ji Ki: राम सिया राम...की कड़ी में हम लोग आज भगवान श्रीराम की आरती आ लोगों के साथ अर्थ सहित शेयर कर रहे हैं। इस कड़ी में हम लोग प्रतिदिन कई रोचक किस्से और कहानियां आप लोगों तक पहुंचा रहे हैं। जिससे आप भगवान राम के जीवन के बारे में विस्तार से जान सकें और साथ ही धर्मलाभ व पु़ण्य के भागी बन सकें। अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के उद्घाटन और श्रीराम लला की प्रतिमा के प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम मंगलवार से प्रारंभ हो चुका है। वहीं 22 जनवरी 2024 तक प्रतिदिन कई अन्य कार्यक्रम होंगे। जिसके बाद प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न किया जाएगा और मंदिर भक्तों के दर्शनों के लिए खोल दिया जाएगा। तो आइए आज इसी कड़ी में भगवान श्रीराम की आरती के साथ उनकी मानसिक पूजा करें और धर्म लाभ के भागी बनें। ये भी पढ़ें : हनुमान जी क्यों भूल जाते थे अपनी शक्तियां, पढ़ें दिलचस्प कहानी मैं प्रभु श्रीराम चन्द्र की वंदना करता हूं। मेरे प्रभु भय का नाश करने वाले हैं। उनके नयन कमल के समान सुंदर हैं, चरण कोमल हैं। मेरे प्रभु श्रीराम करोड़ों कामदेव से भी सुंदर और सुंदर नेत्रों वाले हैं। श्रीराम पीताम्बर धारण करते हैं और देवराज इंद्र की पत्नी शुचि से भी सुंदर महाराज जनक की पुत्री सीता जी के पति हैं। मैं दीन दुखियों के दुख को दूर करने वाले और असुरों का कुल समेत नाश करने वाले सुख के धाम आनंदकंद कौशल चंद महाराज दशरथ जी के पुत्र की वंदना करता है। श्रीराम मस्तक पर मुकुट, ललाट पर तिलक और सभी अंगों में आभूषण धारण करते हैं। जिन्होंने युद्ध में महा शक्तिशाली खर-दूषण जैसे राक्षसों का वध किया और कंधे पर धनुष धारण करते हैं। उनका धनुष घुटने तक लटका रहता है। ये भी पढ़ें : प्राण प्रतिष्ठा से पहले ‘प्रायश्चित पूजा’ क्यों? जानें हर एक बात गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि भगवान शंकर और सभी ऋषि-मुनियों के मन को प्रसन्न करने वाले और काम-क्रोध आदि का नाश करने वाले प्रभु श्रीराम आप मेरे हृदय में भी निवास कीजिए। मन को मोहित करने वाले सीता जी के पति, करुणा के सागर सहज और सुंदर छवि वाले, जिन्होंने रावण का कुल समेत संहार किया मैं ऐसे प्रभु श्रीराम की मैं वंदना करता हूं। सीता जी मां पार्वती के आशीर्वाद को सुनकर बहुत प्रसन्न हुईं और भगवान शिव के प्रति भी उनका हृदय प्रसन्नता से भर गया। इसके बाद सीता जी तुलसी और मां पार्वती जी की पूजा करने के प्रसन्न मन से मंदिर के लिए चलीं। मां पार्वती जी को अपने अनुकूल जानकर सीता जी का हृदय प्रसन्न हो गया और उन्हें शुभ शकुन होने लगे। साथ ही उनका बाएं अंग फड़कने लगे।  


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