Alcohol Ban And Rules In Saudi Arabia In Hindi : क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के शासन में सऊदी अरब क्रांतिकारी बदलावों का गवाह बन रहा है। उनकी योजना इस देश को बिजनेस और टूरिज्म डेस्टिनेशन बनाने की है। इसके लिए वह इस इस्लामी देश की कंजर्वेटिव इमेज को तोड़ने और इसे अधिक खुला बनाने का काम कर रहे हैं।
इस दिशा में सऊदी का नया कदम है शराब को अनुमति देना। यहां की राजधानी रियाद में जल्द ही देश का पहला शराब स्टोर खुलने वाला है। हालांकि, यहां शराब खरीदने की अनुमति सिर्फ गैर मुस्लिम डिप्लोमैट्स को होगी। लेकिन, इसे अल्ट्रा कंजर्वेटिव माने जाने वाले देश में बहुत बड़ा कदम कहा जा रहा है क्योंकि इस्लाम में शराब को हराम माना जाता है।
लेकिन क्या आपको पता है कि सऊदी अरब में शराब हमेशा से प्रतिबंधित नहीं थी। इस रिपोर्ट में पढ़िए कि सऊदी में शराब पर प्रतिबंध लगाने का फैसला क्यों और कब लिया गया था। साथ ही जानिए कि शराब को लेकर इस देश का कानून क्या कहता है और इसे लेकर किस सजा का प्रावधान है।
सऊदी में कब लगा शराब पर बैन?
यहां 1950 के दशक की शुरुआत से शराब पर प्रतिबंध लगा हुआ है। सऊदी अरब के संस्थापक शासक किंग अब्दुलअजीज के एक बेटे प्रिंस मिशारी ने साल 1951 में शराब के नशे में शॉटगन से ब्रिटिश वाइस कौंसुल सिरिल उस्मान की हत्या कर दी थी। इसके बाद पूरे देश में शराब पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया गया था।
स्थानीय लोगों के लिए प्रतिबंध क्यों?
इस्लाम में शराब को हराम कहा गया है। सऊदी अरब दुनिया के उन कुछ देशों में से एक है जहां शराब पर प्रतिबंध है। इस्लामी विद्वानों का कहना है कि कुरान में शराब पीने की अनुमति नहीं दी गई है। शरीब पीने से बचने के साथ-साथ कुछ मुसलमान ऐसा भोजन भी नहीं करते हैं जिसमें शराब मिली होती है और न ही ऐसे परफ्यूम इस्तेमाल करते हैं जिनमें एल्कोहल का इस्तेमाल होता है।
शराब के खिलाफ यहां नियम क्या?
सऊदी अरब में शराब पीने के खिलाफ बेहद सख्त नियम हैं। इसके लिए कोड़े बरसाने से लेकर डिपोर्टेशन, जुर्माना और जेल की सजा भी हो सकती है। हालांकि, अब सुधारों के हिस्से के तौर पर अधिकांश जगहों पर कोड़े बरसाने की सजा सुनाने के बजाय जेल भेजा जाने लगा है। लेकिन, सऊदी अरब में शराब पीते पाए जाने पर किसी किस्म की राहत नहीं दी जाती है।