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हजारों लेखकों ने AI कंपनियों को लिखा ओपन लेटर, कहा-हमारा लिखा कंटेंट न चुराएं

मार्गरेट एटवुड, नोरा रॉबर्ट्स और माइकल चैबन सहित 8,000 से अधिक प्रसिद्ध लेखकों ने एक ओपन लेटर लिखते हुए OpanAI, Alphabet, Meta और इसी तरह की अन्य AI कंपनियों के सीईओ से अपने जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल के प्रशिक्षण में उनकी कॉपीराइट सामग्री की चोरी रोकने का आह्वान किया है। लेटर में इन लेखकों ने […]

Edited By : Sunil Sharma | Updated: Jul 20, 2023 16:20
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मार्गरेट एटवुड, नोरा रॉबर्ट्स और माइकल चैबन सहित 8,000 से अधिक प्रसिद्ध लेखकों ने एक ओपन लेटर लिखते हुए OpanAI, Alphabet, Meta और इसी तरह की अन्य AI कंपनियों के सीईओ से अपने जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल के प्रशिक्षण में उनकी कॉपीराइट सामग्री की चोरी रोकने का आह्वान किया है।

लेटर में इन लेखकों ने कहा है “बड़े भाषा मॉडल पर निर्मित जनरेटिव एआई प्रौद्योगिकियां हमारे लेखन के अस्तित्व का श्रेय देती हैं। ये प्रौद्योगिकियाँ हमारी भाषा, कहानियों, शैली और विचारों की नकल करती हैं और उन्हें पुनर्जीवित करती हैं, ”उन्होंने लिखा। न्यूयॉर्क स्थित ऑथर्स गिल्ड के तहत लेखकों की याचिका में कहा गया है कि उनकी कॉपीराइट वाली किताबें, लेख, निबंध और कविता एआई सिस्टम के लिए “भोजन” बन गए हैं, जिसके लिए “कोई बिल नहीं दिया गया है”।

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पत्र में आगे लिखा गया है “आप एआई तकनीक विकसित करने के लिए अरबों डॉलर खर्च कर रहे हैं। यह बिल्कुल उचित है कि आप हमारे लेखन का उपयोग करने के लिए हमें मुआवजा दें, जिसके बिना एआई सामान्य और बेहद सीमित होगा। लेखकों ने आगे कहा कि जेनरेटिव एआई उनके पेशे को नुकसान पहुंचा रहा है क्योंकि यह “बाजार को औसत दर्जे की, मशीन-लिखित किताबों, कहानियों और पत्रकारिता से भर रहा है।”

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उल्लेखनीय है कि इन दिनों OpenAI के ChatGPT की धूम मची हुई है। आपको कोई मेल लिखनी हो, आर्टिकल लिखना हो या पूरी किताब ही छापनी हो तो सब कुछ चैटजीपीटी से हो रहा है। इसके लिए चैटजीपीटी इंटरनेट पर उपलब्ध कंटेंट का प्रयोग करता है, फिर चाहे वह किसी ब्लॉग से लिया गया हो या अब तक पब्लिश हुई किताबों से। इस बात को लेकर दुनिया भर के बुद्धिजीवी अपनी चिंता व्यक्त कर चुके हैं।

यही नहीं चैटजीपीटी बनाने वाली कंपनी पर इसी मामले में कॉपीराइट कंटेंट की बिना अनुमति चोरी के लिए सैकड़ों केस भी दर्ज हो चुके हैं। अब लेखकों का पत्र भी इसी चिंता को ध्यान में रखते हुए लिखा गया है। लेखकों ने चैटजीपीटी, बार्ड, एलएलएएमए जैसे बड़े भाषा मॉडल के पीछे तकनीकी कंपनियों से “सहमति, क्रेडिट प्राप्त करने और लेखकों को उचित मुआवजा देने” के लिए भी कहा, भले ही कंपनियां अपनी कड़ी मेहनत से लाखों कमाती हैं।

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Edited By

Sunil Sharma

First published on: Jul 20, 2023 04:07 PM

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