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क्या है UPSC में लेटरल एंट्री भर्ती? क्यों हो रहा विरोध? राहुल गांधी से लेकर अखिलेश यादव तक ने खोला मोर्चा…

UPSC Recruitment 2024: नीति आयोग ने सबसे पहले 2017 में लेटरल एंट्री की सिफारिश की थी। पिछले पांच सालों में लेटरल एंट्री के जरिए कुल 63 नियुक्तियां की गई हैं।

Edited By : Amit Kasana | Updated: Aug 18, 2024 21:07
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UPSC Recruitment 2024: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने शनिवार को लेटरल एंट्री भर्ती का नोटिफिकेशन जारी किया है। इस नोटिफिकेशन के अनुसार केंद्र सरकार के अलग-अलग 24 मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के पदों पर लेटरल भर्ती के लिए टैलेंटेड और माोटिवेटेड भारतीय नागरिकों के लिए आवेदन मांगे गए हैं।   नोटिफिकेशन में कुल 45 पदों के लिए आवेदन मांगे गए हैं। जिसमें राज्य, संघ शासित प्रदेशों की सरकारों, सार्वजनिक उपक्रमों, वैधानिक संगठनों, शोध संस्थानों और विश्वविद्यालयों और निजी क्षेत्र शामिल हैं।

क्यों हो रहा विरोध?

विज्ञापन में साफ कहा गया है कि ये सभी पद बेंचमार्क विकलांगता वाले व्यक्तियों (PwBD) की श्रेणी से संबंधित उम्मीदवारों के लिए उपयुक्त हैं। जिसके बाद विपक्ष ने इस पर निशाना साधा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीम मायावती समेत अन्य नेताओं ने इन भर्तियों मे अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उम्मीदवारों के लिए आरक्षण नहीं होने पर विरोध जताया है।

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क्या होती है लेटरल एंट्री भर्ती?

जानकारी के अनुसार 2017 में नीति आयोग ने सरकार में वरिष्ठ प्रबंधन स्तरों पर कर्मियों को शामिल करने की सिफारिश की थी। इसे लेटरल एंट्री का नाम दिया गया था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि ये सब अधिकारी केंद्रीय सचिवालय का हिस्सा होंगे जिन्हें तीन साल के कॉन्ट्रैक्ट पर रखा जाएगा। उस समय केवल अखिल भारतीय सेवाओं और केंद्रीय सिविल सेवाओं में ही लेटरल एंट्री से भर्ती करने और इन्हें मैक्सिमम 5 साल के कार्यकाल तक रखने की सिफारिश की गई थी।

 

कहां और कैसे करें अप्लाई?

यहां बता दें हाल ही में जारी नोटिफिकेशन के अनुसार इच्छुक उम्मीदवार यूपीएससी की आधिकारिक वेबसाइट upsconline.nic.in पर जाकर ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं।अप्लाई करने की लास्ट डेट 17 सितंबर, 2024 है।

लेटरल एंट्री भर्ती का उद्देश्य और अब तक कितनी भर्ती?

केंद्र सरकार का कहना है कि लेटरल एंट्री भर्ती के पीछे उनका नई प्रतिभाओं को लाने के साथ-साथ जनशक्ति की उपलब्धता को बढ़ाने का मकसद है। बता दें प्रस्ताव आने के बाद 2018 में लेटरल एंट्री भर्ती शुरू हुईं थी। उस साल इस प्रक्रिया के तहज संयुक्त सचिव स्तर के पदों के लिए कुल 6077 आवेदन आए। यूपीएससी द्वारा चयन प्रक्रिया के बाद 2019 में नौ अलग-अलग मंत्रालयों, विभागों में नियुक्ति के लिए नौ व्यक्तियों की सिफारिश की गई। एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले पांच सालों में लेटरल एंट्री के जरिए कुल 63 नियुक्तियां की गई हैं। जिनमें से वर्तमान में कुल 57 अधिकारी अलग-अलग मंत्रालयों में तैनात हैं।

लेटरल एंट्री के जरिये शीर्ष पदों से किसे किया जा रहा दूर? 

कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कई पोस्ट किए। उन्होंने कहा कि यूपीएससी की ओर से निकाली गई भर्ती में सरकार ‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ’ के लोगों को रखना चाहती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इस तरह से भर्ती कर संविधान पर हमला कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती कर खुलेआम SC, ST और OBC वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है। उन्होंने कहा कि टॉप ब्यूरोक्रेसी समेत देश के सभी शीर्ष पदों पर वंचितों का प्रतिनिधित्व नहीं है, उसे सुधारने के बजाय लेटरल एंट्री के जरिये उन्हें शीर्ष पदों से और दूर किया जा रहा है।

आम लोग बाबू और चपरासी ही बन पाएंगे

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि भाजपा अपनी विचारधारा के संगी-साथियों को पिछले दरवाजे से यूपीएससी के उच्च सरकारी पदों पर बैठाने की जो साजिश कर रही है, उसके खिलाफ एक देशव्यापी आंदोलन खड़ा करने का समय आ गया है। ये तरीका आज के अधिकारियों के साथ युवाओं के लिए भी वर्तमान और भविष्य में उच्च पदों पर जाने का रास्ता बंद कर देगा। आम लोग बाबू और चपरासी तक ही सीमित हो जाएंगे।

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Written By

Amit Kasana

First published on: Aug 18, 2024 06:27 PM

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