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Google-Indian Startups Row: गूगल ऐसे नहीं हटा सकता ऐप्स, Telecom Minister का बड़ा बयान

Google Action Against 10 Indian Apps : अल्फाबेट के स्वामित्व वाली कंपनी जल्द ही 10 भारतीय Apps पर बड़ी कार्रवाई कर सकती है, जिनमें Shaadi.com से लेकर Kuku FM जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं। आइये जानें इसकी वजह...

Edited By : Sameer Saini | Updated: Mar 3, 2024 08:18
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Google-Indian Startups Row

Google-Indian Startups Row: ऐसा लग रहा है कि गूगल के एक फैसले ने उसे बड़ी मुश्किल में डाल दिया है। प्ले स्टोर से कुछ ऐप्स हटाने पर कड़ा रुख अपनाते हुए सरकार ने शनिवार को कहा कि भारतीय ऐप्स को डीलिस्ट करने की अनुमति गूगल को नहीं दी जा सकती है और टेक कंपनी और संबंधित स्टार्टअप को अगले सप्ताह बैठक के लिए बुलाया गया है। पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में, आईटी और दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि स्टार्टअप इकोसिस्टम भारतीय अर्थव्यवस्था की कुंजी है और उनके भाग्य का फैसला कोई टेक कंपनी नहीं कर सकती।

बता दें कि गूगल ने हाल ही में ऐलान किया था कि वह 10 भारतीय ऐप डेवलपर्स के खिलाफ कार्रवाई करेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ ऐप डेवलपर्स Play Store की बिलिंग पॉलिसी का पालन नहीं कर रहे हैं। अल्फाबेट के स्वामित्व वाली कंपनी ने दावा किया है कि दस भारतीय ऐप डेवलपर्स, जिनमें Shaadi.com से लेकर Kuku FM जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं, जो उनके प्लेटफार्म का लाभ उठाने के लिए प्ले स्टोर फीस का भुगतान नहीं कर रहे हैं, जिसके चलते उन्हें एंड्रॉइड ऐप मार्केटप्लेस से हटाया गया है।

भारतीय ऐप्स को डीलिस्ट न करे गूगल: IAMAI

वहीं इस मामले पर इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया IAMAI ने टेक दिग्गज Google को उसकी भुगतान नीति का गैर-अनुपालन करने पर प्ले स्टोर से किसी भी भारतीय ऐप्स को हटाने या डीलिस्ट न करने को कहा है। यह स्टेटमंट Google द्वारा Google Play स्टोर से पॉपुलर मैट्रिमोनी ऐप्स सहित कई ऐप्स को हटाने के निर्णय लेने के तुरंत बाद आया है।

ज्यादा राशि वसूल रहा गूगल?

टेकक्रंच की एक रिपोर्ट हाल ही में सामने आई थी जिसमें कहा गया था कि भारतीय कंपनियों का एक ग्रुप Google की इस Play Store बिलिंग नीतियों को चुनौती देते हुए मद्रास उच्च न्यायालय में पहुंचा था, जिसमें तर्क दिया गया था कि तकनीकी दिग्गज अपनी सर्विस के लिए शुल्क के रूप में बहुत ज्यादा राशि वसूलता है। साथ ही यह भी बताया गया था कि टेक दिग्गज पेड ऐप के हर डाउनलोड के साथ-साथ परचेस पर सेवा शुल्क के रूप में 11 प्रतिशत से 26 प्रतिशत के बीच शुल्क लेता है।

लिस्ट में ये कंपनियां शामिल

इस ग्रुप में भारत मैट्रिमोनी, शादी.कॉम, अनएकेडमी, कुकू एफएम, इन्फो एज जैसी कंपनियां शामिल हैं। एनडीटीवी प्रॉफिट की एक रिपोर्ट के अनुसार, उच्च न्यायालय ने इस अपील को खारिज कर दिया, जिसके बाद कंपनियां सुप्रीम कोर्ट पहुंची। अब इस मामले पर भारत का सर्वोच्च न्यायालय सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने Google को कंपनियों के ऐप्स को प्ले स्टोर से डिलिस्ट न करने का कोई आदेश देने से इनकार कर दिया।

ऐप्स को डिलिस्ट न करने का किया अनुरोध

द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, बाद में ऐप डेवलपर्स के ग्रुप ने Google को पत्र लिखकर 19 मार्च तक ऐप्स को डिलिस्ट न करने का अनुरोध किया है। हालांकि, अब ऐसा लग रहा है कि Google ने दलीलों को न सुनने का फैसला किया है और इसके बजाय भुगतान न करने वाले डेवलपर्स के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। दूसरी तरफ इस पूरे मामले पर एंड्रॉयड प्लेटफार्म डेवलपर का कहना है कि मामले पर कार्रवाई न करना, 2 लाख से ज्यादा भारतीय डेवलपर्स के साथ अन्याय होगा जो इसकी बिलिंग नीति का अनुपालन कर रहे हैं।

First published on: Mar 02, 2024 03:40 PM

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